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वायु-प्रदूषण का अर्थ एवं मुख्य स्रोतों का उल्लेख कीजिए।

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अर्थ: मानव और सभी जीवों के लिए स्वच्छ वायु आवश्यक है। वायुमण्डल में विभिन्न गैसें एक निश्चित मात्रा एवं अनुपात में होती हैं। जब किन्हीं कारणों से उनकी मात्रा और अनुपात में परिवर्तन हो जाता है तो वायु प्रदूषित हो जाती है। ‘विश्व-स्वास्थ्य संगठन ने वायु-प्रदूषण के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा-“वायु प्रदूषण उन परिस्थितियों तक सीमित रहता है जहाँ वायुमण्डल में दूषित पदार्थों की सान्द्रता मनुष्य और पर्यावरण को हानि पहुँचाने की सीमा तक बढ़ती है। वायु-प्रदूषण के स्रोत–वायु-प्रदूषण मुख्य रूप से मानव की गतिविधियों के फलस्वरूप होता है। औद्योगीकरण, नगरीकरण तथा ईंधन चालित वाहनों में होने वाली वृद्धि वायु-प्रदूषण के मुख्य कारण हैं।
वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो-ऑक्साइड, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, ओजोन आदि निश्चित मात्रा और अनुपात में हैं। रेलगाड़ी, मोटर, कार, टैक्ट्रर, टैम्पो, जेट विमान और पेट्रोल एवं डीजल से चलने वाली मशीनों और लकड़ी, कोयला, तेल आदि के जलने से निकलने वाले धुएँ से वायु प्रदूषण उत्पन्न होता है। कभी-कभी प्रकृति भी वायु-प्रदूषण का कारण बनती है। ज्वालामुखी विस्फोट, कोहरा, आँधी-तूफान आदि भी वायु प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। इसके अतिरिक्त वस्तुओं के सड़ने-गलने के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली दुर्गन्ध से भी वायु-प्रदूषण में वृद्धि होती है। वनों अर्थात् पेड़ों की अन्धाधुन्ध कटाई के कारण भी वायु में गैसों का सन्तुलन बिगड़ रहा है तथा वायु प्रदूषित हो रही है।



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