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दुष्यंत को ऐसा कब लगता है कि उनका मनोरथ पूरा हुआ?

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बालक सर्वदमन की दाई बाँह में एक रक्षा का धागा बँधा हुआ था। इस रक्षाबंधन का नाम ‘अपराजित’ था। सिंहशावक के साथ खेलते समय वह धागा बालक की बाँह से नीचे गिर गया था। दुष्यंत जब उसे उठाने लगे तो तपस्विनियों ने उन्हें रोका, फिर भी उन्होंने उसे उठा लिया। तपस्विनियों को आश्चर्यचकित देखकर दुष्यंत ने उसका कारण पूछा। तपस्विनियों ने कहा – यदि यह धागा जमीन पर गिर जाए तो उसे बालक के माता-पिता के सिवाय दूसरा कोई नहीं उठा सकता। अगर कोई उठा ले तो यह साँप बनकर उसे डस लेता है। ऐसा अनेक बार हो चुका था। परंतु धागा उठाने पर दुष्यंत को कुछ नहीं हुआ। इससे सिद्ध हो गया कि वे ही बालक के पिता हैं। तब राजा दुष्यंत को लगता है कि उनका मनोरथ पूरा हुआ।



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