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वह अचल धरा को भेंट रहाशत-शत निर्झर में हो चंचल,इसका नित उर्मिल करुणा-जलकब सागर उर पाषाण हुआ, कब गिरी में निर्मम तन बदला? |
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Answer» सब आँखों के आँसू उजले कविता- महादेवी वर्मा (अंतरा भाग 1 पाठ 15) हेलो! दोस्तों PoemGyan में आपका स्वागत है। इस ब्लॉग में आप पढ़ने वाले हैं: 1. सब आँखों के आँसू उजले कविता 2. सब आँखों के आँसू उजले कविता का भावार्थ 3. सब आँखों के आँसू उजले कविता की व्याख्या 4. सब आँखों के आँसू उजले प्रश्न अभ्यास 5. क्लास 11 अंतरा भाग 1 सभी कविताएं |
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