InterviewSolution
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पश्चिमी घाट की प्रमुख चोटी है-(क) गुरु शिखर(ख) कालस्थाए(ग) कोंकण शिखर(घ) माऊंट |
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Answer» (ख) कालस्थाए |
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पूर्वी घाट का सबसे ऊँचा शिखर कौन-सा है ?(क) डोडाबेटा(ख) महेन्द्रगिरी(ग) पुष्पागिरी(घ) कोलाईमाला। |
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Answer» (ख) महेन्द्रगिरी |
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भारत के प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिन्दु कौन-सा है? |
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Answer» कन्याकुमारी। |
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पूर्वी घाट की दक्षिणी पहाड़ियों के नाम बताइए। |
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Answer» जवद्दी (Jawaddi), गिन्गी, शिवराई, कौलईमाला, पंचमलाई, गोंडुमलाई इत्यादि पूर्वी घाट की दक्षिणी पहाड़ियां हैं। |
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पंजाब-हरियाणा मैदान की चार विशेषताएं लिखो। |
Answer»
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सतलुज, ब्रह्मपुत्र तथा गंगा जल प्रवाह प्रणालियों से बना मैदान कहलाता ह-(क) दक्षिणी विशाल मैदान(ख) पूर्वी विशाल मैदान(ग) उत्तरी विशाल मैदान(घ) तिब्बत का मैदान। |
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Answer» (ग) उत्तरी विशाल मैदान |
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देश के उत्तरी विशाल मैदानों के आकार, जन्म एवं क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन करो। |
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Answer» भारत के उत्तरी विशाल मैदानों के आकार, जन्म तथा क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन इस प्रकार है — आकार- रावी नदी से लेकर गंगा नदी के डैल्टे तक इस मैदान की कुल लम्बाई लगभग 2400 कि० मी० तथा चौड़ाई 100 से 500 कि० मी० तक है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई 180 मी० के लगभग है। अनुमान है कि इसकी गहराई 5 कि० मी० से लेकर 32 कि० मी० तक है। इसका कुल क्षेत्रफल 7.5 लाख वर्ग कि० मी० है। जन्म-भारत का उत्तरी मैदान उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में विशाल प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियों द्वारा बहाकर लाई हुई मिट्टी से बना है। लाखों, करोड़ों वर्ष पहले भू-वैज्ञानिक काल में उत्तरी मैदान के स्थान पर टैथीज नामक एक सागर लहराता था। इस सागर से विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम हिमालय के नाम से पुकारते हैं। हिमालय की ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ उस पर नदियां तथा अनाच्छादन के दूसरे कारक सक्रिय हो गए। इन कारकों ने पर्वत प्रदेश का अपरदन किया और यह भारी मात्रा में गाद ला-ला कर टैथीज सागर में जमा करने लगे। सागर सिकुड़ने लगा। नदियां जो मिट्टी इसमें जमा करती रहीं, वह बारीक पंक जैसी थी। इस मिट्टी को जलोढ़क कहते हैं। अतः टैथीज सागर के स्थान पर जलोढ़ मैदान अर्थात् उत्तरी मैदान का निर्माण हुआ। क्षेत्रीय विभाजन-उत्तरी विशाल मैदान को निम्नलिखित चार क्षेत्रों में बांटा जा सकता है —
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भारत के मध्यवर्ती विशाल मैदान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। भारत की अर्थव्यवस्था में इनका क्या महत्त्व है? |
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Answer» भारत का मध्यवर्ती विशाल मैदान हिमालय पर्वत के साथ-साथ पश्चिम से पूर्व तक फैला हुआ है। इसका विस्तार राजस्थान से असम तक है। इसके कुछ पश्चिमी रेतीले भाग को छोड़कर शेष सारा मैदान बहुत ही उपजाऊ है। इनका निर्माण नदियों द्वारा बहाकर लाई गई जलोढ़ मिट्टी से हुआ है। इसलिए इसे जलोढ़ मैदान भी कहते हैं। इस मैदान की लम्बाई 2400 किलोमीटर तथा चौड़ाई 100 किलोमीटर से 500 किलोमीटर तक है। इसे चार भागों में बांटा जा सकता है-
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भारत के किस राज्य में पश्चिमी घाट नीलगिरी के नाम से विख्यात है ? |
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Answer» सही उत्तर है तमिलनाडु। |
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भारत के प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिंदु कौन-सा है ? |
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Answer» कन्याकुमारी। |
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ब्रह्मपुत्र के मैदान पर एक भौगोलिक टिप्पणी लिखो। |
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Answer» ब्रह्मपुत्र के मैदान को असम का मैदान भी कहा जाता है। यह असम की पश्चिमी सीमा से लेकर असम के सुदूर उत्तर-पूर्व में सादिआ (Sadiya) तक फैला हुआ है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई 250-550 मी० है। इसका निर्माण ब्रह्मपुत्र तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा बिछाई गई मिट्टी से हुआ है। इस तंग मैदान में लगभग प्रत्येक वर्ष बाढ़ों के कारण नवीन तलछटों का निक्षेप होता रहता है। इस मैदान का ढलान उत्तर-पूर्वी तथा पश्चिम की ओर है। |
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पंजाब-हरियाणा मैदान की चार विशेषताएं लिखो। . |
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Answer» 1. यह मैदान सतलुज, रावी, ब्यास व घग्घर नदियों द्वारा लाई गई मिट्टियों के जमाव से बना है। 1947 में भारत व पाकिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा के बन जाने के कारण इसका अधिकतर भाग पाकिस्तान में चला गया है। 2. उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व तक इनकी लंबाई 640 किलोमीटर तथा औसत चौड़ाई 300 किलोमीटर है। 3. इस मैदान की औसत ऊंचाई 300 मीटर तक है। 4. इस उपजाऊ मैदान का क्षेत्रफल 1.75 लाख वर्ग किलोमीटर है। |
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निम्नलिखित पर नोट लिखो-1. विन्ध्याचल,2. सतपुड़ा,3. अरावली पर्वत,4. नीलगिरि की पहाडियां। |
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Answer» 1. विंध्याचल-विंध्याचल पर्वत श्रेणियों का पश्चिमी भाग लावे से बना है। इसका पूर्वी भाग कैमूर तथा भानरेर की श्रेणियां कहलाता है। इसकी दक्षिणी ढलानों के पास नर्मदा नदी बहती है। 2. सतपुड़ा-सतपुड़ा की पहाड़ियां नर्मदा नदी के दक्षिण किनारे के साथ-साथ पूर्व में महादेव तथा मैकाल की पहाड़ियों के सहारे बिहार में स्थित छोटा नागपुर की पहाड़ियों तक जा पहुंचती हैं। इसकी मुख्य चोटियां हैं-धूपगढ़ तथा अमरकंटक। इस पर्वत श्रेणी की औसत ऊंचाई 1120 मी० है। 3. अरावली पर्वत-अरावली पर्वत श्रेणी दिल्ली से गुजरात तक 800 कि० मी० की लंबाई में फैला हुआ है। इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम है और यहां अब पहाड़ियों के बचे-खुचे टुकड़े ही रह गये हैं। इसकी सबसे ऊंची चोटी माऊंट आबू (1722 मी०) है। 4. नीलगिरि की पहाड़ियां-पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा पूर्वी घाट की पहाड़ियां दक्षिण में जहां जाकर आपस में मिलती हैं, उन्हें दक्षिणी पहाड़ियां या नीलगिरि की पहाड़ियां कहते हैं। इन्हें नीले पर्वत भी कहते हैं। |
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पश्चिमी तथा पूर्वी हिमालय की उप-शाखाओं की चित्र सहित व्याख्या कीजिए। |
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Answer» हिमालय तथा प्रायद्वीपीय पठार की तुलना भूगोल की दृष्टि से बड़ी रोचक है।
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प्राचीन जलोढ़ निर्मित क्षेत्र को क्या कहा जाता है ? |
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Answer» सही उत्तर है बांगर। |
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देश के विशाल उत्तरी मैदानों के आकार, जन्म एवं क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन करो। |
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Answer» भारत के विशाल उत्तरी मैदानों के आकार, जन्म तथा क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन इस प्रकार है
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होशियारपुर शिवालिक का सबसे ऊँचा ब्लॉक/विकास खण्ड कौन-सा है ? |
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Answer» तलवाड़ा (741 मीटर) |
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खाडर (खादर) या बेट से क्या अभिप्राय है ? |
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Answer» खाडर अथवा बेट नई जलोढ़ मिट्टी के मैदान हैं। यह मिट्टी नदियों के किनारों पर निचले क्षेत्रों में पाई जाती है। |
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पंजाब के जलोढ़ मैदानों की उत्पत्ति के विषय पर नोट लिखें। |
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Answer» पंजाब का 70% भू-भाग जलोढ़ी मैदानों से घिरा हुआ है। यह मैदान भारत के गंगा और सिंध के मैदान का भाग है। इनकी उत्पत्ति हिमालय क्षेत्र से नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी के जमाव से हुई है। इन नदियों में सिंध और उसकी सहायक नदियों सतलुज, रावी, व्यास का महत्त्वपूर्ण योगदान है। समुद्र तल से इन मैदानों की ऊंचाई 200 मीटर से 300 मीटर तक है। |
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घग्गर के जलोढ़ मैदानों का एक नाम है-(क) चो(ख) नैली(ग) टैथीज़(घ) इनमें से कोई नहीं। |
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Answer» सही विकल्प है (ख) नैली |
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भारत के विशाल उत्तरी मैदान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। भारत की अर्थव्यवस्था में इनका क्या महत्त्व है ? |
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Answer» भारत का विशाल उत्तरी मैदान हिमालय पर्वत के साथ-साथ पश्चिम से पूर्व तक फैला हुआ है। इसका विस्तार राजस्थान से असम तक है। इसके कुछ पश्चिमी रेतीले भाग को छोड़कर शेष सारा मैदान बहुत ही उपजाऊ है। इनका निर्माण नदियों द्वारा बहाकर लाई गई जलोढ़ मिट्टी से हुआ है। इसलिए इसे जलोढ़ मैदान भी कहते हैं। इसे चार भागों में बांटा जा सकता है–
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पंजाब की शिवालिक पहाड़ियों की लगभग लंबाई कितनी है ? |
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Answer» सही उत्तर है 280 कि०मी०। |
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होशियारपुर शिवालिक की लंबाई-चौड़ाई बताओ। |
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Answer» होशियारपुर शिवालिक की लंबाई 130 किलोमीटर और चौड़ाई 5 से 8 किलोमीटर तक है। |
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होशियारपुर शिवालिक अपने दक्षिणी भाग में क्या कहलाता है ? |
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Answer» कटार की धार। |
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होशियारपुर शिवालिक को दक्षिण में ‘कटार की धार’ क्यों कहा जाता है ? |
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Answer» होशियारपुर शिवालिक की ढलाने नालीदार अपरदन के कारण बहुत अधिक फटी-कटी हैं। इसके अतिरिक्त यहां बहने वाले चोओं ने भी इन पहाड़ियों को कई स्थानों पर बुरी तरह काट दिया है। कटी-फटी पहाड़ियों के सिरे तीखे होने के कारण इन पहाड़ियों को ‘कटार की धार’ कहते हैं। |
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पंजाब के दक्षिण पश्चिमी भाग में स्थित रेतीले टीलों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। |
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Answer» पंजाब के दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान के साथ लगती सीमा पर जगह-जगह रेतीले टीले दिखाई देते हैं। इस प्रकार के टीले प्रायः भठिंडा, मानसा, फाजिल्का, फरीदकोट, संगरूर, मुक्तसर तथा पटियाला ज़िलों के दक्षिणी भागों में मिलते हैं। फिरोजपुर जिले के मध्यवर्ती भागों में भी कुछ टीले पाए जाते हैं। इन टीलों की ढलान टेढ़ी मेढ़ी है। |
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रोपड़ शिवालिक की कोई चार विशेषताएं बताओ। |
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Answer» 1. शिवालिक की यह श्रेणी सतलुज और घग्गर नदियों के बीच स्थित है। इसका विस्तार रूपनगर (रोपड़) जिले में हिमाचल प्रदेश की सीमा के उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है। 2. यह पहाड़ उत्तर में नंगल से शुरू होकर चंडीगढ़ के नजदीक घग्गर नदी तक चले जाते हैं। 3. इस श्रेणी की लंबाई 90 किलोमीटर तक है। इस श्रेणी की निरंतरता (Continuity) सतलुज की सहायक नदी सरसा के कारण टूट जाती है। 4. दूसरी शिवालिक श्रेणियों की तरह यह श्रेणी भी मौसमी चोओं से भरी हुई है। इन्हें राओ (Rao) तथा घाड़ (Ghar) भी कहा जाता है। |
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पंजाब के जलोढ़ मैदानों के बीच स्थित रेतीले टीलों पर नोट लिखो। |
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Answer» सतलुज नदी के दक्षिणी भाग में पानी का बहाव घग्गर नदी की ओर है। इस क्षेत्र में बाढ़ के दिनों में पानी के बह जाने से रेत के टीले बन गए हैं। बाढ़ों से बचाव के लिए कई स्थानों पर नाले तथा नालियां बनाई गई हैं। अब इन टीलों को कृषि योग्य बना लिया गया है। |
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भारत के पश्चिमी तथा पूर्वी तटीय मैदानों की तुलना करो। |
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Answer»
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किन्हीं चार बातों के आधार पर प्रायद्वीपीय पठार तथा उत्तर के विशाल मैदानों की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए। |
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Answer» 1. उत्तर के विशाल मैदानों का निर्माण जलोढ़ मिट्टी से हुआ है जबकि प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण प्राचीन ठोस चट्टानों से हुआ है। 2. उत्तर के विशाल मैदानों की समुद्र तल से ऊंचाई प्रायद्वीपीय पठार की अपेक्षा बहुत कम है। 3. विशाल मैदानों की नदियां हिमालय पर्वत से निकलने के कारण सारा वर्ष बहती हैं। इसके विपरीत पठारी भाग की नदियां केवल बरसात के मौसम में ही बहती हैं। 4. विशाल मैदानों की भूमि उपजाऊ होने के कारण यहां गेहूं, जौ, चना, चावल आदि की कृषि होती है। दूसरी ओर पठारी भाग में कपास, बाजरा तथा मूंगफली की कृषि की जाती है। |
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हिमालय क्षेत्र की पूर्वी किनारे वाली प्रशाखाओं (Eastern off shoots) के नाम बताइए। |
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Answer» हिमालय की प्रमुख पूर्वी श्रेणियां पटकोई बम्म, गारो, खासी, जयन्तिया तथा त्रिपुरा की पहाड़ियां हैं। |
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विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी कौन-सी है? |
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Answer» माऊंट एवरेस्ट। |
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