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उसी उदार की कथा सरस्वती बखानती,उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मनती |उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती;तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती|अखंड आत्म भाव जो असीम विश्व मे भरे,इस का जवाब दे दो कोई कृपया​

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उसी उदार की कथा सरस्वती बखानती,

उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मनती |

उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती;

तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती|

अखंड आत्म भाव जो असीम विश्व मे भरे

भावार्थ ➲  यह काव्य पंक्तियां मैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित ‘मनुष्यता. नामक कविता की हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहता है कि जो व्यक्ति इस संसार में अपनापन, प्रेम और भाईचारा फैलाता है, जो सबके साथ प्रेम-स्नेह के भाव व्यक्त करता है, उसकी उदारता की कीर्ति अनंत काल तक गूंजती रहती है। यह धरती सदैव उसका उपकार मानती है। यह प्रकृति उसके यश का पूजन करती है। जिसके अंदर कभी न टूटने वाली अखंड इच्छा शक्ति और विश्वास है, जो व्यक्ति मानवता के प्रति अपना जीवन समर्पित कर दे, वही सच्चा मनुष्य है।

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मनुष्यता कविता में कवि ने हमे परोपकार के लिए कैसे प्रेरित किया है ?

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