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योजना पद्धति का कोई एक उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।

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योजना पद्धति एक उदाहरण
(An Example of Project Method)

प्रोजेक्ट या योजना दो प्रकार के होते हैं- सरल और बहुपक्षीय। जिसमें एक ही काम होता है, उसे सरल प्रोजेक्ट कहते हैं; जैसे-रोटी पकाना, बाजार से कुछ सामान लाना आदि। बहुपक्षीय प्रोजेक्ट उसे कहते हैं, जिनके द्वारा बालकों को एक साथ कई विषयों का ज्ञान मिल जाता है; जैसे—सीमेण्ट की दीवार बनाना, विद्यालयों में पानी का प्रबन्ध करना, नाटक करना आदि। सी० डब्ल्यू० स्टोन (C. W. Stone) ने पार्सल भेजने के एक बहुपक्षीय प्रोजेक्ट का उल्लेख किया है, जिसके माध्यम से पाठ्यक्रम के कई विषयों की शिक्षा दी जाती है। इस प्रोजेक्ट के अनुसार चौथी कक्षा के विद्यार्थी अपने दूरवर्ती मित्रों तथा सम्बन्धियों को पार्सल भेजने का निश्चय करते हैं और उससे सम्बन्धित योजना तैयार करते हैं। इस पार्सल को डाक द्वारा भेजने के कार्य में बालक पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों का ज्ञान निम्नलिखित तरीकों से प्राप्त करते हैं|

1. वार्तालाप- सर्वप्रथम बालक पार्सल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के सम्बन्ध में वार्तालाप प्रारम्भ करते हैं। इससे उन्हें डाक सम्बन्धी अनेक स्थानों एवं नियमों का ज्ञान हो जाता है। इसके साथ-ही-साथ उनकी बोलने, सोचने तथा तर्क करने की शक्ति का विकास होता है।
2. इतिहास- इतिहास के घण्टे में बालक भिन्न-भिन्न काल में डाक भेजने के साधनों से परिचय प्राप्त करता है। इससे उन्हें टिकटों के बारे में, विभिन्न देशों व प्रान्तों के निवासियों के बारे में पता चल जाता है।
3.हस्त-कार्य- हस्त-कार्य के घण्टे में बालक स्वयं पार्सल बनाकर उस पर कागज लपेटते हैं। इससे उन्हें कागज के मोड़ने, काटने तथा प्रयोग करने की विधियों का ज्ञान हो जाता है। इसके साथ-ही-साथ उन्हें कागज बनाने का तरीका भी पता चल जाता है। वे जान जाते हैं कि पार्सल को लपेटने के लिए किस प्रकार के कागज को प्रयोग करना चाहिए
4. भाषा-भाषा के घण्टे में बालक पार्सलों पर अपने मित्रों का पता लिखते हैं। इसके पश्चात् वे अपने मित्रों तथा सम्बन्धियों को पत्र लिखते हैं। इस प्रकार वे लिखने तथा पत्र-व्यवहार करने की योग्यता का विकास करते हैं। इसके बाद वे यह जानने का प्रयास करते हैं कि पत्र किस प्रकार पोस्ट किए जाते हैं। पत्र भेजने तथा पार्सल भेजने के क्या-क्या नियम हैं और निर्दिष्ट स्थान पर पहुँचने में कितना समय लगता है। आदि।
5. भूगोल- भूगोल के घण्टे में बालक मानचित्र की सहायता से उन स्थानों की स्थिति के विषय में ज्ञान प्राप्त करते हैं, जहाँ वे पार्सल भेजना चाहते हैं। इससे उन्हें पता चल जाता है कि वह स्थान कितनी दूर है, वहाँ पहुँचने के कौन-से साधन हैं, कौन-कौन सी रेलवे लाइनें जाती हैं और वे किस-किस प्रदेश में से निकलकर निर्दिष्ट स्थान पर पहुँचती हैं ? उन्हें यह भी ज्ञात हो जाता है कि जिन स्थानों पर रेलवे लाइन का अभाव है, वहाँ पार्सल किस प्रकार से भेजा जाएगा।
6. भ्रमण-इसके बाद बालक शिक्षक के साथ डाकखाने जाते हैं और डाकखाने के विभिन्न कार्यों का ज्ञान प्राप्त करते हैं। उन्हें यह मालूम हो जाता है कि उन्हें अपने पार्सलों को तोलना है, वजन के हिसाब से टिकट लगाना है और पोस्ट ऑफिस से रजिस्ट्री करानी है।
7. अंकगणित- इसके लिए बालक अपने-अपने पार्सलों को तोलते हैं और उन पर वजन के हिसाब से टिकट लगाते हैं। इससे उन्हें जोड़ना, घटाना, गुणा आदि आ जाता है। इससे उन्हें पता चल जाता है कि पार्सल भेजने में कुल कितना धन व्यय हुआ है। इस उदाहरण से यह स्पष्ट है कि प्रोजेक्ट के माध्यम से बालक भिन्न-भिन्न विषयों का ज्ञान प्राप्त करते हैं। इस प्रकार योजना फ्द्धति बालकों को व्यावहारिक ज्ञान की शिक्षा प्रदान करती है।



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