1.

यदि न्यायालय ने वाद कारण के अधिकांश सारवान तत्वों का निराकरण कर दिया है तो पुन: मुकदमा दायर नहीं कियाजा सकता।" इस कथन की विवेचना कीजिये तथा विशेषताओं को भी स्पष्ट कीजिये।​

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ANSWER:

सिविल प्रक्रिया संहिता में आदेश 7 में वाद पत्र बाबत नियम बनाए गए है।सबसे पहले वाद पत्र क्या है इसे समझना व जानना आवश्यक है।

"वादपत्र वादी की और से न्यायालय में पेश किया गया वह लेख होता है जिसमे वह उन तथ्यों को अभिकथन करता है जिसके आधार पर न्यायालय से अपने अनुतोष की मांग करता है।"

सिविल अनुतोष पाने के लिए न्यायिक प्रक्रिया का आरम्भ वादपत्र पेश किये जाने पर होता है।वादपत्र में वर्णित तथ्यों पर ही वाद की सफलता निर्भर करती है।यदि वादपत्र ठोस आधारों से प्रस्तुत किया जाता है तभी वाद सफल होने व वाद का संचालन भी ठीक से होता है।कहने का मतलब यह है कि वादपत्र ही वाद की आधारशिला है जिस पर वादी अपने मामले की ईमारत बनाता है।कहने का मतलब यह हे कि वादी योग्य और ठोस तथ्यों व क़ानूनी खामिया रहित वाद पेश करता है उसे असफलता का भय नहीं रहता है।इस कारण संहिता में उपबंधित प्रावधानों की जानकारी आवश्यक है।

"वादपत्र में दर्ज की जानेवाली अन्तर्वस्तुओ एवम अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं आदेश 7 में की गयी है ।"

आदेश7नियम1सी पी सी--

वादपत्र की अन्तर्वस्तुये--

(क) उस न्यायालय का नाम जिसमे वाद लाया जाता है;

(ख) वादी का नाम पता व आयु तथा निवास स्थान;

(ग)प्रतिवादी का नाम ,पता, आयु, तथा निवास स्थान;

(घ) यदि वादी या प्रतिवादी दोनों में से कोई अवयस्क है तो उस आशय का कथन;

(ड़) वे तथ्य जिनसे वाद कारण पैदा होता है और वह किस समय पैदा हुआ;

(च) यह दर्शित करने वाले तथ्य कि न्यायालय को क्षेत्राधिकार है;

(छः) वह अनुतोष जिसका वादी दावा करता है;

(ज) जहा वादी ने कोई मुजरा अनुज्ञात किया है या अपने दावा का कोई भाग त्याग दिया है वहाँ ऐसी अनुज्ञात की गयी या त्यागी गयी रकम;तथा

(झ) अधिकारिता के और न्यायालय फीस के लिये वाद की विषय वस्तु के मूल्य का ऐसा कथन उस मामले में होगा।

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