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व्यक्तिगत भिन्नता से आप क्या समझते हैं ? व्यक्तिगत भिन्नता के मुख्य कारणों का सामान्य परिचय प्रस्तुत कीजिए।याव्यक्तिगत भिन्नता का क्या अर्थ है ? इसके मुख्य कारण क्या हैं ? समझाकर लिखिए।याव्यक्तिगत भेद किसे कहते हैं? इसके कारणों को स्पष्ट कीजिए।या“भिन्नताएँ प्रत्येक व्यक्ति में पायी जाती हैं।” यदि आप इस कथन से सहमत हैं, तो वैयक्तिक विभिन्नता के कारणों का वर्णन कीजिए।याव्यक्तिगत विभिन्नताओं के क्या कारण हैं ? विस्तार से समझाइए।याव्यक्तिगत भिन्नता के कारणों का उल्लेख कीजिए।याव्यक्तिगत विभिन्नता को परिभाषित कीजिए।यादो व्यक्तियों में जिन कारणों से व्यक्तिगत भिन्नताएँ पायी जाती हैं, उन्हीं के आधार पर व्यक्तिगत भेद निश्चित किये जाते हैं।” स्पष्ट कीजिए।

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व्यक्तिगत भिन्नता का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Individual Difference)

व्यक्तिगत भिन्नता का नियम यद्यपि प्राचीनकाल से ही माना जाता रहा है, परन्तु जब से बुद्धि-मापन के परीक्षण प्रारम्भ हुए, तब से इसका महत्त्व काफी बढ़ गया है। व्यक्तिगत भिन्नता को अर्थ है–किन्हीं दो व्यक्तियों का परस्पर एक-सा न होना। भिन्नताएँ प्रत्येक व्यक्ति में पायी जाती हैं। यह भिन्नता जुड़वाँ बालकों तक में पायी जाती है। दूसरे शब्दों में, “व्यक्तिगत भिन्नताओं का अर्थ एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से रूप-रंग, शारीरिक गठन, बुद्धि, विशिष्ट योग्यताओं, रुचियों, उपलब्धियों, स्वभाव, व्यक्तित्व के गुणों आदि में भिन्नता से है। कोई भी दो व्यक्ति शारीरिक गठन, बुद्धि, रुचियों, व्यक्तित्व के गुणों आदि में समान नहीं पाये जाते हैं।”

व्यक्तिगत भिन्नता की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नांकित हैं-

जेम्स ड्रेवर के अनुसार, “औसत समूह से मानसिक, शारीरिक विशेषताओं के सन्दर्भ में समूह के सदस्य के रूप में भिन्नता या अन्तर को वैयक्तिक भिन्नता कहते हैं।”
स्किनर के अनुसार, “मापन किया जाने वाला व्यक्तित्व का प्रत्येक पक्ष वैयक्तिक भिन्नता का अंश हैं।”
टॉयलर के अनुसार, “शरीर के आकार और रूप, शारीरिक कार्य, गति की क्षमताओं, बुद्धि, उपलब्धि, ज्ञान, रुचियों, अभिवृत्तियों और व्यक्तित्व के लक्षणों में मापी जाने वाली भिन्नताओं को वैयक्तिक भिन्नताओं के अन्तर्गत रखा जा सकता है।”

व्यक्तिगत विभिन्नताओं के कारण
(Causes of Individual Differences)

व्यक्तिगत विभिन्नताओं के अनेक कारण हैं जिनमें प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

1. वंशानुक्रम-कुछ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्तिगत भिन्नताओं का मूल कारण वंशानुक्रम है। प्रायः देखा गया है कि बुद्धिमान माता-पिता की सन्तान बुद्धिमान होती है और मन्द-बुद्धि माता-पिता की सन्तान मन्द-बुद्धि। अपराधी व्यक्ति की सन्तान में भी अपराध की प्रवृत्ति पायी जाती है। इसी प्रकार कुछ अन्य गुण-अवगुणों का भी हस्तान्तरण आनुवंशिक रूप से होता रहता है।
2. वातावरण-व्यक्तिगत भिन्नता का अन्य महत्त्वपूर्ण कारण वातावरण है। भौतिक वातावरण द्वारा व्यक्ति की लम्बाई, रंग, रूप तथा आचार-विचार प्रभावित होते हैं, जबकि सामाजिक वातावरण व्यक्ति की सामाजिक मान्यताओं का निर्धारण करता है। वातावरण की भिन्नता के कारण ही ठण्डे देश के निवासी गोरे, लम्बे तथा शक्तिवान होते हैं, उनमें श्रम करने की प्रवृत्ति होती है। इसके विपरीत गरम देशों के व्यक्ति काले, ठिगने तथा आलसी होते हैं।
3. लिंग-भेद-लिंग-भेद के कारण ही बालक और बालिकाओं की शारीरिक बनावट, सोचने-विचारने तथा बौद्धिक क्षमताओं में अन्तर पाया जाता है। बालकों में शारीरिक कार्य करने की अधिक क्षमता होती है तो बालिकाओं में सहनशीलता का गुण अधिक मात्रा में पाया जाता है। बालिकाओं की स्मरण शक्ति बालकों की अपेक्षा तीव्र होती है। यदि बालक गणित और विज्ञान में अधिक कुशाग्र होते हैं तो बालिकाएँ साहित्य और कला में विशेष निपुण होती हैं। बालिकाओं का हस्तलेख बालकों से अधिक सुन्दर और आकर्षक होता है।
4. जाति, प्रजाति और देश-जाति, प्रजाति और देश का भी व्यक्तिगत विभिन्नताओं पर विशेष प्रभाव पड़ता है। वैश्य व्यापार में निपुण होते हैं, तो ब्राह्मण अध्ययन और अध्यापन में। क्षत्रिय अपनी युद्धप्रियता के लिए प्रसिद्ध हैं। इसी प्रकार प्रादेशिक भिन्नता भी प्रभाव डालती है। भारत में प्रादेशिक भिन्नता का प्रभाव विशेष रूप से देखा जा सकता है।
5. आयु और बुद्धि का प्रभाव-आयु और बुद्धि का प्रभाव भी व्यक्तिगत भिन्नता पर पड़ता है। आयु के आधार पर ही बालक को शारीरिक, मानसिक और भावात्मक विकास होता है। इस प्रकार आयु के कारण भी बालकों में भिन्नता पायी जाती है। बुद्धि जन्मजात गुण है। अत: कोई बालक प्रतिभाशाली होता है, तो कोई मूढ़।
6. शिक्षा और आर्थिक दशा-शिक्षा व्यक्ति में पर्याप्त परिवर्तन कर देती है। जो व्यक्ति साक्षर होते हैं, वे निरक्षर व्यक्तियों से काफी भिन्नताएँ रखते हैं। शिक्षित व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास निरक्षर व्यक्ति की अपेक्षा अधिक अच्छा होता है। शिक्षा के समान ही आर्थिक दशा का प्रभाव भी व्यक्तिगत भिन्नता पर पड़ता है। अक्सर निर्धन बालक अभावग्रस्त और लालची होते हैं। उनमें हीनता की भावना भी पायी जाती है, परन्तु धन की अधिकता भी बालकों को भ्रष्ट कर देती है।



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