1.

वायुमण्डलीय दाब तथा `100^(@)C` ताप पर 1.0 मीटर जल से उसी ताप पर `1671 "मीटर"^3` जल-वाष्प बनती है। जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा `2.3xx10^6` जूल प्रति किग्रा है। यदि 2.0 किग्रा जल को वायुमण्डलीय दाब तथा `100^circC` ताप पर जल-वाष्प में परिवर्तित किया जाये तो उसकी आन्तरिक ऊर्जा में कितनी वृद्धि होगी? ( जल का घनत्व `= 1.0xx10^3` किग्रा/मीटर, वायुमण्डलीय दाब =`1.01xx10^5` न्यूटन/मीटर)

Answer» 2.0 किग्रा जल को `100^circC` ताप पर जल -वाष्प में बदलने पर जल को दी गयी ऊष्मा `Q=mL=2.0xx(2.3xx1010^6)=4.6xx10^6`जूल
2.0 किग्रा जल का आयतन
`V_1= (द्रव्यमान)/(घनत्व)=(2.0)/(1.0xx10^-3)=2.0xx10^-3 मीटर^3`
चूंकि `1.0" मीटर"^3` जल से `1671 "मीटर"^3` जल-वाष्प बनती है, अत: `2.0 xx10 "मीटर"^3` जल से बनी वाष्पय का आयतन
`V_2 = 2.0xx10^-3xx1671` = `3342xx10^-3 "मीटर"^3`
अत: 2.0 किग्रा जल को वायुमण्डलौय दाब पर वाष्प में बदलने पर आयतन में परिवर्तन `DeltaV=V_2-V_1`
= `3342xx10^-3-2.0xx10^-3` = `3342xx10^-3"मीटर"^3`
इस प्रक्रम में वायुमण्डलीय दाब के विरुद्ध किया गया बाह्य कार्य `W=PxxDeltaV=(1.01xx10^5)xx3340xx10^-3)`
= `0.337xx10^6` जूल
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से, आन्तरिक र्जा में वृद्धि `DeltaU=Q-W=(4.6xx10^6)-(0.337xx10^6)`
`4.263xx10^6` जूल


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