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विद्युत-चुम्बक बनाने के लिए नरम लोहे का व्यवहार होता है, पर स्थायी चुम्बक बनाने के लिए इस्पात का उपयोग होता है। क्यों?

Answer» विधुत-चुंबक के लिए नरम लोहे का व्यवहार इसलिए होता है की उसकी चुंबकीय प्रवृत्ति ( magnetic susceptibility ) बहुत होती है जिस कारण यह बाह्य चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव से आसानी से चुंबकित हो जाता है। इस्पात उतनी आसानी से चुंबकित नहीं होता है जितनी आसानी से नरम लोहा। जब विधुत-चुम्बक बनाए जाते है तब बहुधा हम चाहते है की विधुत-चुम्बक की कुंडली से जब तक धारा प्रवाहित हो रही है तब तक तो बहुत शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो और धारा बंद कर देने पर चुंबकीय क्षेत्र नगण्य हो जाए।
स्थायी चुम्बकों के लिए इस्पात का उपयोग इसलिए होगा है की इसकी धारणशीलता ( retentivity ) अधिक होती है। इसलिए इस्पात में उत्पन्न चुंबकीय बाह्य क्षेत्र हटा लेने पर भी कायम रहता है। इसके अतिरिक्त इस्पात का उपयोग करने में एक लाभ यह भी है की चूँकि इस्पात का विचुंबन बल ( demagnetizing force ) अधिक है, इसलिए बहुत अधिक व्यवहार में लाने पर भी उसमें उत्पन्न चुम्बकत्व कमजोर नहीं होता है।


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