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1.

मालवीय जी की अनुशासन सम्बन्धी मान्यता क्या थी?

Answer»

मालवीय जी आत्मानुशासन तथा प्रभावात्मक अनुशासन के पक्ष में थे। वे दमनात्मक अनुशासन के विरुद्ध थे।

2.

मालवीय जी के शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

मालवीय जी शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन अनिवार्य मानते थे, परन्तु मालवीय जी दमनात्मक अनुशासन तथा बाह्य अनुशासन के विरोधी थे। वे अनुशासन की स्थापना के लिए शारीरिक दण्ड को महत्त्व नहीं देते थे। उनका प्रभावात्मक अनुशासन में दृढ़ विश्वास था। वे विद्यार्थी के लिए ब्रह्मचर्य एवं इन्द्रिय-निग्रह को आवश्यक मानते थे। उनका कहना था कि बालक को मन, वचन और कर्म पर नियन्त्रण रखना चाहिए। इस प्रकार वे आत्मीनुशासन के पक्ष में थे। उनका विचार था कि विद्यालय एवं कक्षा में अनुशासन बनाए रखने में शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि शिक्षके स्वयं आदर्श चरित्रवान तथा उत्तम गुणों से युक्त हो तो छात्र उसका अनुकरण करके स्वत: ही अनुशासित रहते हैं।

3.

टैगोर के शिक्षा में अनुशासन सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

टैगोर बाह्य अनुशासन तथा दमनात्मक अनुशासन का विरोध करते थे और आत्म-अनुशासन तथा आन्तरिक अनुशासन को स्वाभाविक मानते थे। उनका मत था कि जब बालकों की स्वतन्त्र क्रिया में बाधा पहुँचती है, तभी वे अनुशासनहीनता से कार्य करते हैं। टैगोर के अनुसार, “वास्तविक अनुशासन का अर्थ है, अपरिपक्व एवं स्वाभाविक आवेगों की अनुचित उत्तेजना और अनुचित दिशाओं में विकास से सुरक्षा। स्वाभाविक अनुशासन की इस स्थिति में रहना छोटे बालकों के लिए सुखदायक है। यह उनके पूर्ण विकास में सहायक होता है।”

4.

टैगोर के शिक्षा के पाठ्यक्रम सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

टैगोर ने भारतीय विद्यालयों के तत्कालीन पाठ्यक्रम को दोषपूर्ण क्ताया और एक व्यापक पाठ्यक्रम बनाने का सुझाव दिया। उनका मत था कि पाठ्यक्रम इतना व्यापक होना चाहिए कि वह बालक के सभी पक्षों का विकास कर सके। इस दृष्टि से उन्होंने पाठ्यक्रम के अन्य विषयों के साथ-साथ क्रियाओं को भी स्थान दिया। उनका विश्वभौरती का पाठ्यक्रम क्रिया-प्रधान पाठ्यक्रम था। विश्वभारव्री के पाठ्यक्रम में आज भी इतिहास, भूगोल, विज्ञान, साहित्य, प्रकृति अध्ययन आदि विषयों के साथ विभिन्न क्रियाओं; जैसे-अभिनय, नृत्य, संगीत, भ्रमण, बागवानी, समाज-सेवा आदि विषय सम्मिलित

5.

टैगोर द्वारा स्थापित अति प्रसिद्ध शिक्षण संस्था का नाम क्या है?

Answer»

टैगोर द्वारा स्थापित अति प्रसिद्ध शिक्षण संस्था का नाम है–विश्वभारती।

6.

प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री एनी बेसेण्ट का जन्म कब और किस देश में हुआ था?

Answer»

एनी बेसेण्ट का जन्म सन् 1847 ई० में लन्दन में हुआ था।

7.

टैगोर को नोबेल पुरस्कार उनकी किस पुस्तक पर प्रदान किया गया था?

Answer»

टैगोर को ‘गीतांजलि’ नामक पुस्तक पर नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।

8.

टैगोर को किस अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था?

Answer»

टैगोर को नोबेल पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था।

9.

ग्रामीण शिक्षा के विषय में टैगोर के विचारों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

टैगोर ने ग्रामीण शिक्षा पर भी विशेष बल दिया, क्योंकि भारत की ग्रामीण जनता अशिक्षित है। ग्रामीण शिक्षा के अन्तर्गत उन्होंने कीर्तन, भजन, हरिसभा, धर्म-चर्चा, लोकगीत आदि व्यवस्था पर बल दिया। इसके साथ-ही-साथ इसमें ग्रामीण उद्योगों, सफाई, कृषि एवं उपयोगी व्यवसायों को भी सम्मिलित करने का सुझाव दिया। उनके अनुसार ग्रामीण जनता शिक्षित होकर ही जीवन में प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकती है।

10.

टैगोर मूल रूप से क्या थे?

Answer»

टैगोर मूल रूप से कवि एवं साहित्यकार थे।

11.

विश्वभारती में किस स्तर की शिक्षा दी जाती है?

Answer»

विश्वभारती में विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा दी जाती है।

12.

शिक्षा के माध्यम के विषय में मालवीय जी के विचार क्या थे?यापण्डित मदन मोहन मालवीय के अनुसार शिक्षा के माध्यम का उल्लेख कीजिए।

Answer»

मालवीय जी (हिन्दी, हिन्दू-हिन्दुस्थान के नारे के प्रबल समर्थक थे। यही कारण था कि उन्होंने पाश्चात्य सभ्यता में पलकर भी मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा देने पर बल दिया। उनका मत था कि देशवासियों को एकता के सूत्र में बाँधने के लिए एक सामान्य भाषा होनी चाहिए और यह भाषा केवल हिन्दी ही हो सकती है, क्योंकि हिन्दी जनजीवन के बोलचाल की भाषा है। इसीलिए उन्होंने कहा कि प्राथमिक से लेकर उच्च स्तर तक हिन्दी को शिक्षा का माध्यम बना देना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने उच्च शिक्षा स्तर पर अंग्रेजी भाषा को माध्यम बनाने की बात कुछ व्यावहारिक कठिनाइयों के कारण स्वीकार की थी।

13.

धार्मिक शिक्षा तथा राष्ट्रीय शिक्षा के विषय में गाँधी जी के विचारों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

गाँधी जी के अनुसार व्यक्ति के अन्दर सब गुणों एवं मूल्यों को विकास करना ही उसे धार्मिक शिक्षा देना है। धार्मिक शिक्षा के अन्तर्गत गाँधी जी ने सार्वभौमिक धर्म के सिद्धान्तों एवं उपदेशों का ज्ञान तथा सत्य, अहिंसा और प्रेम की शिक्षा को सम्मिलित किया था। गाँधी जी का मत था कि राष्ट्रीय शिक्षा के माध्यम से ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जो राष्ट्रीय भावना, देशप्रेम एवं जागरूकता की भावना का विकास करे। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा की एक योजना का भी निर्माण किया, जो बेसिक शिक्षा के नाम से विख्यात है।

14.

टैगोर द्वारा दिया गया मानवतावादी नारा क्या है?

Answer»

टैगोर द्वारा दिया गया मानवतावादी नारा है-वसुधैव कुटुम्बकम्।

15.

आधुनिक शिक्षाशास्त्री रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म कब हुआ थोर उनके पिता का क्या नाम था?

Answer»

आधुनिक शिक्षाशास्त्री रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 6 मई, 1861 में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था।

16.

रबीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन-परिचय संक्षेप में लिखिए।

Answer»

रबीन्द्रनाथ टैगोर भारतीय मनीषा के आकाश के एक देदीप्यमान नक्षत्र थे। मूलत: एक कवि और संगीतज्ञ होते हुए भी वे एक नाटककार, उपन्यासकार, कहानी लेखक, चित्रकार, अभिनेता, एक शिक्षाशास्त्री तथा उच्चकोटि के विचारक थे। उनका जन्म 6 मई, 1861 ई० को हुआ था। 17 वर्ष की आयु में उन्होंने एक कविता लिखकर अपनी अलौकिक प्रतिभा का परिचय दिया। 1878 ई० में उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड को प्रस्थान किया और वहाँ से 1880 ई० में ये स्वदेश लौटे। 1901 ई० में इन्होंने शान्ति निकेतन में एक विद्यालय स्थापित किया, जिसने आज विश्वभारती विश्वविद्यालय का रूप धारण कर लिया है। सन् 1913 में इन्होंने अपनी उत्कृष्ट साहित्यिक कृति ‘गीतांजलि’ पर नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। सन् 1927 में इन्होंने ‘संध्या गीत’ नामक पुस्तक की रचना की। 17 अगस्त, 1941 में इनका स्वर्गवास हो गया। साहित्यकार के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा के कारण इन्होंने संगीत, कहानी, उपन्यास, नाटक, कविता आदि में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। ये न केवल एक साहित्यकार वरन् एक कर्मठ शिक्षाशास्त्री भी थे।

17.

विद्यालय के आधार पर रबीन्द्रनाथ टैगोर के शैक्षिक विचारों की व्याख्या कीजिए।

Answer»

मेरा विद्यालय (My School) निबन्ध में उन्होंने शान्ति निकेतन में स्थापित अपने विद्यालय के कार्यक्रम और उसकी योजना का वर्णन किया है। आश्रम में रहकर आवासी शिक्षा, प्रकृति में और प्रकृति के द्वारा शिक्षा की व्यवस्था और आध्यात्मिक शिक्षा के सम्बन्ध में उनके विचार इस निबन्ध में दुहराए गए हैं। उन्होंने बताया है कि स्कूल में आदर्श वातावरण का श्रेय ‘‘मेरे किसी नए शिक्षा सिद्धान्त को नहीं अपितु मेरे स्कूली दिनों की स्मृति को ही है।” टैगोर ने महले किसी सिद्धान्त का प्रचार करके उसके आधार पर विद्यालय की स्थापना नहीं की थी। उन्होंने अनुभव किया कि कुछ किया जाना आवश्यक है। उन्हें सूझा और इसको रूप दे दिया। उनका कहना था कि बच्चों को वास्तविक सुख, स्वतन्त्रता, स्नेह और सहानुभूति से अब और अधिक देर तक वंचित नहीं रखना चाहिए, शैशवकाल में शिशु को जीवन की पूरी बँट पिलानी चाहिए इसके लिए इसकी प्यास अनन्त है। शिशु के मन को इस विचार से पूरा भर देना चाहिए।

टैगोर ने अपने विद्यालय में निम्नलिखित तत्त्वों पर बल दिया

⦁    विद्यालय प्राकृतिक वातावरण में स्थापित किया जाए।
⦁    विद्यालय का संचालन प्राचीन तपोवनों की व्यवस्था पर किया जाए।
⦁    विद्यालय में छात्रों को आध्यात्मिक मूल्यों का प्रशिक्षण दिया जाए।
⦁    विद्यालय में प्रकृति तथा प्राकृतिक तत्त्वों के प्रति संवेदना की भावना का विकास किया जाए।
⦁    विद्यालय में छात्रों के लिए स्वतन्त्रता का वातावरण प्रदान किया जाए।
⦁    विद्यालय छात्रों में वातावरण के लिए जागरूकता का विकास करें।
⦁    विद्यालय छात्रों को इस प्रकार के वातावरण में शिक्षित करे जो जीता-जागता हो तथा अध्यापक वे छात्र के परस्पर प्रभावी सम्पर्क पर आधारित हो।
⦁    विद्यालय छात्रों को उनकी मातृभाषा में शिक्षण दे।
⦁    प्रभावी आत्मीय छात्र-अध्यापक सम्पर्क के लिए आवश्यक है कि कक्षा में छात्रों की संख्या कम हो।
⦁    विद्यालय में शारीरिक श्रम के लिए प्रावधान किया जाए।
⦁    विद्यालय में समृद्ध पुस्तकालय हो।
⦁    विद्यालय में कई शिल्पों (Crafts); जैसे–सिलाई, जिल्दसाजी, बुनाई तथा बढ़ईगीरी के सिखाने की व्यवस्था की जाए।
⦁    विद्यालय में ड्राइंग, कला तथा संगीत को पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाया जाए।
⦁    विद्यालय में छात्रों के चुनाव के लिए अनेक पाठान्तर क्रियाओं की व्यवस्था की जाए।
⦁    विद्यालय में किसी भी प्रकार से जाति तथा धर्म के आधार पर भेद-भाव न किया जाए।
⦁    विद्यालय स्वशासित संस्था के आधार पर चलाया जाए जिसमें डेरी फार्म, डाकघर, अस्पताल तथा कार्यशाला हो।
⦁    विद्यालय में छात्र स्वयं न्यायालय का संचालन करें।
⦁    अध्यापक अपने व्यक्तित्व से छात्रों को प्रभावित करें।

18.

प्रौढ़-शिक्षा के विषय में गाँधी जी के विचारों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

गाँधी जी प्रौढ़-शिक्षा की व्यवस्था को आवश्यक मानते थे। वे प्रौढ़-शिक्षा के द्वारा भारतीयों को इसे योग्य बनाना चाहते थे, जिससे वे समाज के साथ अपना समायोजन कर सकें। गाँधी जी ने प्रौढ़-शिक्षा का एक विस्तृत कार्यक्रम बनाया, जिसके द्वारा उन्होंने प्रौढ़ों के ज्ञान, स्वास्थ्य, अर्थ, संस्कृति एवं सामाजिकता का विकास करने का प्रयास किया। प्रौढ़-शिक्षा के पाठ्यक्रम में उन्होंने साक्षरता प्रसार, सफाई, स्वास्थ्य-रक्षा, समाज-कल्याण, व्यवसाय, उद्योग, पारिवारिक बातें, संस्कृति, नैतिकता आदि को सम्मिलित किया।

19.

पिछड़े वर्गों की शिक्षा के विषय में एनी बेसेण्ट के विचार लिखिए।

Answer»

भारतीय समाज में एक ऐसा भी वर्ग है, जो सदियों से उपेक्षित होता चला जा रहा है। इस वर्ग में घृणित मनोवृत्तियाँ, पिछड़ा रहन-सहन एवं खानपान तथा अभद्र रीति-रिवाजों का आधिक्य होता है। एनी बेसेण्ट के मतानुसार इस वर्ग के लिए कुछ अधिक सुविधाएँ एवं नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। इनकी शिक्षा में धार्मिक एवं नैतिक शिक्षा को विशेष स्थान देना चाहिए।

20.

गाँधी जी के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक के आवश्यक गुणों एवं भूमिका का उल्लेख कीजिए।

Answer»

गाँधी जी का कथन था कि शिक्षा की बहुत कुछ सफलता शिक्षकों पर निर्भर है। अत: शिक्षक ऐसे होने चाहिए जो मानवीय गुणों से युक्त हों, बालकों की जिज्ञासा और उत्सुकता को बढ़ाएँ और उनकी भावनाओं, रुचियों और आवश्यकताओं का मार्गदर्शन करें तथा उनकी चिन्ताओं व समस्याओं को सुलझाएँ। उन्हें स्थानीय परिस्थितियों का पूर्ण ज्ञान हो जिससे कि वे स्थानीय व्यवसायों, हस्तकार्यों एवं उद्योग-धन्धों की शिक्षा के लिए उनका सफलतापूर्वक उपयोग कर सकें। गाँधी जी के अनुसार शिक्षकों को बालकों का विश्वासपात्र बन जाना चाहिए और उन्हें अपने उत्तरदायित्वों को पूर्णरूप से निभाने का प्रयास करना चाहिए।

21.

गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

Answer»

गाँधी जी के अनुसार व्यक्ति के शरीर, मस्तिष्क और आत्मा में निहित सर्वोत्तम गुणों का सर्वांगीण विकास ही शिक्षा है।

22.

जन-शिक्षा के विषय के गाँधी जी का क्या विचार था?

Answer»

गाँधी जी जन-शिक्षा के प्रबल समर्थक थे, उनके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का शिक्षित होना अनिवार्य है।

23.

शान्ति निकेतन का वर्तमान नाम है(क) विश्वभारती(ख) शान्ति विद्यापीठ(ग) टैगोर विश्वविद्यालय(घ) केन्द्रीय विश्वविद्यालय

Answer»

सही विकल्प है (क) विश्वभारती

24.

रबीन्द्रनाथ टैगोर ने ‘सर’ की उपाधि ब्रिटिश सरकार को क्यों लौटा दी थी?

Answer»

रबीन्द्रनाथ टैगोर ब्रिटिश सरकार द्वारा की गयी जलियाँवाला बाग की दुर्घटना से अत्यधिक दु:खी थे। अत: उन्होंने अपना रोष प्रकट करने के लिए ‘सर’ की उपाधि ब्रिटिश सरकार को लौटा दी थी।

25.

प्रौढ़-शिक्षा के विषय में एनी बेसेण्ट के विचारों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

एनी बेसेण्ट के अनुसार भारत में प्रौढ़-शिक्षा की व्यवस्था भी अति आवश्यक थी। उनके अनुसार उन प्रौढ़ व्यक्तियों के लिए प्रौढ़ शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए जो विभिन्न कारणों से सामान्य विद्यालयी शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाये हों। उनके मतानुसार प्रौढ़ शिक्षा व्यवस्था के लिए रात्रि पाठशालाओं की स्थापना की जानी चाहिए। इन पाठशालाओं के माध्यम से प्रौढ़ स्त्री-पुरुषों को शिक्षा प्रदान की जा सकती है।

26.

ग्रामीण शिक्षा के विषय में एनी बेसेण्ट के विचारों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

एनी बेसेण्ट के समय में भारत के गाँवों में अज्ञानता का अन्धकार फैला हुआ था। अंग्रेज़ों ने भारतीय ग्रामीणों की शिक्षा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया था, क्योंकि वे भारतीयों को अज्ञानी ही रखना चाहते थे। एनी बेसेण्ट ने अंग्रेजों की इस नीति की कटु आलोचना करते हुए इस बात पर बल दिया कि राष्ट्रीय-जागृति उत्पन्न करने के लिए गाँवों में शिक्षा का प्रसार होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण शिक्षा में कृषि, उद्योग और कला-कौशल को प्रधानता देनी चाहिए और इसके साथ-ही-साथ लिखने-पढ़ने की शिक्षा भी देनी चाहिए।

27.

एनी बेसेण्ट के स्त्री-शिक्षा सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

एनी बेसेण्ट ने स्त्री-शिक्षा पर विशेष बल दिया, क्योंकि उनका विचार था कि यदि स्त्रियों को समुचित शिक्षा प्राप्त हो जाए तो वे आदर्श पत्नियाँ एवं माँ बनकर व्यक्ति, परिवार, समाज एवं राष्ट्र का कल्याण करेंगी। एनी बेसेण्ट ने बालिकाओं के लिए नैतिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, कलात्मक शिक्षा (सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, संगीत, कला), साहित्यिक शिक्षा और वैज्ञानिक शिक्षा का समर्थन किया है।

28.

श्रीमती एनी बेसेण्ट किस महान संस्था की सक्रिय सदस्या थीं?

Answer»

श्रीमती एनी बेसेण्ट महान् संस्था ‘थियोसोफिकल सोसायटी’ की सक्रिय सदस्या थीं।

29.

गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य क्या है?यागाँधी जी की शिक्षा प्रणाली में शिक्षा का अन्तिम उद्देश्य क्या है?

Answer»

गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य आत्मानुभूति तथा ईश्वर की प्राप्ति है।

30.

श्रीमती एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा के अर्थ, उद्देश्यों तथा पाठ्यक्रम का उल्लेख कीजिए।याएनी बेसेण्ट के शैक्षिक विचारों का उल्लेख कीजिए।याडॉ० एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।याअधोलिखित प्रसंगों के ऊपर एनी बेसेण्ट के शैक्षिक विचारों को लिखिए⦁    शिक्षा का पाठ्यक्रम⦁    शिक्षण पद्धति⦁    शिक्षा के उद्देश्य या एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षण विधियाँ क्या हैं?

Answer»

एनी बेसेण्ट भारत की तत्कालीन शिक्षा प्रणाली से बहुत असन्तुष्ट थीं और उन्होंने उसकी कटु आलोचना भी की। उन्होंने प्रचलित शिक्षा को एकांगी और अव्यावहारिक बताते हुए कहा-“आजकल भारत में शिक्षा का उद्देश्य उपाधि प्राप्त करना है। शिक्षा तब असफल होती है, जब कि बहुत से असंयुक्त तथ्यों के द्वारा बालक का मस्तिष्क भर दिया जाता है और इन तथ्यों को उसके मस्तिष्क में इस प्रकार डाला जाता है, मानो रद्दी की टोकरी में फालतू कागज फेंके जा रहे हों और फिर उन्हें परीक्षा के कमरे में उलटकर टोकरी खाली कर देनी है।”

शिक्षा का अर्थ

एनी बेसेण्ट ने शिक्षा की परिभाषा देते हुए कहा है-“शिक्षा का अर्थ है बालक की प्रकृति के प्रत्येक पक्ष में उसकी सभी आन्तरिक क्षमताओं को बाहर प्रकट करना, उसमें प्रत्येक बौद्धिक व नैतिक शक्ति का विकास करना, उसे शारीरिक, संवेगात्मक, मानसिक तथा आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बनाना ताकि विद्यालय की अवधि के अन्त में वह एक उपयोगी देशभक्त और ऐसा पवित्र व्यक्ति बन सके जो अपना और अपने चारों ओर के लोगों का आदर करता है।”
एनी बेसेण्ट के अनुसार, शिक्षा और संस्कृति में घनिष्ठ सम्बन्ध है। इनके अनुसार जन्मजात शक्तियों या क्षमताओं का बाह्य प्रकाशन एवं प्रशिक्षण ही शिक्षा है। ये शक्तियाँ बालक को पूर्व जन्म से प्राप्त होती हैं। एनी बेसेण्ट के अनुसार, “शिक्षा एक ऐसी सांस्कारिक विधि या क्रिया है, जिसका फल संस्कृति है। व्यक्ति पर शिक्षा का प्रभाव अनवरत रूप से पड़ता रहता है और जैसे-जैसे संस्कारों की ऊर्ध्वगति होती जाती है, वे संस्कृति में बदलते जाते हैं।”

शिक्षा के उद्देश्य

एनी बेसेण्ट ने शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य बताये हैं

⦁    शारीरिक विकास–एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य शारीरिक विकास करना होना चाहिए, जिससे बालकों के स्वास्थ्य, शक्ति एवं सुन्दरता में वृद्धि हो सके।
⦁    मानसिक विकास–शिक्षा व्यक्ति को इसलिए देनी चाहिए जिससे वह अपनी विभिन्न मानसिक शक्तियों—चिन्तन, मनन, विश्लेषण, निर्णय, कल्पना आदि-का उचित विकास और प्रयोग कर सके।
⦁    संवेगों का प्रशिक्षण–एनी बेसेण्ट ने शिक्षा के द्वारा बालकों के संवेगात्मकें विकास पर बहुत बल दिया है। उन्होंने कहा है कि शिक्षा द्वारा व्यक्ति में उचित प्रकार के संवेग, अनुभूतियाँ और भाव उत्पन्न किये जाने चाहिए। शिक्षा के द्वारा सुन्दर और उत्तम के प्रति, दूसरों के सुख-दु:ख में सहानुभूति, माता-पिता एवं बड़ों का सम्मान, संमान अवस्था वालों के प्रति भाई-बहनों का-सा भाव और छोटों को बच्चों के समान तथा दूसरों के प्रति भुलाई का भाव उत्पन्न किया जाना चाहिए।
⦁    नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास-एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा के द्वारा बालकों का नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास भी होना चाहिए।
⦁    आदर्श नागरिक का निर्माण करना-शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को आदर्श नागरिक के गुणों से अलंकृत करना है, जिससे वह अपने आगे के सामाजिक, राजनीतिक एवं नागरिक जीवन में सुखी हो सके।

शिक्षा का पाठ्यक्रम

⦁    जन्म से 5 वर्ष तक का पाठ्यक्रम-इस अवस्था में बालक शारीरिक एवं मानसिक रूप से बहुत कोमल होता है और उसका विकास इच्छित दिशा में आसानी से किया जा सकता है। इस अवस्था में बालक के इन्द्रिय विकास पर अधिक ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इसी समय वह चलना-फिरना, बैठना-उठना, बोलना आदि सीखता है। अतः इस अवस्था के पाठ्यक्रम में शारीरिक क्रिया, खेलकूद, गणित, भाषा, गीत, धार्मिक पुरुषों की कहानियों आदि को सम्मिलित करना चाहिए।
⦁    5 से 7 वर्ष तक का पाठ्यक्रम-इस अवस्था के पाठ्यक्रम में गणित, भाषा, खेलकूद, सफाई और स्वास्थ्य की आदतों का निर्माण और प्रकृति निरीक्षण को शामिल किया जाए। इसके अतिरिक्त चित्रों एवं धार्मिक कहानियों की सहायता लेनी चाहिए, जिससे बालक का कलात्मक एवं धार्मिक विकास हो सके।
⦁    7 से 10 वर्ष तक का पाठ्यक्रम-इस अवस्था में बालक की वास्तविक और औपचारिक शिक्षा प्रारम्भ होती है। इसके अन्तर्गत मातृभाषा, संस्कृत, अरबी, फारसी, इतिहास, भूगोल, गणित, शारीरिक व्यायाम आदि विषयों को सम्मिलित करना चाहिए। इस स्तर पर शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए
⦁    10 से 14 वर्ष तक का पाठ्यक्रम-इस अवस्था में बालक माध्यमिक स्तर पर प्रवेश करते हैं। इसके पाठ्यक्रम के अन्तर्गत मातृभाषा, संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी, भूगोल, इतिहास, प्रकृति एवं कौशल आदि विषयों को सम्मिलित करना चाहिए।
⦁     14 वर्ष से 16 वर्ष तक का पाठ्यक्रम-यह हाईस्कूल की शिक्षा की अवस्था होती है। इसके पाठ्यक्रम को एनी बेसेण्ट ने चार भागों में विभाजित किया है

(क) सामान्य हाईस्कूल-

(अ) साहित्यिक–संस्कृत, अरबी, फारसी, अंग्रेजी, मातृभाषा।
(ब) रसायनशास्त्र-भौतिकशास्त्र, गणित, रेखागणित, बीजगणित आदि।
(स) प्रशिक्षण-मनोविज्ञान, शिक्षण कला, विद्यालय व्यवस्था, शिक्षण अभ्यास, गृह विज्ञान आदि।

(ख) तकनीकी हाईस्कूल-मातृभाषा, अंग्रेजी, भौतिक एवं रसायन विज्ञान, व्यावसायिक इतिहास, प्रारम्भिक इंजीनियरी, यन्त्र विद्या, विद्युत ज्ञान आदि।
(ग) वाणिज्य हाईस्कूल-विदेशी भाषाएँ, व्यापारिक व्यवहार, हिसाब-किताब, व्यापारिक कानून, टंकण,व्यापारिक इतिहास, भूगोल एवं शॉर्ट हैण्ड आदि।
(घ) कृषि हाईस्कूल-संस्कृत, अरबी, फारसी या पालि, मातृभाषा, ग्रामीण इतिहास, भूगोल, गणित हिसाब-किताब, कृषि सम्बन्धी प्रयोगात्मक, रासायनिक एवं भौतिक विज्ञान, भूमि की नाप आदि। इसके अतिरिक्त बालकों के शारीरिक विकास के लिए खेलकूद, व्यायाम हस्तकलाएँ, सामाजिक क्रियाएँ वे समाज सेवा के कार्य कराए जाएँ तथा साथ में भावात्मक विकास भी किया जाए।
6. 16 से 21 वर्ष तक का पाठ्यक्रम-उच्च शिक्षा के इस पाठ्यक्रम को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है

⦁    स्नातकीय पाठ्यक्रम-16 से 19 वर्ष तक की शिक्षा में बालकों को साहित्यिक, वैज्ञानिक, तकनीकी एवं कृषि की शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।
⦁    स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम-19 से 21 वर्ष तक की शिक्षा में भी उपर्युक्त विषयों की शिक्षा दी जानी चाहिए

शिक्षण-पद्धतियाँ

एनी बेसेण्ट ने इन विधियों के द्वारा शिक्षा देने पर अधिक बल दिया है

⦁    क्रियाविधि-एनी बेसेण्ट का कहना था कि बालक स्वभाव से क्रियाशील होते हैं और खेलों में उनकी रुचि होती है, इसलिए शिक्षा प्रदान करने के लिए खेल-कूद, कसरतें, कृषि, उद्योग व हस्तकार्यों की सहायता लेनी चाहिए। इससे बालकों का शारीरिक विकास होगा और उन्हें ज्ञानार्जन का अवसर भी प्राप्त होगी।
⦁    निरीक्षण विधि-एनी बेसेण्ट का कहना था किं बालकों को उचित वातावरण में शिक्षा प्रदान करने के लिए घर के बाहर वास्तविक क्षेत्र में ले जाकर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का निरीक्षण कराना चाहिए। इससे उनकी ज्ञानेन्द्रियों एवं कर्मेन्द्रियों का विकास होगा।
⦁    अनुकरण विधि-एनी बेसेण्ट का मत था कि बालकों में अनुकरण की प्रवृत्ति बहुत प्रबल होती है। इसलिए माता-पिता एवं शिक्षकों को चाहिए कि वे बालकों के सामने ऐसे व्यवहार प्रस्तुत करें, जिससे वे उनका अनुकरण कर अच्छे नैतिक आचरण का विकास करें।
⦁    स्वाध्याय विधि–उनका कहना था कि प्रत्येक विद्यार्थी को अध्ययन, चिन्तन एवं मनन में लीन रहना चाहिए। उच्च शिक्षा में इस विधि का बहुत महत्त्व है।
⦁    निर्देशन विधि-एनी बेसेण्ट का विचार था कि विद्यार्थियों को समय-समय पर शिक्षकों से अच्छे एवं उपयोगी निर्देश मिलते रहने चाहिए, जिससे विद्यार्थियों का आध्यात्मिक और मानसिक विकास होगा।
⦁    व्याख्यान विधि-एनी बेसेण्ट के अनुसार, उच्च शिक्षा के स्तर पर छात्रों को व्याख्यान विधि के द्वारा इतिहास, राजनीति, दर्शनशास्त्र, भूगोल, भाषा आदि की शिक्षा दी जानी चाहिए।
⦁    प्रायोगिक विधि-इस विधि का प्रयोग सभी क्रियाप्रधान और वैज्ञानिक विषयों के अध्ययन में किया जाना चाहिए; जैसे-भौतिक, रसायन और जीव विज्ञान, कला-कौशल, पाक विज्ञान, गृह-विज्ञान आदि।

31.

श्रीमती एनी बेसेण्ट को विशेष लगाव था(क) पाश्चात्य संस्कृति से(ख) भौतिक संस्कृति से।(ग) प्राचीन भारतीय संस्कृति से(घ) अंग्रेजी सभ्यता से

Answer»

सही विकल्प है (ग) प्राचीन भारतीय संस्कृति से

32.

एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा के मुख्य उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा के मुख्य उद्देश्य हैं-

⦁    शारीरिक विकास,
⦁    मानसिक विकास
⦁    संवेगों का प्रशिक्षण
⦁    नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास तथा
⦁    आदर्श नागरिकों को निर्माण

33.

एनी बेसेण्ट के अनुसार ग्रामीणों के लिए किस प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए?

Answer»

एनी बेसेण्ट के अनुसार ग्रामीणों के लिए कृषि, उद्योग एवं कला-कौशल की शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए, साथ ही उन्हें पढ़ने-लिखने की भी शिक्षा दी जानी चाहिए।

34.

कौन-सा भारतीय विश्वविद्यालय पूरब और पश्चिम के बीच जीवित सम्बन्धों की खोज और पारस्परिक सांस्कृतिक सौहार्द तथा विवेक को प्रोत्साहन देता है?

Answer»

विश्वभारती विश्वविद्यालय।

35.

मालवीय जी के अनुसार शिक्षा के पाठ्यक्रम के निर्धारण का आधार क्या होना चाहिए?

Answer»

मालवीय जी के अनुसार शिक्षा के पाठ्यक्रम के निर्धारण का आधार व्यक्ति, समाज, देश की आवश्यकता, संस्कृति एवं जीवन-दर्शन होना चाहिए।

36.

श्रीमती एनी बेसेण्ट मूल रूप से भारतीय न होकर(क) अंग्रेज थीं(ख) आइरिश थीं(ग) फ्रेंच थीं(घ) जापानी थीं।

Answer»

सही विकल्प है (ख) आइरिश थीं

37.

डॉ० एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा के माध्यम का उल्लेख कीजिए।

Answer»

डॉ० एनी बेसेण्ट का विचार था कि बच्चों की प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य रूप से मातृभाषा के माध्यम से होनी चाहिए। उच्च शिक्षा के लिए सुविधानुसार अंग्रेजी भाषा को भी माध्यम के रूप में अपनाया जा सकता है।

38.

शिक्षा के व्यावसायिक उद्देश्य का तात्पर्य बताइए।

Answer»

टैगोर के अनुसार, शिक्षा का व्यावसायिक उद्देश्य शिक्षार्थी को आत्मनिर्भर बनाना है जिससे वह अपनी जीविका स्वयं अर्जित कर सके तथा अपने परिवार का जीवन-यापन भी कर सके।

39.

रबीन्द्रनाथ का शिक्षा-दर्शन किस विचारधारा से प्रभावित है?(क) आदर्शवाद(ख) प्रकृतिवाद(ग) प्रयोजनवाद(घ) व्यवहारवाद

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सही विकल्प है (ख) प्रकृतिवाद

40.

निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य-⦁    श्रीमती एनी बेसेण्ट के माता-पिता आयरलैण्ड के मूल निवासी थे।⦁    सन् 1892 ई० में श्रीमती एनी बेसेण्ट थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्षा बनीं।⦁    श्रीमती एनी बेसेण्ट किसी राष्ट्रीय शिक्षा योजना के पक्ष में नहीं थीं।⦁    श्रीमती एनी बेसेण्ट आत्मानुशासन की समर्थक थीं।⦁    श्रीमती एनी बेसेण्ट स्त्री-शिक्षा के विरुद्ध थीं।

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⦁    सत्य
⦁    असत्य
⦁    सत्य
⦁    सत्य
⦁    असत्या

41.

गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का माध्यम होना चाहिए(क) हिन्दी (ख) अंग्रेजी(ग) मातृभाषा(घ) विदेशी भाषा

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सही विकल्प है  (ग) मातृभाषा

42.

निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य⦁    टैगोर शिक्षा के क्षेत्र में स्वतन्त्रता के समर्थक थे।⦁    टैगोर ने ढाका विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।⦁    टैगोर शिक्षा में ललित कलाओं को सम्मिलित करने के विरुद्ध थे।⦁    टैगोर क्रिया और स्व-प्रयास द्वारा शिक्षा प्राप्त करने को प्राथमिकता देते थे।⦁    टैगोर स्त्री-शिक्षा को आवश्यक नहीं मानते थे।⦁    टैगोर शिक्षा के क्षेत्र में कठोर अनुशासन के पक्ष में थे।

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⦁    सत्य
⦁    असत्य
⦁    असत्य
⦁    असत्य
⦁    असत्य

43.

निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य⦁    गाँधी जी के अनुसार साक्षरता स्वयं में शिक्षा नहीं है।⦁    गाँधी जी का शिक्षा-दर्शन उनके जीवन-दर्शन से सम्बन्धित है।⦁    गाँधी जी के शैक्षिक-विचार कोरे सैद्धान्तिक थे।⦁    गाँधी जी शिक्षा में शारीरिक श्रम को विशेष महत्त्व देते थे।⦁    गाँधी जी स्त्री-शिक्षा के समर्थक नहीं थे।

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⦁    सत्य
⦁    सत्य
⦁    असत्य
⦁    सत्य
⦁    असत्य

44.

निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य⦁    मालवीय जी हिन्दी, संस्कृत तथा अंग्रेजी के अच्छे ज्ञाता थे।⦁    मालवीय जी ने राजनीति में कभी भी भाग नहीं लिया था।⦁    मालवीय जी ने ‘अभ्युदय’ नामक पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ करवाया था।⦁    मालवीय जी ने अंग्रेजी भाषा को राजभाषा बनाने का समर्थन किया था।⦁    मालवीय जी धार्मिक शिक्षा के विरोधी थे।⦁    मालवीय जी विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा के समर्थक थे।

Answer»

⦁    सत्य
⦁    असत्य
⦁    सत्य
⦁    असत्य
⦁    असत्य
⦁    सत्य।

45.

मदनमोहन मालवीय द्वारा स्थापित संस्था है(क) बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय(ख) भारती भवन पुस्तकालय(ग) हिन्दू होस्टल(घ) ये सभी

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सही विकल्प है (घ) ये सभी

46.

बनारस में सेण्ट्रल हिन्दू कॉलेज की स्थापना किसने की ?(क) रवीन्द्रनाथ टैगोर(ख) महात्मा गाँधी(ग) एनी बेसेण्ट(घ) श्री अरविन्द

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सही विकल्प है (ग) एनी बेसेण्ट
 

47.

महात्मा गाँधी द्वारा प्रतिपादित शिक्षा योजना का नाम था(क) वर्धा योजना(ख) स्त्री-शिक्षा योजना(ग) बेसिक शिक्षा योजना(घ) गुरुकुल योजना

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सही विकल्प है (ग) बेसिक शिक्षा योजना

48.

“महात्मा गाँधी की देश की बहुत-सी देनों में से बेसिक शिक्षा के प्रयोग की देन सर्वोत्तम है।” यह कथन किसका है?

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प्रस्तुत कथन हुमायूँ कबीर का है।

49.

गाँधी जी के अनुसार छात्रों को अनुशासित रखने का सर्वोत्तम उपाय क्या है?

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गाँधी जी के अनुसार छात्रों को अनुशासित रखने का सर्वोत्तम उपाय है उन्हें क्रियाशील रखना।

50.

गाँधी जी किस प्रकार के अनुशासन के विरुद्ध थे तथा उन्होंने किस प्रकार के अनुशासन का समर्थन किया है?

Answer»

गाँधी जी दमनात्मक अनुशासन के विरुद्ध थे तथा उन्होंने आत्मानुशासन का समर्थन किया