InterviewSolution
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विषाक्त भोजन (Food poisoning) से क्या तात्पर्य है? भोजन के विषाक्त होने के कारण, लक्षण एवं उपचार की विधियाँ लिखिए।याभोजन विषैला होने के कारण, लक्षण तथा इससे बचाव के उपाय बताइए।याभोजन दूषित होने के विभिन्न कारणों को लिखिए । मनुष्य में भोज्य विषाक्तता के लक्षण भी लिखिए।याविषाक्त भोजन से आप क्या समझती हैं? विषाक्त भोजन से मानव शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?याभोजन विषाक्तता से आप क्या समझती हैं? भोजन विषाक्तता के लक्षण बताइए। भोजन विषाक्तता से बचने के लिए क्या उपाय करने चाहिए?याविषाक्त भोजन की हानियाँ लिखिए |
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Answer» विषाक्त भोजन: अर्थपूर्ण रूप से स्वच्छ, पौष्टिक तथा उपयुक्त दिखायी देने वाले भोज्य पदार्थ भी कभी-कभी व्यक्ति को रोगी बना सकते हैं। सामान्यतः ऐसे भोजन में कोई-न-कोई पदार्थ व्यक्ति को ग्राह्य नहीं होता। इसका मुख्य कारण होता है, भोजन के अन्दर उपस्थित ऐसे पदार्थ जो व्यक्ति के शरीर में जाने के बाद विषैले प्रभाव उत्पन्न करते हैं। यही विषाक्त भोजन है। वास्तव में कुछ जीवाणु आहार में मिलकर उसे विषाक्त बना देते हैं। आहार को विषाक्त बनाने वाले मुख्य जीवाणुओं का सामान्य परिचय निम्नवर्णित है इस समूह के जीवाणु पशु-पक्षियों के शरीर में पाए जाते हैं। मनुष्य जब इनका मांस खाते हैं अथवा दूध पीते हैं, तो जीवाणु उनके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। संक्रमण के छह घण्टों से दो दिन तक के समय में जीवाणु विषाक्तता के लक्षण प्रकट कर देते हैं। भोजन की यह विषाक्तता प्रायः मांस, अण्डे, क्रीम तथा कस्टर्ड आदि द्वारा उत्पन्न होती है। मक्खियाँ भी इन जीवाणुओं के संवाहन में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं। लक्षण : मितली, वमन, पेट में पीड़ा तथा दस्त होते हैं, जिनके कारण रोगी निर्जलीकरण अथवा डी-हाइड्रेशन का शिकार भी हो सकता है। उचित उपचार न मिलने पर रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। बचाव एवं उपचार (2) स्टैफाइलोकोकाई समूह: इस समूह के जीवाणु प्राय: वायु में, मनुष्यों की नाक, गले, फोड़े-फुन्सियों व घावों में पाए जाते हैं। ये भोजन बनाते समय खाँसने व छींकने तथा गन्दे हाथों के माध्यम से भोजन में प्रवेश करते हैं। भोजन के विषाक्त होने का मुख्य कारण भोजन के पकाने के पश्चात् इसे अधिक समय तक गर्म रख छोड़ना है। इस प्रकार का विषाक्त भोजन खाने के एक से छह घण्टों के अन्दर विषाक्तता के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। लक्षण: बचाव एवं उपचार: (3) क्लॉस्ट्रीडियम समूह-क्लॉस्ट्रीडियम परफ्रिजेन्स : लक्षण: मानव शरीर में प्रवेश करने पर पेट में पीड़ा व डायरिया के लक्षण पैदा करता है, परन्तु इस जीवाणु द्वारा उत्पन्न विषाक्तता के कारण मृत्यु की सम्भावना बहुत कम रहती है। उपचार: (4) क्लॉस्ट्रीडियम बौटूलिनम: इस जीवाणु द्वारा उत्पन्न भोजन की विषाक्तता को बौटूलिज्म कहते हैं। यह जीवाणु भयानक टॉक्सिन उत्पन्न करता है। इसकी भयानकता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि एक औंस टॉक्सिन करोड़ों लोगों की मृत्यु के लिए पर्याप्त है। ये जीवाणु अपनी बीजाणु अवस्था में मछलियों, पक्षियों, गाय व घोड़े जैसे पशुओं व मनुष्यों की आँतों में पाए जाते हैं। जीवाणुओं के ये बीजाणु खाद तथा मल-मूत्र जैसी गन्दगियों के माध्यम से भूमि में पहुँचकर कृषि द्वारा प्राप्त खाद्य पदार्थों से चिपक जाते हैं। ऑक्सीजनविहीन परिस्थितियों में तथा असावधानियों से तैयार किए गए डिब्बा-बन्द खाद्य पदार्थों में ये बीजाणु अंकुरित हो असंख्य को जन्म देते हैं। सेम, मक्का, मटर व चना इत्यादि इस प्रकार के डिब्बा-बन्द खाद्य पदार्थों के उदाहरण हैं। इस अवस्था में जीवाणु टॉक्सिन उत्पन्न करते हैं, जिसके मनुष्यों में होने वाले प्रभाव निम्नलिखित हैं– प्रभाव: बचाव एवं उपचार: |
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