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1.

‘ज्योति-जवाहर’ के आधार पर खण्डकाव्य के नायक पं० जवाहरलाल नेहरू का चरित्र-चित्रण कीजिए।या“‘ज्योति-जवाहर’ में नेहरू का विराट् व्यक्तित्व ही भारतीय राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।” उक्त कथन की पुष्टि कीजिए।या‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य में व्यक्त राष्ट्रीय भावना पर प्रकाश डालिए।या‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य के आधार पर पं० जवाहरलाल नेहरू का चरित्र-चित्रण आधुनिक भारत के निर्माता एवं देशप्रेमी के रूप में कीजिए।या‘ज्योति-जवाहर’ के नायक के विविध गुणों और उसकी प्रधान चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।या‘ज्योति-जवाहर’ के नायक की किन्हीं तीन/चार व्यक्तिगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।या‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य के नायक (प्रमुख पात्र) का चरित्र-चित्रण कीजिए।या‘ज्योति-जवाहर’ के नायक के प्रेरक चरित्र का वर्णन कीजिए।या“ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य के नायक में देश-प्रेम, विश्व-बन्धुत्व, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तथा राष्ट्रीय भावनात्मक एकता के समन्वित दर्शन होते हैं।” इस कथन की पुष्टि संक्षेप में कीजिए।या‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य कें जिस पात्र ने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया हो, उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।

Answer»

श्री देवीप्रसाद शुक्ल ‘राही’ द्वारा रचित ‘ज्योति-जवाहर’ नामक खण्डकाव्य के नायक पंडित जवाहरलाल नेहरू हैं। प्रस्तुत खण्डकाव्य में कवि ने नायक के व्यक्तित्व को भारत की सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक, साहित्यिक, धार्मिक और ऐतिहासिक  विशिष्टताओं से समाहित करके नायक जवाहर के व्यक्तित्व में निम्नलिखित विशिष्टताओं को देखा है

(1) अलौकिक पुरुष–कवि ने जवाहरलाल नेहरू के व्यक्तित्व में अलौकिकता का समावेश किया है तथा कहा है कि वे दिव्य तत्त्वों से निर्मित अलौकिक पुरुष हैं। विधाता ने अपने रचना-कौशल से सूर्य से तेज, चन्द्रमा से सुघड़ता, हिमालय से स्वाभिमान, सागर से गम्भीरता, वायु से गति और धरती से धैर्य लेकर उनके व्यक्तित्व का निर्माण किया है–

सूरज से लेकर ज्योति, चाँद से लेकर सुघराई तन की ।
हिमगिरि से लेकर स्वाभिमान, सागर से गहराई मन की॥
लेकर मारुत से गति अबाध, धरती से ले धीरज सम्बले।।
विधि ने तुझको ही सौंप दिया, अपनी रचना का पुण्य सकल ॥

कवि ने उनके व्यक्तित्व को राम-कृष्ण के गुणों से सम्पन्न मानकर युगावतार का स्वरूप प्रदान । किया है।

(2) गाँधीजी से प्रभावित–जवाहरलाल नेहरू महात्मा गाँधी के सच्चे अनुयायी एवं शिष्य थे। उन्हें गाँधी से सत्य, अहिंसा, उदारता, मानव-प्रेम, करुणा का आशीर्वाद उसी प्रकार प्राप्त हुआ था, जैसे राम को वशिष्ठ का शुभाशीष प्राप्त हुआ था। उन्होंने गाँधीजी के कर्म-सिद्धान्त से प्रेरणा पाकर अपने जीवन को कर्ममय बनाया है।

(3) समन्वयकारी लोकनायक-ज्योति-जवाहर’ काव्य में कवि ने उन्हें ‘संगम का राजा’ कहकर सम्बोधित किया है। उनके विराट् व्यक्तित्व में भारत के सम्पूर्ण धर्मों, संस्कृति, दर्शन, कला, साहित्य, राजनीति आदि के सभी रूपों का अपूर्व संगम मिलता है। वे  जननायक, लोकनायक एवं युगपुरुष के रूप में चित्रित किये गये हैं। भारतवर्ष के प्रत्येक प्रान्त ने अपना कुछ-न-कुछ उन पर न्योछावर किया है। नेहरू जी को युगावतार मानते हुए कवि ने इस प्रकार कहा है

मथुरा वृन्दावन अवधपुरी की, गली-गली में बात चली।
फिर नया रूप धरकर उतरा, द्वापर त्रेता का महाबली ॥

(4) राष्ट्रीय भावों के प्रेरक–जवाहरलाल नेहरू का व्यक्तित्व भारतीयों को राष्ट्रीय भावनाओं की प्रेरणा देने वाला है। उनके व्यक्तित्व में अशोक की युद्ध–विरक्ति, बुद्ध की करुणा, महावीर की अहिंसा, प्रताप का स्वाभिमान, शिवाजीं की देशभक्ति और विवेकानन्द के आत्मदर्शन की झलक दिखाई पड़ती है। भारत का कण-कण उन्हें त्याग और बलिदान से अभिमण्डित कर रहा है। इसी भाव को व्यक्त करते हुए राही जी कहते हैं

आजादी की मुमताज जिसे, अपने प्राणों से प्यारी है।
उस पर अपनी मुमताजसहित, यह शाहजहाँ बलिहारी है ॥
उनके व्यक्तित्व में राष्ट्रीय चेतना और भावात्मक एकता के दर्शन होते हैं।

(5) स्वाधीनता-सेनानी–प्रस्तुत खण्डकाव्य में कवि ने वीर जवाहर को एक उत्कृष्ट देशभक्त और अजेय स्वाधीनता-सेनानी के रूप में चित्रित किया है। महाराष्ट्र इस युगपुरुष को शिवाजी की तलवार के रूप में शक्ति सौंपता है, जिससे वे विदेशी शक्तियों से लोहा ले सकें। झाँसी और बिठूर को नेहरू की कार्यक्षमता पर अटल विश्वास है; क्योंकि उनका आविर्भाव तात्या टोपे और मुहम्मद शाह के बलिदान से हुआ है। राजस्थान इस वीर सेनानी को आन पर मिटने की अदा और संघर्षों से जूझने की मस्ती प्रदान करता है।

(6) दृढ़ पुरुष—नायक जवाहरलाल में कठिनाइयों में धैर्य धारण करने की अद्भुत क्षमता है।  उन्हें यह गुण असम की मिट्टी से प्राप्त हुआ है

काँटों की नोकों पर खिलना, मेरे जीवन की शैली है।
मेरी दिनचर्या पर्वत से, लेकर जंगल तक फैली है ॥

जिस प्रकार नारियल का फल ऊपर से कठोर और अन्दर से कोमल होता है उसी प्रकार श्री नेहरू ऊपर से सैनिक के शरीर के समाने कठोर और अन्दर से सन्त के मन के समान कोमल हैं। इसीलिए खण्डकाव्य में राही जी ने स्वयं उनके मुख से कहलवाया है-

मुझमें कोमलता है लेकिन, कायरता मेरा मर्म नहीं ।
बैरी के सम्मुख झुक जाना, मेरे जीवन का धर्म नहीं ॥

(7) नीतिज्ञ एवं स्वाभिमानी-नेहरू जी महान् राजनीतिज्ञ हैं। यह गुण उन्हें चाणक्य से प्राप्त हुआ था, जिसके सम्मुख सिकन्दर जैसा विश्व-विजेता भी मात खा गया था। उन्होंने राजा पोरस से स्वाभिमान का पाठ पढ़ा, जिसने सिकन्दर को स्वाभिमान का पाठ सिखाया था।

(8) नवराष्ट्र के निर्माता–भारत को स्वतन्त्र कराने के पश्चात् नये राष्ट्र का निर्माण करने वालों में जवाहरलाल नेहरू का नाम अग्रगण्य है। देश का सर्वाधिक उत्थान और विकास करने के लिए उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं का आरम्भ किया। गुट-निरपेक्षता, निरस्त्रीकरण, विश्व शान्ति की स्थापना आदि कार्यों के परिणामस्वरूप भारत विश्व के समक्ष प्रतिष्ठित हुआ। वे भारत को जाति-पॉति के बन्धनों से मुक्त देखना चाहते थे तथा सभी धर्मों की एकता में विश्वास रखकर देश को निरन्तर प्रगति-पथ पर अग्रसर रखना चाहते

(9) विश्व-शान्ति के अग्रदूत-नेहरू जी का व्यक्तित्व महान् था। भारत के राष्ट्र-भक्तों की श्रृंखला में उनका नाम अग्रगण्य है। भारत के भाग्य-विधाता के रूप में वे भारत की धरती पर अवतरित हुए। विश्वविख्यात धीरोदात्त नायक हैं, जिन्हें देश के प्रत्येक अंचल से स्नेहाशीष प्राप्त होता है।
संक्षेप में कहा जा सकता है कि जवाहरलाल लोकनायक एवं युगावतार हैं, जिनमें अहिंसा, सत्य, मानव-प्रेम, करुणा, विश्व-बन्धुत्व, शौर्य, स्वाभिमान, क्षमा आदि सभी गुण विद्यमान हैं। राष्ट्रीय भावात्मक एकता के प्रतीक के रूप में इनका व्यक्तित्व स्फटिक जैसी स्वच्छता, स्वदेशाभिमान, देश-प्रेम, विश्वबन्धुत्व एवं महान् मानवीय चेतना से ओत-प्रोत है। वस्तुतः वे भारत की आत्मा ही हैं।