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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

भूगोल की दो महत्त्वपूर्ण शाखाएँ कौन-सी हैं?

Answer»

भूगोल की दो महत्त्वपूर्ण शाखाएँ हैं—

⦁    भौतिक भूगोल तथा
⦁    मानव भूगोल।

2.

भौगोलिक अध्ययन के क्रमबद्ध उपागम का वर्णन कीजिए।

Answer»

इस उपागम के अन्तर्गत भूगोल के विभिन्न पक्षों या प्रकरणों; यथा–भू-आकृति, जलवायु, अपवाह प्रणाली, मिट्टी, वनस्पति, जीव-जन्तु, खनिज सम्पदा, जनसंख्या, आर्थिक व्यवसाय, परिवहन, व्यापार आदि तथ्यों का अध्ययन समस्त भूतल के सन्दर्भ में पृथक्-पृथक् शीर्षकों के अन्तर्गत किया जाता है।

3.

निम्नलिखित में से कौन-सा प्रश्न कार्य-कारण संबंध से जुड़ा हुआ है?(क) क्यों(ख) क्या(ग) कहाँ(घ) कब

Answer»

सही विकल्प है (ख) क्या

4.

निम्नलिखित में से किस लक्षण को भौतिक लक्षण कहा जा सकता है?(क) पत्तन(ख) मैदान(ग) सड़क(घ) जल उद्यान

Answer»

सही विकल्प है (ख) मैदान

5.

आपको अपने निवास से विद्यालय जाने में कितना समय लगता है? यदि विद्यालय आपके घर की सड़क के उस पार होता तो आप विद्यालय पहुँचने में कितना समय लेते? आने-जाने के समय पर आपके घर एवं विद्यालय के बीच की दूरी को क्या प्रभाव पड़ता है? क्या आप समय को स्थान या, इसके विपरीत, स्थान को समय में परिवर्तित कर सकते हैं?

Answer»

अपने निवास से विद्यालय जाने में आधे घंटे का समय लगता है। यदि विद्यालय हमारे घर की सड़क के उस पार होता तो विद्यालय पहुँचने में लगभग 20 मिनट का समय लगता। आने-जाने के समय पर दूरी का प्रभाव पड़ता है। अधिक दूरी होने पर समय अधिक तथा कम दूरी होने पर समय कम लगता है। समय को स्थान या इसके विपरीत स्थान को समय में परिवर्तित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए-अपने निवास स्थान से विद्यालय तक की दूरी पैदल पूरी करने पर समय अधिक लगेगा परन्तु किसी वाहन द्वारा दूरी को कम समय में पूरा किया जा सकता है। अतः समय को स्थान या इसके विपरीत स्थान को समय में इस प्रकार परिवर्तित किया जा सकता है कि विद्यालय निवास से 3 किमी या 30 मिनट दूर है जिसे वाहन द्वारा पहुँचकर 10 मिनट दूर कहा जा सकता है।

6.

भूगोल के अध्ययन के दो उपागम कौन-से हैं?

Answer»

भूगोल के अध्ययन के दो उपागम हैं-

⦁    क्रमबद्ध उपागम तथा
⦁    प्रादेशिक उपागम।

7.

क्या आप अपने विद्यालय में वन महोत्सव समारोह का आयोजन करते हैं? हम इतने पौधारोपण क्यों करते हैं? वृक्ष किस प्रकार पारिस्थैतिक संतुलन बनाए रखते हैं?

Answer»

विद्यालय में वन महोत्सव समारोह का आयोजन किया जाता है। वन मनुष्य के लिए अत्यन्त उपयोगी हैं, इनके अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ हैं, इसलिए पौधारोपण का कार्य किया जाता है। पौधारोपण से वृक्षों के क्षेत्र का विस्तार होता है, वृक्ष या वन क्षेत्र के विस्तार से पारिस्थैतिक तंत्र संतुलित रहता है। वृक्ष भूमि एवं मिट्टी अपरदन और भू-क्षरण को ही नहीं रोकते बल्कि वन्य जीवों को आवास भी प्रदान करते हैं तथा जलवायु चक्र को सन्तुलित रखते हुए हरित गृह प्रभाव को नियन्त्रित करते हैं।

8.

भूगोल के अध्ययन के दो उद्देश्य बताइए।

Answer»

1. विश्व ज्ञान में वृद्धि करना तथा 

2. पृथ्वीतल का अध्ययन मानव-संसार के रूप में करते हुए क्षेत्रों तथा स्थानों की विभिन्नताओं को समझना।

9.

भूगोल की विषय-वस्तु के अन्तर्गत कौन-कौन से विषय सम्मिलित है।

Answer»

भूगोल की विषय-वस्तु के अन्तर्गत स्थलमण्डल, वायुमण्डल, जलमण्डल, पृथ्वी की सूर्य से सापेक्ष स्थिति तथा भूतल के सांस्कृतिक तथ्य आदि विषय सम्मिलित हैं।

10.

आप अपने परिस्थान (surrounding) का अवलोकन करने पर पाते हैं, कि प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक दोनों तथ्यों में भिन्नता पाई जाती है। सभी वृक्ष एक ही प्रकार के नहीं होते। सभी पशु एवं पक्षी जिसे आप देखते हैं भिन्न-भिन्न होते हैं। ये सभी भिन्न तत्व धरातल पर पाए जाते हैं। क्या अब आप यह तर्क दे सकते हैं। कि भूगोल प्रादेशिक/क्षेत्रीय भिन्नता का अध्ययन है?

Answer»

क्षेत्रीय विभिन्नता

प्राचीन काल से ही मानव अपने निकटवर्ती क्षेत्र (परिवेश) के विषय में विभिन्न प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त करने के लिए जिज्ञासु एवं प्रयत्नशील रहा है। इन जिज्ञासाओं को पूरा करने के लिए ही उसने विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक जानकारियाँ प्राप्त की हैं, जिसके अन्तर्गत उसे विविधताओं के दर्शन हुए हैं। वह जान सका है कि एक क्षेत्र दूसरे क्षेत्र से भिन्न है। अत: हमें पृथ्वी पर भौतिक एवं सांस्कृतिक वातावरण में अनेक प्रकार की भिन्नताएँ दिखाई देती हैं। इसलिए भूगोल को क्षेत्रीय विभिन्नताओं का अध्ययन करने वाला विषय मानना तर्कसंगत लगता है।

क्षेत्रीय विभिन्नता का अर्थ-18वीं एवं 19वीं शताब्दियों में जब भूगोल को विज्ञान के रूप में स्वीकार कर लिया गया तब से ही प्राकृतिक वातावरण एवं मानव के सम्बन्धों के अध्ययन भूगोल की प्रमुख विषय-वस्तु रहे हैं। पहले प्रकृतिवादियों ने मानव को प्रकृति का दास के रूप में सिद्ध करने का प्रयत्न किया है, तो बाद में विद्वानों ने प्रकृति के ऊपर मानवीय वर्चस्व की मान्यता को स्थापित करने का प्रयास किया है। दोनों विश्वयुद्धों के मध्य में प्रकृति एवं मानव के बीच एक सन्तुलित स्थिति के अध्ययन की मान्यता विकसित हुई। इसी क्रम में प्रादेशिक/क्षेत्रीय अध्ययन की परम्परा स्थापित हुई जिसका मुख्य उद्देश्य प्रादेशिक या क्षेत्रीय विभिन्नताओं का अध्ययन हो गया, तभी से क्षेत्रीय विभिन्नता भौगोलिक अध्ययन की एक महत्त्वपूर्ण संकल्पना के रूप में विकसित होती गई है।

क्षेत्रीय विभिन्नता की विचारधारा को विकसित एवं प्रचलित करने का मुख्य श्रेय जर्मन भूगोलवेत्ता अल्फ्रेड हेटनर को है। हेटनर ने ही 1905 ई० में बताया कि भूगोल पृथ्वी के क्षेत्रों या स्थानों का क्षेत्र विवरण सम्बन्धी विज्ञान है। इससे क्षेत्रों की विभिन्नताओं के विशिष्ट संबंधों का अध्ययन किया जाता है। क्षेत्रीय विभिन्नता की विशेषता–क्षेत्रीय विभिन्नता की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके अंतर्गत किसी भी क्षेत्र के विषय में जो भौगोलिक अध्ययन किया जाता है उसमें समरूपता एवं विभिन्नताएँ दृष्टिगोचर होती हैं अर्थात् किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में प्रथम दृष्टया भौगोलिक कारकों की समरूपता पाई जाती है, किन्तु यह समरूपता सूक्ष्म स्तर पर ही परिलक्षित होती है, जबकि वास्तविकता इससे भिन्न होती है। व्यापक रूप में भौगोलिक परिदृश्यों में कुछ ही अंतराल पर विभिन्नताएँ प्रकट होने लगती हैं। भौगोलिक तत्त्वों की समानता में विभिन्नता की इसी सच्चाई के कारण सम्पूर्ण स्थलमंडल को अनेकानेक वृहत् एवं सूक्ष्म क्षेत्रों या प्रदेशों में विभाजित किया जाता है। इसी के आधार पर भूगोल में प्रादेशीकरण या प्रादेशिक भूगोल का सूत्रपात हुआ है।

अतएव पृथ्वी पर भौतिक और सांस्कृतिक पर्यावरण के अनेक तत्त्वों में समानताएँ और विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। भूगोलवेत्ता इन विभिन्नताओं की पहचान करता है और इनके कारणों की खोज करता है जिससे दो तत्त्वों या एक से अधिक तत्त्वों के मध्य कार्यकारण संबंधों को ज्ञात किया जा सके।

11.

भौगोलिक अध्ययन की पद्धति एवं तकनीक बताइए।

Answer»

वस्तुतः भूगोल एक विज्ञान है अतः इसके अध्ययन की पद्धति भी वैज्ञानिक होती है। इस विषय के अन्तर्गत क्रमबद्ध ढंग से महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक एवं मानवीय तथ्यों को एकत्रित कर समानता के आधार पर उन्हें वर्गीकृत किया जाता है। तत्पश्चात् इन्हें मात्रात्मक एवं मानचित्र तकनीकियों द्वारा विश्लेषित करके तर्क एवं अर्थपूर्ण निष्कर्षों की व्याख्या की जाती है।

12.

भूगोल का भौमिकी से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।

Answer»

भौमिकी (Geology) में धरातल की बनावट, चट्टानें, उनकी उत्पत्ति एवं वितरण, पृथ्वी को भू-वैज्ञानिक कालक्रम, चट्टानों में पाये जाने वाले खनिज, पृथ्वी की आन्तरिक संरचना आदि का अध्ययन किया जाता है। भूगोल में भी पृथ्वी के धरातल का अध्ययन किया जाता है जिसका सम्बन्ध पृथ्वी की आन्तरिक अवस्था से है। पर्वत, पठार, मैदान, वलन, भ्रंशन आदि का सम्बन्ध भी पृथ्वी की आन्तरिक अवस्था से है। चट्टानों में जो खनिज पाये जाते हैं, वे भूगोल के अध्ययन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। खनिजों एवं चट्टानों का निर्माण भूगर्भशास्त्र का भी अध्ययन क्षेत्र है; अत: भूगोल और भौमिकी में निकट का सम्बन्ध है।

13.

वर्तमान भूगोल की प्रमुख शाखाओं एवं उनकी उपशाखाओं को बताइए।

Answer»

आज विश्व के सभी देशों में भूगोल के अध्ययन की दो प्रमुख शाखाएँ निम्नवत् हैं
⦁    भौतिक भूगोल और
⦁    मानव भूगोल।

अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से इन्हें अनेक उपशाखाओं में बाँटा गया है, जिनके नाम निम्नवत् हैं

भौतिक भूगोल की उपशाखाएँ इस प्रकार हैं–
⦁    भू-आकृति विज्ञान,
⦁    भूविज्ञान,
⦁    मृदा विज्ञान,
⦁    ऋतु विज्ञान,
⦁    समुद्र विज्ञान,
⦁    जल विज्ञान तथा
⦁    जैव भूगोल।

मानव भूगोल की उपशाखाएँ इस प्रकार हैं-
⦁    आर्थिक भूगोल,
⦁    सांस्कृतिक भूगोल,
⦁    जनसंख्या भूगोल,
⦁    सामाजिक भूगोल,
⦁    राजनीतिक भूगोल,
⦁    पारिस्थितिकी भूगोल,
⦁    ऐतिहासिक भूगोल,
⦁    ग्रामीण एवं नगरीय भूगोल,
⦁    मानचित्र भूगोल एवं
⦁    प्रादेशिक भूगोल।

14.

भूगोल का इतिहास से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।

Answer»

भूगोल और इतिहास एक-दूसरे के जुड़वाँ हैं। वर्तमान भौगोलिक घटनाएँ ही अतीत के गर्भ में इतिहास बनकर प्रकट होती हैं। इतिहास मानव की भूतकालीन घटनाओं का पूर्ण विवरण प्रस्तुत करने वाला शास्त्र है। यह वर्तमान भूगोल की झलक अतीत की पृष्ठभूमि में प्रस्तुत करता है। भूगोल की पृष्ठभूमि में जो घटनाएँ जन्म लेती हैं, वे ही आगे चलकर इतिहास को सुदृढ़ आधार प्रदान करती हैं। इस प्रकार प्राचीन इतिहास वर्तमान भूगोल है, जबकि बीता हुआ भूगोल, इतिहास है। आज का भूगोल ही कालान्तर में इतिहास का रूप धारण करता है। भूगोल की एक शाखा ऐतिहासिक भूगोल भी है, जिससे यह प्रकट होता है कि भूगोल और इतिहास परस्पर घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं।

15.

भूगोल का अर्थ बताइए तथा इसकी विषय-वस्तु का वर्णन कीजिए।या भूगोल की परिभाषा दीजिए तथा इसकी विषय-वस्तु बताइए।या भूगोल की परिभाषा दीजिए तथा इसके अध्ययन-क्षेत्र की विवेचना कीजिए।

Answer»

भूगोल का अर्थ
भूगोल एक अति प्राचीन सामाजिक विज्ञान है। इसके उद्भव का इतिहास मानव के चिन्तन से जुड़ा हुआ है। मानव ने जिस समय से चिन्तन आरम्भ किया और अपने परिवेश को समझा, तभी से भूगोल विषय का श्रीगणेश हो गया था। किन्तु इसे एक व्यवस्थित सामाजिक विज्ञान के रूप में स्थापित करने का श्रेय यूनानी विद्वानों को जाता है। यूनानी विद्वान् इरैटॉस्थेनीज (Eratosthenes) ने सर्वप्रथम ‘Geography शब्द का प्रयोग किया था, इसलिए इन्हें भूगोल का जनक (Father of Geography) कहा जाता है। भूगोल का अंग्रेजी रूपान्तर Geography है, जो यूनानी (Greek) भाषा दो शब्दों ‘Geo’ के तथा ‘graphe’ से मिलकर बना है। ‘Geo’ शब्द का अर्थ है ‘पृथ्वी’ तथा ‘graphe’ शब्द का अर्थ है ‘वर्णन करना। इस प्रकार Geography का अर्थ है-‘पृथ्वी का वर्णन करना।

हिन्दी भाषा में भी भूगोल शब्द दो पदों से मिलकर बना है-‘भू’ तथा ‘गोल’। इस प्रकार भूगोल का आशय ‘गोल पृथ्वी के वर्णन से है। वास्तव में भूगोल का अर्थ पृथ्वी का वर्णनमात्र ही नहीं, अपितु इसके व्यापक अर्थ हैं।

भूगोल की परिभाषाएँ
पृथ्वी का अध्ययन किस दृष्टिकोण से किया जाए? यह एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। विभिन्न विद्वानों ने भूगोल की व्याख्या अपने-अपने दृष्टिकोण से की है, जो निम्नलिखित परिभाषाओं से स्पष्ट है”भूगोल में पृथ्वीतल का अध्ययन मानवीय विकास के रूप में क्षेत्रीय भिन्नताओं के आधार पर किया जाता है।” –मोंकहाउस

मोंकहाउस के अनुसार, भूगोल वह विज्ञान है जो पृथ्वी का अध्ययन मानव के निवासस्थान के रूप में करता है। यह निवासस्थान अनेक क्षेत्रीय विभिन्नताओं से युक्त है। इन विभिन्नताओं के अनुरूप ही मानव अपना जीवनयापन करता है। किन्तु मोंकहाउस की यह परिभाषा अत्यन्त संकुचित है।

“भूगोल क्षेत्रीय विज्ञान है जिसमें पृथ्वीतल के क्षेत्रों का अध्ययन उनकी भिन्नताओं तथा स्थानिक सम्बन्धों की पृष्ठभूमि में किया जाता है।”

हैटनर हैटनर ने भूगोल को क्षेत्रीय विज्ञान माना है जिसमें पृथ्वीतल के क्षेत्रों का अध्ययन उनकी भिन्नताओं तथा विभिन्न स्थानों के मध्य सम्बन्धों की पृष्ठभूमि में किया जाता है।

“भूगोले वह विज्ञान है जो पृथ्वीतल पर समस्त मानव-जाति और उसके प्राकृतिक वातावरण की पारस्परिक क्रियाशील विस्तृत प्रणाली का अध्ययन करता है।”

एकरमैन एकरमैन ने भूगोल को एक नये दृष्टिकोण से परिभाषित किया है। उनके अनुसार, भूगोल एक ऐसा विज्ञान है जो परिवर्तनशील पर्यावरण में क्रियाशील मानव के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन करता है। उनके अनुसार, पर्यावरण और मानव के सम्बन्ध अटूट तथा शृंखलाबद्ध हैं।

“भूगोल भूतल की क्षेत्रीय विभिन्नताओं का अध्ययन है। यहाँ पर क्षेत्रों की लक्षण व्यवस्था के अन्तर्सम्बन्धों में ऐसी अनेक विभिन्नताएँ दिखाई देती हैं। धरातल पर पाये जाने वाले प्रमुख तत्त्वों; जैसे-जलवायु, वनस्पति, जनसंख्या, भूमि-उपयोग, उद्योग आदि का इसमें वर्णन किया जाता है तथा इन तत्वों की जटिलताओं से निर्मित इकाई व क्षेत्रों का विस्तार से अध्ययन इसमें सम्मिलित है।” – अमेरिकन शब्दकोश

अमेरिकन शब्दकोश की उपर्युक्त परिभाषा सर्वांगीण कही जा सकती है। इस परिभाषा में भूगोल को एक परिपूर्ण विज्ञान माना गया है, जिसमें पृथ्वीतल की समस्त जटिलताओं का अध्ययन एक इकाई के रूप में किया जाता है।

उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि भूगोल पृथ्वीतल पर निवास करने वाले मानव का विज्ञान है। यह पृथ्वी को मानव का निवासगृह मानकर उसकी व्याख्या करता है। दूसरे शब्दों में, भूगोल भूक्षेत्र और उसके निवासियों का वर्णन करने वाला विज्ञान है। भूगोल में हम पृथ्वीतल के विभिन्न क्षेत्रों में पायी जाने वाली विभिन्नताओं का अध्ययन मनुष्य के सन्दर्भ में करते हैं। टॉलेमी ने भूगोल को एक आभामय विज्ञान, जो स्वर्ग में पृथ्वी का प्रतिबिम्ब देखता है’ कहा था। वास्तव में भूगोल पृथ्वी का विज्ञान है जो मानव के क्रियाकलापों का अध्ययन करता है। पृथ्वी और मानव दोनों ही परिवर्तनशील हैं; अत: भूगोल एक प्रगतिशील विज्ञान है। यही नहीं, भूगोल ‘समस्त विज्ञानों की जननी’ (Mother of all sciences) है। अपने गतिशील स्वरूप के कारण ही भूगोल का विकास विभिन्न शाखाओं और उपशाखाओं के रूप में हो सका है तथा उनका अध्ययन क्रमबद्ध रूप में किया जाने लगा है। भूगोल की विभिन्न परिभाषाओं का सार निम्नलिखित है

⦁    भूगोल का सम्बन्ध उस पृथ्वीतल से है जिस पर मानव निवास करता है।
⦁    भूगोल में पृथ्वीतल पर पाये जाने वाले सभी प्राकृतिक तथा मानवीय तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है।
⦁    भूगोल में पृथ्वीतल के प्राकृतिक तत्त्वों के क्षेत्रीय वितरण तथा मानवीय तत्त्वों के साथ उनके पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन सम्मिलित है।
⦁    भूगोल का अध्ययन वैज्ञानिक तथा क्रमबद्ध विधि से किया जाता है, जिसमें कार्य तथा कारण के बीच सम्बन्धों को स्थापित किया जाता है।

भूगोल की विषय-वस्तु या अध्ययन-क्षेत्र
भूगोल की विषय-वस्तु या अध्ययन-क्षेत्र से तात्पर्य उस सामग्री से है जिसका अध्ययन भूगोल में किया जाता है। भूगोल एक विशद विषय है; अतः इसकी विषय-वस्तु या अध्ययन-क्षेत्र भी विशाल है। वस्तुतः भूतल पर दो मुख्य प्रकार के भूदृश्य मिलते हैं-भौतिक तथा सांस्कृतिक। भौतिक भूदृश्यों को प्राकृतिक भूदृश्य भी कहते हैं। इनका अध्ययन भौतिक भूगोल के अन्तर्गत किया जाता है। सांस्कृतिक भूदृश्य मानव के द्वारा निर्मित होते हैं। इनका अध्ययन मानव भूगोल के अन्तर्गत किया जाता है।

भूगोल का अध्ययन-क्षेत्र भूतल का वह कटिबन्ध है जहाँ स्थलमण्डल, जलमण्ड़ल और वायु- मण्डल परस्पर सम्बद्ध होते हैं तथा जहाँ जैवमण्डल का विस्तार पाया जाता है। ये सभी मण्डल भूगोल की विषय-वस्तु हैं।

भूगोल की विषय-वस्तु के अन्तर्गत निम्नलिखित सम्मिलित हैं
1. स्थलमण्डल- स्थलमण्डल के अन्तर्गत पृथ्वी के प्रथम श्रेणी के उच्चावच लक्षण (महाद्वीप), द्वितीय श्रेणी के उच्चावच लक्षण या प्रमुख स्थलरूप (पर्वत, पठार, मैदान) तथा तृतीय श्रेणी के उच्चावच लक्षण (घाटियाँ, ढाल, अपरदन के साधनों से निर्मित अनेक प्रकार के आकार, आन्तरिक शक्तियों से उत्पन्न आकार आदि) का अध्ययन किया जाता है। इसके अतिरिक्त पृथ्वी की आन्तरिक रचना, ज्वालामुखी, चट्टानों, मिट्टियों, भूमिगत जल, खनिज भण्डारों आदि का भी अध्ययन स्थलमण्डल के अन्तर्गत किया जाता है।
2. वायुमण्डल- पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए गैसों का एक विशाल आवरण है जिसे वायुमण्डल कहा जाता है। इसकी निचली परत को क्षोभमण्डल कहते हैं जिसमें मौसम तथा जलवायु सम्बन्धी सभी परिवर्तन तथा परिघटनाएँ होती हैं। मौसम के तत्त्व (तापमान, वर्षा, पवन, आर्द्रता आदि) पृथ्वी की भौतिक दशाओं तथा मानव पर गहरा प्रभाव डालते हैं। पृथ्वीतल तथा वायुमण्डल के बीच ऊष्मा तथा आर्द्रता का सदैव आदान-प्रदान होता रहता है। अतएव वायुमण्डल भूगोल के अध्ययन में विशिष्ट स्थान रखता है।
3. जलमण्डल- पृथ्वी पर जल का व्यापक विस्तार पाया जाता है। पृथ्वी के कुल क्षेत्र का लगभग 71% महासागरों तथा सागरों के नीचे है। महासागरीय तल का उच्चावच, जल का परिसंचार, तापमान- लवणता, निक्षेप आदि का अध्ययन भूगोल की विशिष्ट विषय-वस्तु है।
4. पृथ्वी की सूर्य से सापेक्ष स्थिति- इसके अन्तर्गत पृथ्वी के आकार, अक्षीय झुकाव, परिक्रमण, परिभ्रमण, दिन-रात की अवधि, सूर्यातप, ऋतु-परिवर्तन आदि का अध्ययन किया जाता है।
5. भूतल के सांस्कृतिक तथ्य- इसमें मानवीय बस्तियों, जनसंख्या वितरण, कृषि, उद्योग, परिवहन एवं संचार के साधनों, व्यापार आदि का अध्ययन सम्मिलित है।

इस प्रकार पृथ्वी के सभी भौतिक तथा सांस्कृतिक पक्षों का अध्ययन भूगोल की विषय-वस्तु है। भूगोल की विषय-वस्तु पर प्रकाश डालते हुए कार्ल रिटर ने लिखा है-“भूगोल में भूमण्डल के सभी लक्षणों, घटनाओं और उनके सम्बन्धों का, पृथ्वी को स्वतन्त्र मानते हुए अध्ययन किया जाता है। इसकी समग्र एकता में मानव और जगतपिता से सम्बन्ध दिखाई पड़ते हैं।”

निष्कर्ष यह है कि भूगोल का अध्ययन-क्षेत्र पर्यावरण और मानव के अन्तर्सम्बन्धों के अध्ययन से सम्बन्धित है।

16.

निम्नलिखित में कौन-सी भौतिक भूगोल की शाखा नहीं है?(क) मृदा विज्ञान(ख) जैव भूगोल(ग) पारिस्थितिकी भूगोल(घ) भू-आकृति विज्ञान

Answer»

सही विकल्प है (ग) पारिस्थितिकी भूगोल

17.

आप विद्यालय जाते समय किन महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक लक्षणों का पर्यवेक्षण करते हैं? क्या वे सभी समान हैं अथवा असमान? उन्हें भूगोल के अध्ययन में सम्मिलित करना चाहिए अथवा नहीं? यदि हाँ तो क्यों?

Answer»

सांस्कृतिक लक्षणों में वे सभी भूदृश्य सम्मिलित हैं जिनका निर्माण मनुष्य अपनी-विन्नि प्रकार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए करते हैं। ग्राम, नगर, सड़कें, रेल, बन्दरगाह, बाजार, खेत, कारखाने, इमारतें आदि, सांस्कृतिक भूदृश्यों के ही लक्षण हैं। हम विद्यालय जाते समय इन लक्षणों को पर्यवेक्षण करते हैं। ये लक्षण समय के साथ-साथ असमान होते हैं। इन लक्षणों को भगोल के अध्ययन में सम्मिलित किया जाता है, क्योंकि इनके द्वारा ही सांस्कृतिक पर्यावरण का निर्माण होता है, जिसका भौतिक पर्यावरण से घनिष्ठ सम्बन्ध है। भौतिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण का समग्र अध्ययन ही भूगोल की प्रमुख विषय-वस्तु है। इसलिए सांस्कृतिक लक्षणों को भूगोल के अध्ययन में सम्मिलित किया जाना चाहिए।

18.

“भूगोल एक अन्तर्सम्बन्धित विज्ञान है।” यह कथन निम्नलिखित में से किस विद्वान से सम्बन्धित है?(क) हम्बोल्ट(ख) रिटर(ग) काण्ट(घ) हार्टशोर्न

Answer»

सही विकल्प है (ख) रिटर

19.

निम्नलिखित में से कौन-सी शाखा मानव भूगोल की शाखा है?(क) जलवायु विज्ञान(ख) क्यूरोसिवो भूगोल(ग) राजनैतिक भूगोल(घ) अधिवास भूगोल

Answer»

सही विकल्प है (ग) राजनैतिक भूगोल

20.

भौतिक भूगोल के अन्तर्गत हम अध्ययन करते हैं(क) भूगणितीय भूगोल’का(ख) ऋतुविज्ञान एवं जलवायु विज्ञान का(ग) समुद्र विज्ञान का(घ) इन सभी का ।

Answer»

सही विकल्प है (घ) इन सभी का