InterviewSolution
| 1. |
Write the summary of ' भरत '. |
|
Answer» ऋषि के आश्रम का दृश्य : आश्रम में शकुंतला का पुत्र भरत एक सिंहशावक के साथ खेल रहा है। वह उसके दाँत गिनना चाहता है। आश्रम में रहनेवाली दो तपस्विनियाँ उसे रोकने का प्रयत्न करती हैं। राजा दुष्यंत एक पेड़ के पीछे छिपकर यह दृश्य देख रहे हैं। बालक के प्रति राजा दुष्यंत के मन में स्नेह उमड़ता है। खिलौना देने का लालच : एक तपस्विनी खिलौना देने का लालच बताकर बालक से सिंहशावक को छोड़ देने के लिए कहती है। बालक खिलौना लिए बिना उसे छोड़ना नहीं चाहता। तब उस तपस्विनी को दूसरी तपस्विनी मिट्टी का मोर लाने के लिए भेजती है। बालक ऋषिकुमार नहीं : बालक सिंह के बच्चे को नहीं छोड़ता तो एक तपस्विनी दुष्यंत से कहती है कि वह बालक को समझाए। दुष्यंत बालक को ‘ऋषिकुमार’ कहकर संबोधित करता है। दुष्यंत के कहने पर बालक सिंहशावक को छोड़ देता है। तपस्विनी दुष्यंत को बताती है कि बालक ऋषिपुत्र नहीं है, पुरुवंशी है। तपस्विनी को इन बातों से आश्चर्य होता है, बालक की सूरत राजा दुष्यंत की सूरत से मिलती है और बालक दुष्यंत को नहीं पहचानता फिर भी उनकी बात मान ली। शकुंत-लावण्य : एक तपस्विनी बालक को मिट्टी का मोर लाकर देती है और उससे ‘शकुंत-लावण्य (पक्षी का सौंदर्य)’ देखने के लिए कहती है। ‘शकुंत-ला’ शब्द सुनकर बालक उसे अपनी माँ का नाम समझ लेता है। राजा दुष्यंत को अपनी पत्नी ‘शकुंतला’ की याद आती है, जिसका उन्होंने त्याग कर दिया था। रक्षाबंधन : सिंहशावक के साथ खेलते समय बालक की बाँह में बँधा हुआ रक्षा का धागा (रक्षाबंधन) जमीन पर गिर जाता है। दुष्यंत उसे उठा लेते हैं, तो तपस्विनियों को बहुत अचरज होता है। वे बताती हैं कि इस रक्षाबंधन को बालक के माता-पिता को छोड़कर यदि दूसरा कोई उठाए तो वह साँप बनकर उसे इस तरह यह निश्चित हो जाता है कि भरत (सर्वदमन) नामक वह बालक दुष्यंत और शकुंतला का ही पुत्र है। |
|