InterviewSolution
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सघन और कम सघन जनसंख्या के लाभ व हानियां लिखिए। |
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Answer» सघन या कम सघन जनसंख्या के जहां लाभ हैं, वहां उनकी हानियां भी हैं। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है – 1. सघन जनसंख्या के लाभ –
सघन जनसंख्या घनत्व की हानियां-
कम सघन जनसंख्या घनत्व के लाभ-
कम सघन जनसंख्या की हानियां –
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सघन जनसंख्या घनत्व की क्या-क्या हानियां हैं ? |
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Answer» सघन जनसंख्या घनत्व की निम्नलिखित हानियां हैं –
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भारत में जनसंख्या घनत्व पर एक नोट लिखो। |
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Answer» भारत सघन जनसंख्या घनत्व वाला देश है। इसका जनसंख्या घनत्व प्रत्येक जनगणना के साथ बढ़ता जा रहा है। वर्ष 1901 में भारत का औसत जनसंख्या घनत्व 77 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था। परन्तु 2011 में यह 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर तक पहुंच गया।
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यू० एस० ए०, आस्ट्रेलिया तथा कनाडा जैसे देश मानवीय साधनों में निरन्तर धनी क्यों होते जा रहे हैं? |
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Answer» ये देश मानवीय साधनों में इसलिए धनी होते जा रहे हैं क्योंकि अन्य देशों से शिक्षित तथा अनुभवी लोग इन देशों में जा रहे हैं। |
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भारत में जूट की कृषि के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का वर्णन करते हुए उसके उत्पादन के क्षेत्रों पर प्रकाश डालिए।याभारत में जूट उद्योग का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों में कीजिए(क) उत्पादक क्षेत्र/राज्य तथा (ख) उत्पादन एवं व्यापार।याभारत में जूट उद्योग का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कीजिए-(i) स्थानीयकरण के कारक, (ii) प्रमुख केन्द्र। |
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Answer» जूट एक प्रमुख व्यापारिक एवं मुद्रादायिनी फसल है। भारत में जूट की कृषि के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का विवरण निम्नवत् है 1. तापमान – जूट उष्ण कटिबन्धीय, उष्णार्द्र जलवायु की उपज है। इसके पौधों के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। इसके लिए प्रायः 25 से 35° सेल्सियस तापमान आवश्यक है। भारत की जलवायु इन दशाओं का निर्माण करती है। उत्पादक क्षेत्र एवं उत्पादन – भारत में जूट का उत्पादक क्षेत्र निरन्तर बढ़ाया जा रहा है। भारत के जूट उत्पादक क्षेत्र वर्ष 1950-51 में 5.7 लाख हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 1999-2000 में 8.5 लाख हेक्टेयर तक पहुँच चुका था। भारत में जूट उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं 1.पश्चिम बंगाल – जूट उत्पादन में पश्चिम बंगाल राज्य भारत में प्रथम स्थान रखता है। यहाँ बर्दवान, हुगली, हावड़ा, मुर्शिदाबाद, मिदनापुर, कूच-बिहार, चौबीस परगना, मालदा, नादिया, बाँकुडा आदि जिलों में जूट उगाई जाती है। यहाँ भारत का कुल 60% जूट पैदा किया जाता है। 2.बिहार – भारत का दूसरा प्रमुख जूट उत्पादक राज्य बिहार है। यहाँ चम्पारन, दरभंगा, पूर्णिया, सारन, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी तथा सन्थाल परगना जिलों में जूट की खेती की जाती है। यह देश के कुल उत्पादन का 15% जूट पैदा करता है। 3.असोम – असोम में ब्रह्मपुत्र नदी की निचली घाटी में जूट की खेती की जाती है। नुवगाँव, गोलपाड़ा, कछार, कामरूप आदि जिलों में मुख्य रूप से जूट उगाया जाता है। यहाँ कृषि योग्य भूमि के 95% भाग पर देश का लगभग 10% जूट पैदा किया जाता है। अन्य जूट उत्पादक राज्य हैं–ओडिशा, मेघालय, त्रिपुरा, आन्ध्र प्रदेश तथा मध्य प्रदेश। इन सभी राज्यों में स्थानीयकरण के प्रमुख कारक उपर्युक्त भौगोलिक दशाओं का पाया जाना है। वर्तमान समय में भारत विश्व में 40% जूट का उत्पादन कर प्रथम स्थान बनाये हुए है। भारत में जूट का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 1,907 किग्रा है। वर्ष 2004–05 में 96 लाख गाँठ (1 गाँठ = 180 किग्रा) तथा वर्ष 2011-12 में 110.00 लाख गाँठ (1 गाँठ = 180 किग्रा) जूट का उत्पादन किया गया था। |
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गेहूं की खेती के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए। भारत में इसके वितरण का वर्णन कीजिए।यागेहूँ की खेती के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए तथा भारत में इसके उत्पादन क्षेत्र बताइए।याभारत में गेहूं की खेती का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कीजिए-1.अनुकूल भौगोलिक दशाएँ2.उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र3.उत्पादन। |
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Answer» गेहूँ भारत की प्रमुख उपज तथा महत्त्वपूर्ण एवं प्रमुख खाद्यान्न फसल है। भारत विश्व का 10% गेहूं उत्पन्न कर पाँचवाँ स्थान बनाये हुए है। भारत की कृषि भूमि के 12.4% भाग तथा खाद्यान्न उत्पादन में लगी भूमि के 18.7% भाग पर गेहूँ की कृषि की जाती है। ‘हरित क्रान्ति’ ने भारत के गेहूँ उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि की है। इस क्षेत्र में भारत अब पूर्णत: आत्मनिर्भर हो चुका है तथा निर्यात करने की स्थिति में आ गया है। यहाँ गेहूं का प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 2,750 किग्रा है। अनुकूल भौगोलिक दशाएँ – गेहूं की उपज के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाएँ निम्नलिखित हैं 1. जलवायु – गेहूं समशीतोष्ण जलवायु की प्रमुख उपज है। इसकी कृषि के लिए निम्नलिखित जलवायु दशाएँ उपयुक्त रहती हैं
2. मिट्टी – गेहूँ की कृषि के लिए हलकी दोमट या बलुई दोमट मिट्टी उत्तम मानी जाती है। इस मिट्टी में चूने तथा नाइट्रोजन के अंश का विद्यमान होना इसकी कृषि के लिए लाभदायक होता है। साथ ही मिट्टी समतल और भुरभुरी होनी चाहिए। अधिक उपज की प्राप्ति के लिए मिट्टी में कम्पोस्ट, यूरिया तथा अमोनियम सल्फेट आदि रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते रहना लाभप्रद रहता है। 3. मानवीय श्रम – गेहूँ उत्पादन के लिए अधिक मानवीय श्रम की आवश्यकता होती है। खेत जोतने, बोने, निराई-गुड़ाई करने, कटाई, गहाई आदि में पर्याप्त संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है, परन्तु जिन देशों में गेहूं उत्पादन में मशीनों का उपयोग किया जाता है, वहाँ मानवीय श्रम कम अपेक्षित होता है। भारत में मशीनों का प्रयोग कम किये जाने के कारण गेहूँ की कृषि सघन जनसंख्या वाले मैदानी भागों में की जाती है। गेहूँ के उपज-क्षेत्र अथवा वितरण- उत्तर के विशाल मैदान में, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दोमट मिट्टी में गेहूं की अच्छी पैदावार होती है। देश के शेष भागों मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात तथा महाराष्ट्र के कुछ भागों में भी गेहूँ उगाया जाता है। इस प्रकार गेहूँ उत्तरी भारत की प्रमुख फसल है, जहाँ देश का 70% गेहूँ उगाया जाता है। उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक राज्य है, जहाँ देश का 35.5% गेहूं उत्पन्न किया जाता है। पंजाब दूसरा बड़ा गेहूँ उत्पादक है, जो देश का 25% गेहूं उत्पन्न करता है। मध्य प्रदेश, हरियाणा तथा राजस्थान अन्य प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्य हैं। गेहूँ का उत्पादन–वर्ष 1950-51 ई० में 97 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूँ की कृषि की गयी थी, जो बढ़कर 2004-05 ई० में 265 लाख हेक्टेयर हो गयी। इसी अवधि में गेहूं का उत्पादन 64 लाख टन से बढ़कर 720 लाख टन हो गया। गेहूँ की प्रति हेक्टेयर उपज भी 6.6 कुन्तल से बढ़कर 27.18 कुन्तल हो गयी। इस प्रकार इस अवधि में प्रति हेक्टेयर उत्पादन में लगभग चार गुना वृद्धि हुई। भारत में गेहूँ उत्पादन में वृद्धि एक सफल क्रान्ति है, जिसके फलस्वरूप वर्ष 2011-12 (अनुमानित) में 902.32 टन हो गया। विश्व के गेहूं उत्पादन में चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस एवं कनाडा के बाद भारत का पाँचवाँ स्थान है। भारत में हुई हरित क्रान्ति को वास्तव में गेहूँ क्रान्ति ही कहा जाना चाहिए। |
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कपास की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए तथा भारत में उसके उत्पादन के क्षेत्रों पर प्रकाश डालिए।याभारत में कपास किन राज्यों में पैदा होती है? इसकी खेती के लिए दो उपयुक्त भौगोलिक दशाएँ बताइए।याभारत में कपास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी एवं वर्षा की दशाओं का वर्णन कीजिए तथा तीन राज्यों में कपास के उत्पादन का विवरण दीजिए।याकपास की खेती के लिए उपयुक्त तापक्रम, वर्षा एवं मिट्टी का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» भौगोलिक दशाएँ-कपास की खेती के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाओं की आवश्यकता होती है 1. तापमान – कपास के पौधे के लिए साधारणत: 20° से 35° सेग्रे तापमान की आवश्यकता होती है। पाला एवं ओला इसके लिए हानिकारक होते हैं। अत: इसकी खेती के लिए 200 दिन का पालारहित मौसम होना आवश्यक होता है। केपास की बौंडियाँ खिलने के समय स्वच्छ आकाश तथा तेज एवं चमकदार धूप होनी आवश्यक है, जिससे कि रेशे में पूर्ण चमक आ सके। 2. वर्षा – कपास की खेती के लिए साधारणतया 50 से 100 सेमी वर्षा पर्याप्त होती है, परन्तु यह वर्षा कुछ अन्तर से होनी चाहिए। अधिक वर्षा हानिकारक होती है, जब कि 50 सेमी से कम वर्षा वाले भागों में सिंचाई के सहारे कपास का उत्पादन किया जाता है। 3. मिट्टी – कपास के उत्पादन के लिए आर्द्रतायुक्त चिकनी एवं गहरी काली मिट्टी अधिक लाभप्रद रहती : है, जिससे पौधों की जड़ों में पानी भी न रहे और उन्हें पर्याप्त नमी भी प्राप्त होती रहे; इस दृष्टिकोण से दक्षिणी भारत की काली मिट्टी कपास के लिए बहुत ही उपयोगी है। 4. मानवीय श्रम – कपास की खेती को बोने, निराई-गुड़ाई करने और बौंडियाँ चुनने के लिए सस्ते एवं पर्याप्त संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता होती है। कपास चुनने के लिए अधिकतर स्त्रियाँ श्रमिक उपयुक्त रहती हैं। उत्पादक क्षेत्र–गुजरात, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश राज्य मिलकर देश की 65% कपास का उत्पादन करते हैं। तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब व राजस्थान अन्य प्रमुख कपास उत्पादक राज्य हैं। देश की कृषि योग्य भूमि को लगभग 6% क्षेत्र कपास उत्पादन में संलग्न है। विगत 50 वर्षों में कपास उत्पादन क्षेत्र में लगभग डेढ़ गुनी वृद्धि हुई है। कपास के उत्पादन के लिए लावा से निर्मित काली मिट्टी सर्वोत्तम होती है; अतः भारत में कपास का अग्रणी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है, जो देश की लगभग एक-चौथाई (25%) कपास पैदा करता है। गुजरात के लावा से निर्मित मिट्टी के क्षेत्र में भी कपास की अच्छी पैदावार होती है। यह राज्य देश की 15% कपास पैदा करता है। विगत वर्षों में पंजाब में कपास की खेती का बहुत विकास हुआ है। यह राज्य देश की 14% से अधिक कपास पैदा करता है। आन्ध्र प्रदेश लगभग 13% कपास उगाता है। हरियाणा (10%), राजस्थान (8%), कर्नाटक (7%) तथा तमिलनाडु (4%) अन्य महत्त्वपूर्ण कपास उत्पादक राज्य हैं। |
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भारत के किस राज्य में जन्म-दर सबसे कम है?(क) आन्ध्र प्रदेश(ख) कर्नाटक(ग) केरल(घ) तमिलनाडु |
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Answer» सही विकल्प है (ग) केरल |
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विदेशी व्यापार में आयात और निर्यात को स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» आयात और निर्यात को निम्नवत् परिभाषित किया जाता है आयात-जब कोई देश अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ अन्य देश से मँगाता है, तो इसे आयात कहा जाता है। इस प्रकार कोई भी देश किसी वस्तु का आयात इसलिए करता है कि या तो अमुक वस्तु का उत्पादन उस देश में नहीं किया जाता अथवा उसकी उत्पादन लागत उसके आयात-मूल्य से अधिक पड़ती है। निर्यात-जब कोई देश अपने अधिकतम उत्पादन को अन्य देशों को भेजता है तो उसे निर्यात कहा जाता है। इस प्रकार किसी वस्तु का निर्यात इसलिए किया जाता है कि उस देश में उत्पन्न की गई उस अतिरिक्त उत्पादित वस्तु की माँग विदेशों में है तथा उसे निर्यात कर विदेशी मुद्रा प्राप्त की जा सकती है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध स्थापित करने के उद्देश्य से भी निर्यात किया जाता है। |
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भारत में सर्वप्रथम आदर्श सहकारी दुग्ध संस्था कहाँ स्थापित की गयी थी ? |
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Answer» गुजरात राज्य के खेड़ा जिले में आनन्द में भारत की सर्वप्रथम आदर्श सहकारी दुग्ध संस्था स्थापित की गयी थी। |
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‘हरित क्रान्ति’ के जन्मदाता कौन थे ? |
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Answer» हरित क्रान्ति के जन्मदाता अमेरिका के कृषि वैज्ञानिक श्री बोरलॉग थे। |
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दिल्ली किस रेलवे मण्डल में स्थित है ?याउत्तर रेलवे का मुख्यालय किस स्थान पर स्थित है ? |
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Answer» दिल्ली उत्तरी रेलमण्डल में स्थित है तथा इसका मुख्यालय भी है। |
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टेलीफोन उपयोग में भारत का एशिया में कौन-सा स्थान है ? |
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Answer» टेलीफोन उपयोग में भारत का एशिया में प्रथम स्थान है। |
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‘पेजिंग सेवा’ क्या है ? |
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Answer» रेडियो पेजिंग’ दूरसंचार की एक आधुनिक तकनीक है, जिसके द्वारा एक निश्चित दूरी (दायरे) में पेजर धारक को कहीं भी सन्देश दिया जा सकता है। |
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विचारों के आदान-प्रदान का प्रमुख माध्यम क्या है ? |
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Answer» विचारों के आदान-प्रदान का प्रमुख माध्यम टेलीफोन है। |
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भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या से उत्पन्न समस्याओं की विवेचना कीजिए।याभारत में बढ़ती जनसंख्या की किन्हीं तीन समस्याओं की विवेचना कीजिए।यातेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण क्या-क्या समस्याएँ पैदा हो जाती हैं ?याभारत में जनसंख्या विस्फोट से उत्पन्न किन्हीं दो समस्याओं का वर्णन कीजिए।यातीव्र जनसंख्या वृद्धि के किन्हीं दो दुष्परिणामों का उल्लेख कीजिए।याभारत में बढ़ती हुई जनसंख्या के तीन प्रभावों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» जनसंख्या का आर्थिक विकास पर प्रभाव जनसंख्या तथा आर्थिक विकास में घनिष्ठ सम्बन्ध है। किसी देश का आर्थिक विकास प्राकृतिक संसाधनों तथा जनसंख्या के आकार तथा उसकी कार्यक्षमता पर निर्भर करता है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। भारत विश्व के 2.4% क्षेत्रफल पर विश्व की 1.5% आय के द्वारा 16.7% जनसंख्या का पालन-पोषण कर रहा है। ये आँकड़े बताते हैं कि हमारी आर्थिक प्रगति को ‘अत्यधिक जनसंख्या कैसे निष्प्रभावी बना रही है। गत 50 वर्षों में जनसंख्या में निरन्तर तीव्र वृद्धि के कारण जनसंख्या-विस्फोट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। बढ़ती हुई जनसंख्या भारत के लिए अभिशाप सिद्ध हुई है, क्योंकि इसने देश में निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न करके देश के आर्थिक विकास को ग्रहण लगा दिया है– 1. बेरोजगारी में वृद्धि – भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। देश में साधनों की कमी के कारण सभी को रोजगार नहीं दिलाया जा सकता। परिणामतः देश में शिक्षित बेरोजगारी तथा अल्प बेरोजगारी बड़े स्तर पर पायी जाती है। 2. प्रति व्यक्ति आय निम्न – पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत देश की राष्ट्रीय आय में निरन्तर वृद्धि हुई है। किन्तु बढ़ती जनसंख्या के कारण देश में प्रति व्यक्ति आय का स्तर अत्यन्त निम्न है। आज भी भारत में प्रति व्यक्ति आय विश्व के राष्ट्रों की तुलना में बहुत कम है। 3. निर्धनता में वृद्धि – भारत की लगभग 23.76 करोड़ जनसंख्या गरीबी की रेखा से नीचे का जीवन व्यतीत कर रही है तथा भारतीय अर्थव्यवस्था निर्धनता के दुश्चक्र में फंसी हुई है। जनसंख्या में तेजी से वृद्धि के कारण भारत में मकानों की समस्या गम्भीर रूप धारण करती जा रही है। 4. कीमतों में तीव्र वृद्धि – जनसंख्या में तीव्र वृद्धि से वस्तुओं की माँग लगातार बढ़ी है, किन्तु उत्पादन में उसी गति से वृद्धि नहीं हो पायी है। परिणामस्वरूप कीमतों में बड़ी तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे सामान्य जनता को अनेक कष्ट उठाने पड़ रहे हैं। 5. कृषि विकास में बाधा – जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण भूमि पर जनसंख्या का भार और परिवारों के बड़े होने के कारण भूमि को उपविभाजन बढ़ता ही जा रहा है, जिससे खेतों का आकार छोटा तथा अनार्थिक होता जा रहा है। भूमिहीन किसानों की संख्या बढ़ रही है। साथ ही कृषि में छिपी हुई बेरोजगारी की समस्या भी प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। 6. बचत तथा पूँजी-निर्माण में कमी – जनसंख्या-वृद्धि के कारण बेरोजगार युवकों तथा बच्चों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। कमाने वाले लोगों को अपनी आय का एक बड़ा भाग बच्चों के पालन-पोषण पर खर्च करना पड़ता है। इससे बचत घटती है, जिसका पूँजी-निर्माण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। फलतः पूँजी की कमी के कारण विकास-योजनाएँ भी पूरी नहीं हो पातीं। 7. जनोपयोगी सेवाओं पर अधिक व्यय – जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण सरकार को उनकी आधारभूत आवश्यकताओं; जैसे–बिजली, परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा, जल-आपूर्ति, भवन-निर्माण आदि पर लगातार अधिक धनराशि व्यय करनी पड़ती है। 8. अपराधों में वृद्धि – बेरोजगार लोगों की वृद्धि के कारण देश में चोरी, डकैती, अपहरण, राहजनी, हत्या आदि अपराधों में वृद्धि हो जाती है। सरकार को समाज में कानून तथा व्यवस्था बनाये रखने के लिए सुरक्षा पर अधिक धनराशि व्यय करनी पड़ती है। इससे सरकार पर बोझ बढ़ जाता है। 9. शहरी समस्याओं में वृद्धि – जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण लोग रोजगार पाने के लिए गाँवों को छोड़कर शहरों में आ रहे हैं, जिससे शहरों की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इससे शहरों में भीड़-भाड़, मकानों की कमी, गन्दगी व प्रदूषण, वेश्यावृत्ति आदि समस्याएँ तथा बुराइयाँ बढ़ती जा रही हैं। |
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| 17. |
कांडला बन्दरगाह किस राज्य में स्थित है ? |
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Answer» कांडला बन्दरगाह गुजरात राज्य में स्थित है। |
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भारत में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का उल्लेख कीजिए।याभारत में जनसंख्या के असमान वितरण को प्रभावित करने वाले तीन कारणों का वर्णन कीजिए।याभारत में जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो कारकों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» जनसंख्या के वितरण-घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व पर निम्नलिखित कारकों का प्रभाव पड़ता है 1. आवागमन के साधनों की सुविधा – जनाधिक्य के लिए आवागमन के साधने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; उदाहरणार्थ-गंगा के मैदान या तटीय मैदानों अथवा डेल्टा प्रदेशों में जहाँ नगरों, सड़कों , एवं रेलमार्गों का जाल-सी बिछा होता है, वहाँ जनसंख्या अधिक होती है। पश्चिमी राजस्थान एवं दक्षिण प्रायद्वीप की उच्च भूमि पर आवागमन के साधनों की कमी के कारण जनसंख्या कम होती है। 2. स्वास्थ्यकर जलवायु – जनसंख्या वृद्धि के लिए किसी प्रदेश की जलवायु का स्वास्थ्यवर्द्धक होना अति आवश्यक है। यही कारण है कि जिन भागों में वर्षा अधिक होती है, वहाँ मलेरिया अथवा बुखार फैला रहता है; अत: वहाँ जनसंख्या बहुत ही कम निवास करती है। 3. सुरक्षा – जन-घनत्व जीवन तथा धन-सम्पत्ति की सुरक्षा पर भी निर्भर करता है। जिन क्षेत्रों में सघन वन हैं, जंगली-हिंसक पशु निवास करते हैं अथवा चोर-डाकुओं का भय बना रहता है, वहाँ पर बहुत कम लोग निवास करते हैं। इसके विपरीत जहाँ जान-माल की सुरक्षा होती है, वहाँ अधिक मानव निवास करना पसन्द करते हैं। 4. उपजाऊ भूमि – भारत में सबसे अधिक जनसंख्या उपजाऊ समतल मैदानों, नदियों की घाटियों या डेल्टाओं में निवास करती है; क्योंकि इन क्षेत्रों की उपजाऊ भूमि उन्हें पर्याप्त खाद्यान्न एवं जीविकोपार्जन के साधन प्रदान करती है। यही कारण है कि भारत में जनसंख्या का घनत्व उत्तर के विशाल मैदान और पूर्वी तथा पश्चिमी तटीय मैदानों में अधिक पाया जाता है। 5. तापमान – अत्यधिक गर्म या अत्यधिक शीतप्रधान क्षेत्रों में जनसंख्या कम निवास करना पसन्द करती है। यही कारण है कि भारत के सामान्य तापमान वाले प्रदेशों में घनी जनसंख्या निवास करती है। इसके विपरीत न्यून ताप वाले, उच्च ताप पर्वतीय भागों अथवा अत्यधिक ताप वाले थार के मरुस्थल में कम जनसंख्या निवास करती है। 6. उद्योग-धन्धे – उद्योग-धन्धे जनसंख्या के वितरण को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। उद्योग-धन्धों वाले क्षेत्रों में लोग रोजी-रोटी कमाने के उद्देश्य से दूर-दूर से आकर बस जाते हैं। फलत: इन क्षेत्रों में जनसंख्या को अत्यधिक केन्द्रीकरण होता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु राज्य उद्योग-धन्धों के कारण ही घने बसे हुए हैं। 7. खनिज पदार्थ – जिन राज्यों में कोयला, लोहा, ताँबा, सोना, खनिज तेल आदि उपयोगी एवं बहुमूल्य खनिज पदार्थ निकाले जाते हैं, वहाँ जनसंख्या का घनत्व भी अपेक्षाकृत अधिक पाया जाता है। भारत में छोटा नागपुर का पठार, बिहार, ओडिशा तथा तमिलनाडु राज्यों में जैसे-जैसे खनिज पदार्थों का खनन होता गया वैसे-वैसे जनसंख्या के घनत्व में निरन्तर वृद्धि होती गयी है। 8. धरातल – धरातलीय बनावट एवं उसकी प्रकृति भी जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करती है। ऊँचे, असमतल, पर्वतीय तथा पठारी क्षेत्रों की अपेक्षा मैदानी क्षेत्रों में घनी जनसंख्या पायी जाती है। यही कारण है कि प्रायद्वीपीय भारत की अपेक्षा उत्तर के विशाल मैदान में जनसंख्या का जमघट पाया जाता है। समतल मैदानी क्षेत्र जनसंख्या का पालना कहे जाते हैं। 9. वर्षा की मात्रा (जल-उपलब्धता) – भारत जैसे कृषिप्रधान देश में जनसंख्या का वितरण एवं घनत्व वर्षा की मात्रा अथवा जल उपलब्धता से भी प्रभावित होता है। यही कारण है कि 100 सेमी वर्षा रेखा के पश्चिमी भाग वर्षा की कमी के कारण कम घने हैं, जब कि इसके पूर्वी भाग कम वर्षा वाले होते हुए भी सिंचाई की सुविधा उपलब्ध रहने के कारण घने बसे हुए हैं। |
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पूर्वी रेलवे का मुख्यालय है(क) बरौनी(ख) गोरखपुर(ग) कोलकाता(घ) मालेगाँव |
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Answer» सही विकल्प है (ग) कोलकाता |
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ग्राण्ड ट्रंक रोड जाती है(क) कोलकाता से जयपुर(ख) कोलकाता से लाहौर(ग) कोलकाता से अमृतसर(घ) कोलकाता से मुम्बई |
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Answer» सही विकल्प है (ग) कोलकाता से अमृतसर |
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किस मार्ग के द्वारा भारत का अधिकांश विदेशी व्यापार किया जाता है?(क) रेलमार्ग द्वारा।(ख) वायुमार्ग द्वारा(ग) समुद्री मार्ग द्वारा(घ) सड़क मार्ग द्वारा |
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Answer» सही विकल्प है (ग) समुद्री मार्ग द्वारा |
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न्हावा-शेवा का नया पत्तन किस नगर के पास है?(क) कोलकाता(ख) मुम्बई(ग) कांडला(घ) विशाखापत्तनम् |
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Answer» सही विकल्प है (ख) मुम्बई |
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भारत के पूर्वी तट पर स्थित उस प्राचीन पत्तन का नाम बताइए जो कृत्रिम है। |
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Answer» भारत के पूर्वी तट पर स्थित कृत्रिम और प्राचीन पत्तन है-चेन्नई। |
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भारत के किन्हीं दो राजमार्गों के नाम बताइए तथा इनके महत्व को स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» भारत के दो राजमार्ग हैं—(1) ग्राण्ड ट्रंक रोड तथा (2) मुम्बई-कोलकाता रोड या ग्रेट दकन रोड। 1. ग्राण्ड ट्रंक रोड – यह सड़क कोलकाता, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, अलीगढ़, दिल्ली, करनाल, अम्बाला होती हुई अमृतसर तक जाती है। यह सड़क मार्ग पूर्वी भारत को पश्चिमी भारत से जोड़ता है। पंजाब राज्य के कृषि उत्पादों को सम्पूर्ण भारत में पहुँचाने में यह सड़क मार्ग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी प्रकार विभिन्न औद्योगिक उत्पादों तथा सैन्य-सामग्री को पश्चिमी सीमा तक पहुंचानेमें इस सड़क-मार्ग का महत्त्वपूर्ण योगदान है। 2. मुम्बई-कोलकाता रोड या ग्रेट दकन रोड – यह सड़क-मार्ग मुम्बई, नागपुर, रायपुर, सम्बलपुर होता हुआ कोलकाता तक जाता है। यह भारत के पश्चिमी तट पर विकसित पत्तनों को सड़क मार्ग द्वारा पूर्वी तट पर स्थित पत्तनों से जोड़ता है। कोलकाता तथा मुम्बई के औद्योगिक उत्पादों को लाने |
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भारत की दो सुपरफास्ट ट्रेनों के नाम बताइए। |
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Answer» भारत की दो सुपरफास्ट ट्रेनों के नाम हैं—
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भारत के पश्चिमी तट पर स्थित दो पत्तनों के नाम लिखिए। |
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Answer» भारत के पश्चिमी तट पर स्थित दो पत्तन हैं— (1) मुम्बई तथा (2) कांडला। |
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संचार के विभिन्न साधन कौन-से हैं ? |
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Answer» भारत में संचार के विभिन्न साधन हैं–
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भारत की किन्हीं दो समाचार एजेन्सियों के नाम लिखिए। |
Answer»
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भारत की चार वायु सेवाओं के नाम लिखिए। |
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Answer» भारत की चार वायु सेवाओं के नाम हैं–
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भारत का प्रथम रेलमार्ग कब बनाया गया था ? |
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Answer» भारत का प्रथम रेलमार्ग 1853 ई० में बनाया गया था। |
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दुधारु पशु तथा भारवाहक पशु में क्या अन्तर है? |
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Answer» दुधारु पशु दूध देते हैं तथा भारवाहकं पशु बोझा ढोने का कार्य करते हैं। |
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भारत के किन दो पत्तनों से लौह-अयस्क का सर्वाधिक निर्यात किया जाता है ? |
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Answer» भारत के दो पत्तनों-पारादीप (ओडिशा) तथा विशाखापत्तनम् (आन्ध्र प्रदेश) से लौहअयस्क का सर्वाधिक निर्यात किया जाता है। |
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भारत के प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्गों के नाम लिखिए। |
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Answer» कांडला, मुम्बई, मार्मागाओ, न्यू मंगलौर, कोच्चि, तूतीकोरिन, चेन्नई, पारादीप, हल्दिया आदि प्रमुख जलमार्ग हैं। |
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राष्ट्रीय राजमार्ग किसे कहते हैं ? |
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Answer» वे सड़क मार्ग जो सभी प्रान्तीय राजधानियों को जोड़ते हैं, राष्ट्रीय राजमार्ग कहलाते हैं। |
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भारत में सबसे अधिक समाचार-पत्र किस भाषा में प्रकाशित होते हैं? |
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Answer» भारत में सबसे अधिक समाचार-पत्र हिन्दी भाषा में प्रकाशित होते हैं। |
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जननी सुरक्षा योजना का उद्देश्य है(क) महिला सशक्तीकरण को प्रोत्साहन देना(ख) महिला साक्षरता को प्रोत्साहन देना(ग) महिलाओं में स्वयं सहायता समूह बनाना(घ) सरकारी अस्पतालों में शिशु-जन्म को प्रोत्साहन देना |
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Answer» सही विकल्प है (घ) सरकारी अस्पतालों में शिशु-जन्म को प्रोत्साहन देना |
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हरित क्रान्ति की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ? या हरित क्रान्ति की तीन विशेषताएँ लिखिए।याहरित क्रान्ति की किन्हीं दो विशेषताओं का वर्णन कीजिए। |
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Answer» हरित क्रान्ति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
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भारत में हरित क्रान्ति का सूत्रपात बीसवीं शताब्दी के किस दशक में हुआ था ?(क) आठवें(ख) छठवें(ग) सातवें(घ) पाँचवें |
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Answer» सही विकल्प है (ख) छठवें |
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भारत से निर्यात की जाने वाली चार प्रमुख मदें लिखिए। |
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Answer» भारत से निर्यात की जाने वाली चार प्रमुख मदों का विवरण निम्नलिखित है- 1. वस्त्र एवं सिले-सिलाए वस्त्र – भारत सूती वस्त्र, सूती धागा, जूट का रेशा व जूटनिर्मित सामान–गलीचे, दरियाँ आदि–तथा सिले-सिलाए वस्त्रों (Readymade Garments) भारी मात्रा में निर्यात करता है। |
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भारत के चार प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों के नाम लिखिए। |
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Answer» भारत के चार प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों के नाम हैं–
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स्वर्णिम चतुर्भुज राष्ट्रीय राजमार्ग योजना क्या है ?यास्वर्णिम चतुर्भुज राष्ट्रीय राजमार्ग योजना बनाने के प्रमुख दो उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए। |
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Answer» वर्ष 1999 के लगभग 13 हजार किमी इकहरे राजमार्ग को चार से छ: लेन में बदलने की एक वृहत् योजना का प्रारूप तैयार किया गया। राष्ट्रीय राजमार्ग gविकास परियोजना के तहत इस कार्यक्रम पर १ 54,000 करोड़ की लागत (वर्ष 1999 के मूल्य-स्तर पर) अनुमानित की गयी। उपर्युक्त वृहत् योजना के अन्तर्गत दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई व कोलकाता प्रमुख शहरों को चार या छः लेन वाले द्रुतगामी सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए हैं 27 हजार करोड़ की जो योजना बनायी गयी, वह स्वर्णिम चतुर्भुज योजना कहलाती है। 5,846 किमी लम्बे इस सड़क-मार्ग को 2004 ई० तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन यह लक्ष्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। इस राजमार्ग को बनाने के दो प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं
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भारत में सबसे लम्बी सड़क का नाम लिखिए। |
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Answer» ‘ग्राण्ड ट्रंक रोड’ भारत की सबसे लम्बी सड़क है, जो कोलकाता को अमृतसर से जोड़ती है। इसकी एक शाखा जालन्धर से श्रीनगर तक जाती है। |
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भारत में हरित क्रान्ति की सफलता में किसने सहायता की ? |
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Answer» भारत में हरित क्रान्ति की सफलता में अमेरिका के कृषि वैज्ञानिक श्री बोरलॉग ने सहायता की। |
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भारतीय किसानों के लिए पशुओं का क्या महत्त्व है ? |
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Answer» भारतीय किसानों के लिए पशुओं के निम्नलिखित महत्त्व हैं
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भारत के आयात की चार प्रमुख मदें लिखिए। |
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Answer» भारत के आयात की चार प्रमुख मदें निम्नलिखित हैं 1. पेट्रोलियम – भारत में पेट्रोलियम तथा उससे सम्बन्धित उत्पादों द्वारा देश की लगभग 40% आवश्यकता ही पूर्ण हो पाती है, शेष आवश्यकता के लिए हमें विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत कच्चे तेल का आयात अधिक करता है, जिसका शुद्धिकरण देश की परिष्करणशालाओं में किया जाता है। तेल का आयात मुख्यतः ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब, बहरीन द्वीप म्यांकार (बर्मा), मैक्सिको, अल्जीरिया, इण्डोनेशिया एवं रूस से किया जाता है। 2. मशीनरी तथा परिवहन के उपकरण – भारत आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए सुधरी हुई एवं उन्नत किस्म की मशीनों का भारी मात्रा में आयात करता है। इनमें विभिन्न प्रकार के उद्योगों के लिए मशीनें, विद्युत मशीनें, खदान खोदने की मशीनें तथा परिवहन उपकरण प्रमुख हैं, जिनका आयात संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, पोलैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रेलिया व रूस आदि देशों से किया जाता है। 3. खाद्यान्न एवं खाद्य तेल – यद्यपि भारत भोजन के लिए अनाज पैदा करने में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है, परन्तु तेजी से बढ़ती जनसंख्या की अनाज की आवश्यकता की पूर्ति के लिए कभी-कभी अनाजों का आयात करना पड़ जाता है। अनाज एवं खाद्य तेलों का आयात संयुक्त राज्य अमेरिका, म्यांमार (बर्मा), ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, श्रीलंका आदि देशों से किया जाता है। 4. लोहा एवं इस्पात – भारत में उद्योग के हो रहे तेजी से विकास के कारण लोहे एवं इस्पात की माँग में वृद्धि हुई है। इसका आयात संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन एवं जर्मनी से किया जाता है। |
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भारत में रबड़ का उत्पादन किस राज्य में सर्वाधिक होता है ? |
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Answer» भारत में रबड़ का सर्वाधिक उत्पादन केरल राज्य में होता है। |
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पशुधन को भारत के लिए क्या महत्त्व है ? |
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Answer» भारत में विश्व के सर्वाधिक पशु पाये जाते हैं। यहाँ गाय, भैंस, भेड़, बकरी, घोड़े, खच्चर, गधे, सूअर, ऊँट, याक इत्यादि पशु पाये जाते हैं, जो अनेक प्रकार से उपयोगी हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में बड़ी संख्या में मवेशी पाये जाते हैं। इनसे कृषि में बहुत सहायता मिलती है। इसके अतिरिक्त यातायात, दूध, मांस इत्यादि के लिए भी इनका बहुत महत्त्व है। पशुओं के गोबर से खाद, ईंधन, खालें, चमड़ा, ऊन इत्यादि पदार्थ भी प्राप्त होते हैं। पशुओं की खालें, चमड़ा तथा ऊन उपयोगी निर्यात पदार्थ हैं, जिनसे विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होती है तथा ऊन उद्योग, जूता उद्योग इत्यादि अनेक उद्योग भी विकसित होते हैं। लगभग 1 करोड़ 80 लाख लोग पशुधन क्षेत्रों में मुख्य व सहायक रूप से नियुक्त हैं। पशुधन क्षेत्रों एवं सम्बन्धित उत्पादों से निर्यात आय निरन्तर बढ़ रही है। |
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भारतीय रेलों के कितने गेज होते हैं ? |
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Answer» भारतीय रेलों के तीन गेज होते हैं— (1) बड़ी गेज (1.69 मीटर) (2) मीटर गेज (1.00 मीटर) (3) छोटी गेज (0.73 मीटर) |
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पाइप लाइन परिवहन की आवश्यकता तथा महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।याभारत में पाइप लाइन परिवहन के दो महत्त्व बताइए। |
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Answer» पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस के परिवहन के लिए भारत में पाइप लाइनों का विकास किया गया है। इसे विकसित करने की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है–
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दक्षिण भारत के किन राज्यों में कहवा मुख्यतः उगाया जाता है ? |
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Answer» दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल में पहाड़ी ढालों पर कहवा उगाया जाता है। |
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