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वाटहीन धारा का क्या अर्थ है ? किस दशा में धारा वाटहीन होती है चोक कुण्डली (या आदर्श प्रेरकत्व वाले प्रत्यावर्ती धारा परिपथ) में बहने वाली प्रत्यावर्ती धरा को वाटहीन धरा क्यों कहते है ?

Answer» यदि किसी प्रत्यावर्ती परिपथ में केवल शुद्ध प्रेरकत्व या शुद्ध धारिता है तथा परिपथ का प्रतिरोध शून्य है तो परिपथ में धारा तो प्रवाहित होती है किन्तु परिपथ में ऊर्जा क्षय बिल्कुल नहीं होता है प्रत्यावर्ती धारा परिपथ की इस धारा को वाटहीन धारा कहते है वाटहीन धरा को व्यवहारिक रूप में प्राप्त नहीं किया जा सकता, क्योकि किसी भी परिपथ का ओमीय प्रतिरोध शून्य नहीं हो सकता
चूँकि चोक कुण्डली (आदर्श प्रेरकत्व) का ओमीय प्रतिरोध होता है जिससे धारा तथा विभवांतर में कालांतर `90^(@)` होता है । जिस कारन चोक कुण्डली व्यय औसत ऊर्जा शून्य है इसी कारण चोक कुण्डली से बहने वाली प्रत्यावर्ती धारा को वाटहीन धारा कहते है


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