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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your Class 11 knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

301.

Bharat Mata ki jai ka pratikarth spasth kijiyea?

Answer»
302.

Smiksha hindi

Answer»
303.

Jaag tujhko door jaana Kavita ka Mul bhav kya hai

Answer»
304.

गलता लोहा कहानी का परथीपाथ स्पष्ट कीजिए

Answer» गलता लोहा\xa0कहानी में समाज के जातिगत विभाजन पर कई कोणों से टिप्पणी की गई है। यह कहानी लेखक के लेखन में अर्थ की गहराई को दर्शाती है। इस पूरी कहानी में लेखक की कोई मुखर टिप्पणी नहीं है। इसमें एक मेधावी, किंतु निर्धन ब्राहमण युवक मोहन किन परिस्थितियों के चलते उस मनोदशा तक पहुँचता है, जहाँ उसके लिए जातीय अभिमान बेमानी हो जाता है। सामाजिक विधि-निषेधों को ताक पर रखकर वह धनराम लोहार के आफर पर बैठता ही नहीं, उसके काम में भी अपनी कुशलता दिखाता है। मोहन का व्यक्तित्व जातिगत आधार पर निर्मित झूठे भाईचारे की जगह मेहनतकशों के सच्चे भाईचारे को प्रस्तावित करता प्रतीत होता है मानो लोहा गलकर नया आकार ले रहा हो।मोहन के पिता वंशीधर ने जीवनभर पुरोहिती की। अब वृद्धावस्था में उनसे कठिन श्रम व व्रत-उपवास नहीं होता। उन्हें चंद्रदत्त के यहाँ रुद्री पाठ करने जाना था, परंतु जाने की तबियत नहीं है। मोहन उनका आशय समझ गया, लेकिन पिता का अनुष्ठान कर पाने में वह कुशल नहीं है। पिता का भार हलका करने के लिए वह खेतों की ओर चला, लेकिन हँसुवे की धार कुंद हो चुकी थी। उसे अपने दोस्त धनराम की याद आ गई। वह धनराम लोहार की दुकान पर धार लगवाने पहुँचा।धनराम उसका सहपाठी था। दोनों बचपन की यादों में खो गए। मोहन ने मास्टर त्रिलोक सिंह के बारे में पूछा। धनराम ने बताया कि वे पिछले साल ही गुजरे थे। दोनों हँस-हँसकर उनकी बातें करने लगे। मोहन पढ़ाई व गायन में निपुण था। वह मास्टर का चहेता शिष्य था और उसे पूरे स्कूल का मॉनीटर बना रखा था। वे उसे कमजोर बच्चों को दंड देने का भी अधिकार देते थे। धनराम ने भी मोहन से मास्टर के आदेश पर डडे खाए थे। धनराम उसके प्रति स्नेह व आदरभाव रखता था, क्योंकि जातिगत आधार की हीनता उसके मन में बैठा दी गई थी। उसने मोहन को कभी अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं समझा।धनराम गाँव के खेतिहर या मजदूर परिवारों के लड़कों की तरह तीसरे दर्जे तक ही पढ़ पाया। मास्टर जी उसका विशेष ध्यान रखते थे। धनराम को तेरह का पहाड़ा कभी याद नहीं हुआ। इसकी वजह से उसकी पिटाई होती। मास्टर जी का नियम था कि सजा पाने वाले को अपने लिए हथियार भी जुटाना होता था। धनराम डर या मंदबुद्ध होने के कारण तेरह का पहाड़ा नहीं सुना पाया। मास्टर जी ने व्यंग्य किया-‘तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है रे। विद्या का ताप कहाँ लगेगा इसमें?”इतना कहकर उन्होंने थैले से पाँच-छह दरॉतियाँ निकालकर धनराम को धार लगा लाने के लिए पकड़ा दी। हालाँकि धनराम के पिता ने उसे हथौड़े से लेकर घन चलाने की विद्या सिखा दी। विद्या सीखने के दौरान मास्टर त्रिलोक सिंह उसे अपनी पसंद का बेंत चुनने की छूट देते थे, परंतु गंगाराम इसका चुनाव स्वयं करते थे। एक दिन गंगाराम अचानक चल बसे। धनराम ने सहज भाव से उनकी विरासत सँभाल ली।इधर मोहन ने छात्रवृत्ति पाई। इससे उसके पिता वंशीधर तिवारी उसे बड़ा आदमी बनाने का स्वप्न देखने लगे। पैतृक धंधे ने उन्हें निराश कर दिया था। वे कभी परिवार का पूरा पेट नहीं भर पाए। अत: उन्होंने गाँव से चार मील दूर स्कूल में उसे भेज दिया। शाम को थकामाँदा मोहन घर लौटता तो पिता पुराण कथाओं से उसे उत्साहित करने की कोशिश करते। वर्षा के दिनों में मोहन नदी पार गाँव के यजमान के घर रहता था। एक दिन नदी में पानी कम था तथा मोहन घसियारों के साथ नदी पार कर घर आ रहा था। पहाड़ों पर भारी वर्षा के कारण अचानक नदी में पानी बढ़ गया। किसी तरह वे घर पहुँचे इस घटना के बाद वंशीधर घबरा गए और फिर मोहन को स्कूल न भेजा।उन्हीं दिनों बिरादरी का एक संपन्न परिवार का युवक रमेश लखनऊ से गाँव आया हुआ था। उससे वंशीधर ने मोहन की पढ़ाई के संबंध में अपनी चिंता व्यक्त की तो वह उसे अपने साथ लखनऊ ले जाने को तैयार हो गया। उसके घर में एक प्राणी बढ़ने से कोई अंतर नहीं पड़ता। वंशीधर को रमेश के रूप में भगवान मिल गया। मोहन रमेश के साथ लखनऊ पहुँचा। यहाँ से जिंदगी का नया अध्याय शुरू हुआ। घर की महिलाओं के साथ-साथ उसने गली की सभी औरतों के घर का काम करना शुरू कर दिया। रमेश बड़ा बाबू था। वह मोहन को घरेलू नौकर से अधिक हैसियत नहीं देता था। मोहन भी यह बात समझता था। कह सुनकर उसे समीप के सामान्य स्कूल में दाखिल करा दिया गया। कारों के बोझ व नए वातावरण के कारण वह । अपनी कोई पहचान नहीं बना पाया। गर्मियों की छुट्टी में भी वह तभी घर जा पाता जब रमेश या उसके घर का कोई आदमी गाँव जा रहा होता। उसे अगले दरजे की तैयारी के नाम पर शहर में रोक लिया जाता।मोहन ने परिस्थितियों से समझौता कर लिया था। वह घर वालों को असलियत बताकर दुखी नहीं करना चाहता था। आठवीं कक्षा पास करने के बाद उसे आगे पढ़ने के लिए रमेश का परिवार उत्सुक नहीं था। बेरोज्ग्री का तर्क देकर उसे तकनी स्कूल में दाखिल करा दिया गया। वह पहले की तरह घर व स्कूल के काम में व्यस्त रहता। डेढ़-दो वर्ष के बाद उसे कारखानों के चक्कर काटने पड़े। इधर वंशीधर को अपने बेटे के बड़े अफसर बनने की उम्मीद थी। जब उसे वास्तविकता का पता चला तो उसे गहरा दुख हुआ। धनराम ने भी उससे पूछा तो उसने झूठ बोल दिया। धनराम ने उन्हें यही कहो-मोहन लला बचपन से ही बड़े बुद्धमान थे।इस तरह मोहन और धनराम जीवन के कई प्रसंगों पर बातें करते रहे। धनराम ने हँसुवे के फाल को बेंत से निकालकर तपाया, फिर उसे धार लगा दी। आमतौर पर ब्राहमण टोले के लोगों का शिल्पकार टोले में उठना-बैठना नहीं होता था। काम-काज के सिलसिले में वे खड़े-खड़े बातचीत निपटा ली जाती थी। ब्राहमण टोले के लोगों को बैठने के लिए कहना भी उनकी मर्यादा के विरुद्ध समझा जाता था। मोहन धनराम की कार्यशाला में बैठकर उसके काम को देखने लगा।धनराम अपने काम में लगा रहा। वह लोहे की मोटी छड़ को भट्टी में गलाकर गोल बना रहा था, किंतु वह छड़ निहाई पर ठीक से फैंस नहीं पा रही थी। अत: लोहा ठीक ढंग से मुड़ नहीं पा रहा था। मोहन कुछ देर उसे देखता रहा और फिर उसने दूसरी पकड़ से लोहे को स्थिर कर लिया। नपी-तुली चोटों से छड़ को पीटते-पीटते गोले का रूप दे डाला। मोहन के काम में स्फूर्ति देखकर धनराम अवाक् रह गया। वह पुरोहित खानदान के युवक द्वारा लोहार का काम करने पर आश्चर्यचकित था। धनराम के संकोच, धर्मसंकट से उदासीन मोहन लोहे के छल्ले की त्रुटिहीन गोलाई की जाँच कर रहा था। उसकी आँखों में एक सर्जक की चमक थी।
305.

पाठ के आधार पर तातुश का चरित्र चित्रण किजिए

Answer» तातुश सज्जन प्रवृत्ति के अधेड़ अवस्था के शिक्षक हैं, वे दयालु हैं तथा करुण भाव से युक्त हैं। जब बेबी उनके घर काम करने आई तो उन्होंने उसके काम की प्रशंसा की। वे उसे अपनी बेटी के समान समझते थे। वे उसे कदम-कदम पर प्रोत्साहित करते थे। बेबी की पढ़ने के प्रति रुचि देखकर वे कॉपी व पेन देते हैं तथा उसे लिखने के लिए प्रेरित करते हैं। वे उसके बच्चों को स्कूल में भेजने की व्यवस्था करते हैं। उसका घर टूट जाने के बाद उसे अपने घर में जगह देते हैं। वे उसके बड़े लड़के को ढूँढ़कर उससे मिलवाते हैं तथा बाद में अच्छी जगह पर उसे काम दिलवाते हैं। जब कभी बेबी के बच्चे बीमार होते हैं तो उनका इलाज भी करवाते थे। तातुश बेबी के लेखन को अपने मित्रों के पास भेजते थे। वे कोई ऐसी बात नहीं करते थे जिससे बेबी को ठेस लगे। ऐसे चरित्र समाज में दुर्लभ होते हैं तथा आदर्श रूप प्रस्तुत करते हैं।
306.

भारत देश के संस्थापक से अभिप्राय हैं ?

Answer»
307.

Rekha Chitra

Answer»
308.

सिद्धेश्वरी की जगह आप होते तो क्या करते

Answer» वंशीधर का ऐसा करना उचित नहीं था। मैं अलोपीदीन के प्रति कृतज्ञता दिखाते हुए उन्हें नौकरी के लिए मना कर देता क्योंकि लोगों पर जुल्म करके कमाई हुई बेईमानी की कमाई की रखवाली करना मेरे आदर्शों के विरुद्ध है।
309.

gaon mein failta fashion vishay pahle ka lekh likhiye

Answer»
310.

Karyasuchi with example

Answer»
311.

Kavita ka Arth Prasang Sahitya Kijiye Ham to Sach Sach Heer Jana poem

Answer»
312.

Kabhi ne apne ko Deewane Kyon kahan hai

Answer» कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?कबीर ने स्वयं को दीवाना इसलिए कहा है, क्योंकि वह निर्भय है। उसे किसी का कुछ भी कहना व्यापता नहीं है। वह ईश्वर के सच्चे स्वरूप को पहचानता है। वह ईश्वर का सच्चा भक्त है, अत: दीवाना है।
313.

Difficult words of Spiti m baarish aaroh

Answer»
314.

विद्यालय में योग-शिक्षा का महत्त्व बताते हुए किसी समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।\u200b

Answer»
315.

3.पढ़ाई लिखाई के संबंध में लेखिका की बेटी ने उससे क्या पूछा?

Answer»
316.

Gita ka mere jivan pr parbhav is pr nibhand likhe 400_500 words m

Answer» गीता भारतीय संस्कृति की आधारशिला है । हिन्दू शास्त्रों में गीता का सर्वप्रथम स्थान है । गीता में 18 पर्व और 700 श्लोक है । इसके रचयिता वेदव्यास हैं । गीता महाभारत के भीष्म पर्व का ही एक अंग है ।vलोकप्रियता में इससे बढ़कर कोई दूसरा ग्रन्ध नहीं है और इसकी लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है । गीता में अत्यन्त प्रभावशाली ढंग से धार्मिक सहिष्णुता की भावना की प्रस्तुत किया गया है जो भारतीय संस्कृति की एक विशेषता है ।धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के मध्य युद्ध में अर्जुन अपने स्वजनों को देखकर युद्ध से विमुख होने लगा । धर्मयुद्ध के अवसर पर शोकमग्न अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए श्रीकृष्ण ने कहा कि व्यक्ति को निष्काम भाव से कर्म करते हुए फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए-कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।\xa0मा कर्मफलहेतुर्भू: मा ते सङ्\u200cगोस्त्वकर्मणि ।।आत्मा की नित्यता बताते हुए श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि यह आत्मा अजर-अमर है । शरीर के नष्ट होने पर भी यह आत्मा मरती नहीं है । जिस प्रकार व्यक्ति पुराना वस्त्र उतार कर नया वस्त्र धारण कर लेता है, उसी प्रकार आत्मा भी पुराना शरीर छोड़कर नया शरीर धारण कर लेती है ।आत्मा को न तो शस्त्र काट सकते हैं, न अग्नि जला सकती है, न वायु उड़ा सकती है और न जल ही गीला कर सकता है । आत्मा को जो मारता है और जो इसे मरा हुआ समझता है, वह दोनों यह नहीं जानते कि न यह मरती है और न ही मारी जाती है । हे अर्जुन ! युद्ध में विजयी हुए तो श्री और युद्ध न करने पर अपयश मिलेगा इसलिए युद्ध कर ।गीतानुसार हमें साधारण जीवन के व्यवहार सेघृणा नहीं करनी चाहिए अपितु स्वार्थमय इच्छाओं का दमन करना चाहिए । अहंकार को नष्ट करना चाहिए । अहंकार के रहते हुए ज्ञान का उदय नहीं होता, गुरु की कृपा नहीं होती और ज्ञान ग्रहण करने क्षमना नहीं होनी ।गीता में भगवान का कथन है कि मुझे जिस रूप में माना जाता है, उसी रूप में मैं व्यक्ति को दर्शन देता हूँ, चाहे शैव हो या वैष्णव या कोई और ! गीता के उपदेशों को सभी ने स्वीकृत किया है, अत: यह किसी सम्प्रदाय विशेष का ग्रंथ नहीं है । उत्कृष्ट भावना का परिचायक होने के कारण गीता का हिन्दू धर्म ग्रन्थों में सर्वोपरि स्थान प्राप्त है।भारत और विदेशों में भी गीता का बहुत प्रचार है । संसार की शायद ही ऐसी कोई सभ्य भाषा हो जिसमें गीता का अनुवाद न हो । पाश्चात्य विद्वान हम्बाल्ट ने गीता से प्रभावित होकर कहा है कि- ”किसी ज्ञात भाषा में उपलब्ध गीतों में सम्भवत: सबसे अधिक सुन्दर और दार्शनिक गीता है । गीतः-गज्त्र त्रैंश्त्र जगत की परम निधि है । ”आज का युग परमाणु युद्ध की विभीषिका से भयभीत है । ऐसे में गीता का उपदेश ही हमारा मार्गदर्शन कर सकता है । आज का मनुष्य प्रगतिशील होने पर भी किंकर्त्तव्य- विमूढ़ है । अत: वह गीता से मार्गदर्शन प्राप्त कर अपने जीवन को सुखमय और आनन्दमय बना सकता है ।गीता में सम्पूर्ण वेदों का सार निहित है । गीता की महत्ता को शब्दों में वर्णन करना असम्भव है । यह स्वय भगवान कृष्ण के मुखारविन्द से निकली है । स्वयं भगवान कृष्ण इसका महत्व बताते हुए कहते हैं- कि जो पुरुष प्रेमपूर्वक निष्काम भाव से भक्तों को पढ़ाएगा अर्थात् उनमें इसका प्रचार करेगा वह निश्चय ही मुझको (परमात्मा) प्राप्त होगा ।जो पुरुष स्वयं इस जीवन में गीता शास्त्र को पढ़ेगा अथवा सुनेगा वह सब प्रकार के पापों से मुका हो जाएगा । गीता शास्त्र सम्पूर्ण मानव जाति के उद्धार के लिए है । कोई भी व्यक्ति किसी भी वर्ण, आश्रम या देश में स्थित हो, वह श्रद्धा भक्ति-पूर्वक गीता का पाठ करने पर परम सिद्धि को प्राप्त कर सकता है ।अत: कल्याण की इच्छा करने वाले मनुष्यों के लिए आवश्यक है कि वे गीता पढ़ें और दूसरों को पढायें । यही कल्याणकारी मार्ग है ।
317.

पत्रकारिता किसे कहते हैं

Answer» ज्ञान और विचारों को समीक्षात्मक टिप्पणियों के साथ शब्द, ध्वनि तथा चित्रों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना ही पत्रकारिता है। ... पत्रकारिता समय के साथ समाज की दिग्दर्शिका और नियामिका है।<br>विभिन्न समाचार माध्यमों के ज़रिये दुनियाभर के समाचार हमारे घरों में पहुँचते हैं। समाचार संगठनों में काम करने वाले पत्रकार देश-दुनिया में घटने वाली घटनाओं को समाचार के रूप में परिवर्तित करके हम तक पहुँचाते हैं। इसके लिए वे रोज़ सूचनाओं का संकलन करते हैं और उन्हें समाचार के प्रारूप में ढालकर प्रस्तुत करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को ही पत्रकारिता कहते है .
318.

Ghar ma andhera majshid ma diya awasya jalaenge is ukti ma kis par bangya kiya gya aur kya

Answer» जहां कुछ मिलने की आशा होती है वहां लालची व्यक्ति रुक जाता है।
319.

aspatal ke praband par ashantosh vyakti karte huye asptal ke chikitsa adhikshak ko patra likhiye

Answer»
320.

फीचर लिखिए

Answer»
321.

Psychology kya h

Answer» One subject jo hindi se bhut alag h<br>Ek subject h ಠ_ಠ
322.

Pass

Answer» Hmm<br>Nahi
323.

सिल्वर वेडिंग कहानी के आधार पर यशोधर बाबू के अंतर्द्वंद को स्पष्ट कीजिए

Answer» Give me your insta id
324.

किशन बाबू बार बार किशनंदा को क्यू याद करते हे इसे आप उनका सामर्थ मानते है या कमजोरी ?

Answer»
325.

Ha. xj

Answer»
326.

कंुई सेपानी कैसेिनकाल जाता ह?ै राज!थान कP रजत बँूद\tपाठ के आधार पर बताइए।

Answer»
327.

Spiti m Barish

Answer»
328.

संवाददाता के दो बैसाखी

Answer»
329.

COVID 19 ke Rahat karya me deri ho rhi ki suchna dete hue health minister ko patra likhiye

Answer»
330.

पशु नदी में नहा रहे हैं पद परिचय

Answer»
331.

Takle Dharm ko Pustak Kiya

Answer»
332.

Spiti Me thand kyon padti h

Answer» क्योंकि स्पीति हिमालय के मध्य में स्थित है
333.

‘पथेर पाांचािी’ निल्म की शूटटग का काम ढाई साि तक क्यों चिा ?

Answer»
334.

Yuva varg aur anushasan ki samasya

Answer»
335.

Jamun ka tree

Answer»
336.

सात रावटी से क्या तात्पर्य है ?

Answer»
337.

मंसूरी जाते समय बस खराब होने पर रचनात्मक लेखन

Answer»
338.

Bबी (लखका) जब तातश कयहा पहल दन काम पर गई तो उसन वहा या दख

Answer»
339.

Meera Krishna ki upasana kis rup mai karti hai

Answer» Pati ke rup me
340.

स्पीति में कौन-कौन सी फसलें होती हैं?

Answer» Genhu matar jnho sarso
341.

लेखक ने स्पीति की बारिश को कैसा बताया तथा लोगों ने उसकी यात्रा को शुभ क्यों माना?

Answer»
342.

Sube singh kaun tha

Answer»
343.

gazal chapter kavya aur shilp saundarya

Answer»
344.

जामुन का पेड़ पाठ में लेखक पाठकों को क्या संदेश देना चाहता है

Answer» Ismein lekhak ye sandesh dena chah raha hota hai ki..Insaan ki jaan jyada kimati hoti hai..naki kisi aur cheez jaise ped..ek jaamun ke ped ke liye hum ek jaanwar ko bhi nahi marne ke liye chhod sakte the..toh insaan ke saath aisa kaise kar sakte hai..lekhak ye bhi kehta hai ki hume agar pata hai ki hume kaise kiski sahayata karni chahiye toh hume bina kuch soche samjhe sahayata karni chahiye..
345.

Alhad ka shabdarth bataen

Answer» अल्हड़\xa0संस्कृत [विशेषण] 1. लापरवाह ; मनमौजी ; मस्त 2. अनाड़ी 3. अनुभवहीन ; दुनियादारी न जानने वाला 4.
346.

Sahdev

Answer»
347.

इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है

Answer» (ख)\xa0इससे लोगों\xa0की इस\xa0मानसिकता का पता चलता\xa0है कि\xa0लोग\xa0केवल अपना स्वार्थ देखते हैं। अपने स्वार्थ के अतिरिक्त उन्हें किसी की परवाह नहीं होती है। संवेदनशीलता तो जैसे उनके अंदर से मर ही चुकी है। प्रश्न 2:दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात\xa0कैसे पता\xa0चली और इस जानकारी का फाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा?
348.

डायरी लेखन से आप क्या समझते हो ?

Answer» डायरी लेखन\xa0व्यक्ति के द्वारा लिखा गया व्यक्तिगत अभुभवों, सोच और भावनाओं को लेखित रूप में अंकित करके बनाया गया एक संग्रह है। विश्व में हुए महान व्यक्ति\xa0डायरी लेखन\xa0करते थे और उनके अनुभवों से उनके निधन के बाद भी कई लोगों को प्रेरणा मिलती है।\xa0डायरी\xa0गध साहित्य की एक प्रमुख विधा है इसमें लेखक आत्म साक्षात्कार करता है।
349.

आज के दूषित खान –पान पर एक फिचर लिखिए

Answer» इन सभी जीवों को जल चाहिए, इसीलिये सुखाया हुआ भोजन प्रायः जल्दी खराब नहीं होता। दूध जल्दी खराब होता है, खोया देर से खराब होता है और दूध के पाउडर को सबसे लम्बे समय तक ठीक रख सकते हैं क्योंकि पाउडर में जल सबसे कम होता है। भोजन को\xa0दूषित\xa0करने वाले अधिकांश जीव सामान्य तापमान पसंद करते हैं।
350.

धनराम के पिता का क्या नाम था?

Answer» Gangaram<br>एक दिन गंगाराम अचानक चल बसे।\xa0धनराम\xa0ने सहज भाव से उनकी विरासत सँभाल ली। इधर मोहन ने छात्रवृत्ति पाई। इससे उसके\xa0पिता\xa0वंशीधर तिवारी उसे बड़ा आदमी बनाने का स्वप्न देखने लगे।<br>Gangaram( lohar )<br>Gangaram<br>Show