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वैश्वीकरण का भारतीय अर्थतंत्र पर उत्पन्न सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव बताइये ।

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वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव :

  1. वृहद पैमाने पर उत्पादन सम्भव होता है ।
  2. स्पर्धा के बढ़ने से ग्राहकों के अधिकारो का रक्षण होता है ।
  3. सरकारी अमलदारशाही से स्वतंत्रता मिलती है ।
  4. समग्र विश्व एक गाँव बन रहा है ।
  5. नये उद्योगों की स्थापना सरल हो जाती है ।
  6. देश में शिक्षण का महत्त्व बढ़ता है ।
  7. देश में ढाँचांगत सुविधाओं का निर्माण तेजी से होता है ।
  8. रोजगार के अवसरों का निर्माण होता है ।
  9. गुणवत्तावाली वस्तु या सेवा के मूल्य में कमी होने से अधिक से अधिक ग्राहक इनका उपयोग कर सकते है ।
  10. नई टेक्नोलोजी का उपयोग सम्भव होता है ।

नकारात्मक प्रभाव :

  1. वैश्वीकरण के कारण बाजार व्यवस्थापन का कार्य मुश्किल हो जाता है और खर्च में वृद्धि होती है ।
  2. मौज-शोख की वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री बढ़ जाती है ।
  3. लोगों की मानसिकता में धीमी गति से सुधार नये प्रश्नों का निर्माण करते हैं ।
  4. एक देश या उपखण्ड अथवा खण्ड की आर्थिक स्थिति का प्रभाव अन्य देशों पर शीघ्रता से होता है ।
  5. आय तथा सम्पत्ति की असमानता में वृद्धि देखने को मिलती है ।
  6. निरन्तर स्पर्धा के बढ़ने से कई बार आचार नीति का उल्लंघन देखने को मिलता है ।
  7. वृहद इकाइयों के लाभ में वृद्धि होती है लेकिन छोटे कद की इकाइयों को बने रहने के लिये काफी संघर्ष करना पड़ता है ।
  8. शिक्षण का फैलना विकास के फैलने के प्रमाण में मन्द रहे तो कर्मचारी स्पर्धात्मक रूप से कमजोर सिद्ध होते है ।
  9. बहुराष्ट्रीय कम्पनी की स्थापना जिस देश में हुई हो उस देश के प्रति सामान्य रूप से वफादार होती है, ऐसा देखने को मिलता है ।
  10. अन्तर्राष्ट्रीय साम्राज्यवाली कम्पनियाँ सम्बन्धित देश की आर्थिक नीति अपनी कम्पनी को अधिक अनुकूल हो इस रूप में राजनीतिक पक्षो के साथ सौदेबाजी करती है ।
  11. बाजार व्यवस्था के व्यय में वृद्धि होती जा रही है ।


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