InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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भारत में वनों के सिर पर संकट किस कारण बढ़ गया है ? |
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Answer» मनुष्य की स्वार्थवृत्ति के कारण ही वनों पर संकट बढ़ गया है । देश की जनसंख्या वृद्धि, खेती के लिए वनों का सफाया, औद्योगीकरण, शहरों के कद में वृद्धि, स्थानांतरित खेती पद्धति, इमारती लकड़ी की बढ़ती हुई चोरी, सड़कों का निर्माण कार्य, बहुउद्देशीय योजनाएँ, नई बस्तियों की स्थापना, उद्योगों का शहरों से दूर स्थानान्तरण, ईंधन के लिए लकड़ी प्राप्त करने की प्रवृत्ति आदि कारणों से वनों के सिर पर संकट मंडरा रहा है । |
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| 2. |
निम्नलिखित में से किस जलवायु प्रदेश में कोणधारी वन पाए जाते हैं ? (क) मानसून(ख) भूमध्यसागरीय(ग) भूमध्यरेखीय(घ) टेगा |
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Answer» सही विकल्प है (घ) टैगा। |
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| 3. |
भूमध्यरेखीय प्रदेशों में घने तथा ऊँचे-ऊँचे वृक्ष क्यों उगते हैं तथा इन वृक्षों की क्या विशेषता होती है? |
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Answer» भूमध्यरेखीय प्रदेशों में अधिक गर्मी तथा अधिक वर्षा के कारण घने तथा ऊँचे-ऊँचे वृक्ष उगते हैं। ये वृक्ष सदाबहार होते हैं। |
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| 4. |
प्राकृतिक वनस्पति के प्रकारों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» प्राकृतिक वनस्पति तीन प्रकार की होती हैं- ⦁ वन |
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| 5. |
पृथ्वी पर ऐसा कौन-सा तत्त्व है जिसके प्रभाव से कोई नहीं बच सकता? |
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Answer» पृथ्वी पर जलवायु एकमात्र ऐसा तत्त्व है जिसके व्यापक प्रभाव से पेड़-पौधे से लेकर : छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़े तथा हाथी जैसे विशालकाय पशु भी नहीं बच पाते। |
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| 6. |
दक्षिण अमेरिका के दो घास के मैदानों के नाम लिखिए। |
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Answer» दक्षिण अमेरिका के दो घास के मैदानों के नाम हैं- ⦁ मानोज एवं |
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| 7. |
वनस्पति को प्रभावित करने वाले मुख्य घटक कौन-कौन से हैं? |
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Answer» वनस्पति को प्रभावित करने वाले मुख्य घटक हैं- ⦁ तापमान |
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| 8. |
जैवमण्डल को परिभाषित कीजिए। |
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Answer» जैवमण्डल धरातल से ऊपर कुछ ऊँचाई तक तथा समुद्रों, महासागरों एवं अन्य जलराशियों में कुछ गहराई तक विस्तृत वह संकीर्ण परत है जिसमें समस्त प्रकार का जीवन (वनस्पति, जीव-जन्तु, प्राणी, मानव, कीड़े-मकोड़े, पक्षी आदि) पाया जाता है। |
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| 9. |
विश्व में वनों के विस्तार का कुल क्षेत्रफल कितना है और उसमें से कितना मनुष्य की पहुँच के योग्य है? |
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Answer» विश्व में वनों के विस्तार का कुल क्षेत्रफल 25,620 लाख हेक्टेयर है, जिसमें से 59% मनुष्य की पहुँच के योग्य है। |
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भारत में विश्व के फूलवाले पौधों का कितना भाग पाया जाता है ?(A) 6%(B) 10%(C) 9%(D) 7.5% |
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Answer» सही विकल्प है (A) 6% |
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| 11. |
प्रोजेक्ट टाइगर निम्नलिखित में से किस उद्देश्य से शुरू किया गया है?(क) बाघ मारने के लिए।(ख) बाघ को शिकार से बचाने के लिए ।(ग) बाघ को चिड़ियाघर में डालने के लिए(घ) बाघ पर फिल्म बनाने के लिए |
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Answer» सही विकल्प है (ख) बाघ को शिकार से बचाने के लिए |
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| 12. |
‘सुन्दरवन कहाँ पाया जाता है? (क) गंगा डेल्टा में(ख) गोदावरी डेल्टा में(ग) महानदी डेल्टा में(घ) कावेरी डेल्टा में |
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Answer» सही विकल्प है (क) गंगा डेल्टा में |
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| 13. |
नीचे दिए गए कथनों में से कौन-सा कथन गलत है ?(A) गंगा नदी के मुखत्रिकोण प्रदेश में ज्वारीय जंगल स्थित हैं ।(B) चीड़ के रस से टर्पेन्टाइन बनता है ।(C) सुंदरी की लकड़ी नाव बनाने में उपयोग की जाती है ।(D) हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में कंटीली झाड़ी उगती है । |
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Answer» (D) हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में कंटीली झाड़ी उगती है । |
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| 14. |
‘सुन्दरवन स्थित है(क) जम्मू एवं कश्मीर में(ख) केरल में(ग) अरुणाचल प्रदेश में(घ) पश्चिम बंगाल में |
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Answer» सही विकल्प है (घ) पश्चिम बंगाल में |
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| 15. |
निम्नलिखित में से कितने जीवमण्डल निचय आई०यू०सी०एन० द्वारा मान्यता प्राप्त हैं?(क) एक(ख) तीन (ग) दो(घ) चार |
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Answer» सही विकल्प है (घ) चार |
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| 16. |
नन्दादेवी जीवमंण्डल निचय निम्नलिखित में से किस प्रान्त में स्थित है?(क) बिहार (ख) उत्तरांचल(ग) उत्तर प्रदेश(घ) उड़ीसा |
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Answer» सही विकल्प है (ख) उत्तरांचल (उत्तराखण्ड) |
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| 17. |
जीवमण्डल निचय को परिभाषित करें। वन क्षेत्र और वन आवरण में क्या अन्तर है? |
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Answer» जीवमण्डल निचय विशेष प्रकार के भौतिक (स्थलीय) और तटीय पारिस्थितिक क्षेत्र हैं। इनको यूनेस्को के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय पहचान का मानक प्राप्त है। ये आरक्षित क्षेत्र वन्य-जीव और वनों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए बनाए गए हैं। वन क्षेत्र वह क्षेत्र है जो राजस्व विभाग के द्वारा वनों के लिए निर्धारित होता है, जबकि वास्तविक वन आवरण वह क्षेत्र है जो वास्तव में वनों से ढका हुआ है। |
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| 18. |
जीव-जन्तुओं, वनस्पति एवं जलवायु के पारस्परिक सम्बन्धों की समीक्षा कीजिए।यावनस्पति पर जलवायु कारकों के प्रभाव की विवेचना कीजिए।याजलवायु तथा वनस्पति के जीव-जन्तुओं से सह-सम्बन्ध की सोदाहरण विवेचना कीजिए। |
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Answer» पृथ्वी पर जलवायु एकमात्र ऐसा तत्त्व है जिसके व्यापक प्रभाव से पेड़-पौधों से लेकर छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़े तथा हाथी जैसे विशालकाय पशु भी नहीं बच पाते। जलवायु का जीव पर समग्र प्रभाव पारिस्थितिकी तन्त्र कहलाता है। पारिस्थितिकी तन्त्र जैव जगत् के जैवीय सम्मिश्रण का ही दूसरा नाम है। ओडम के शब्दों में, “पारिस्थितिकी तन्त्र पौधों और पशुओं की परस्पर क्रिया करती हुई वह इकाई है जिसके द्वारा ऊर्जा का मिट्टियों से पौधों और पशुओं तक प्रवाह होता है तथा इस तन्त्र के जैव व अजैव तत्त्वों में पदार्थों का विनिमय होता है।” हम जानते हैं कि प्रत्येक जीवोम अपने पारिस्थितिकी तन्त्र का परिणाम होता है। सृष्टि के प्रारम्भ से लेकर आज तक जैव विकास की एक लम्बी कहानी है। सृष्टि के प्रारम्भ में जो जीवधारी उत्पन्न हुए प्राकृतिक पर्यावरण के साथ-साथ उनका स्वरूप भी बदलता गया। रीढ़विहीन प्राणी बाद में रीढ़ वाले प्राणी के रूप में विकसित हुए। डायनासोर से लेकर वर्तमान ऊँट और जिराफ तक सभी प्राणी जलवायु दशाओं के ही परिणाम हैं। (1) वनस्पति पर जलवायु को प्रभाव अथवा पेड़ – पौधों और जलवायु का सह-सम्बन्ध – प्राकृतिक वनस्पति अपने विशिष्ट पर्यावरण की देन होती है। यही कारण है कि पेड़-पौधों और जलवायु के मध्य सम्बन्धों की प्रगाढ़ता पायी जाती है। विभिन्न जलवायु प्रदेशों में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों का पाया जाना यह स्पष्ट करता हैं कि जलवायु और वनस्पति का अटूट सम्बन्ध है। टुण्ड्रा प्रदेश में कठोर शीत, तुषार और हिमावरण के कारण वृक्ष कोणधारी होते हैं। ढालू वृक्षों पर हिमपात का कोई प्रभाव नहीं होता। इन प्रदेशों में स्थायी तुषार रेखा पायी जाने तथा भूमि में वाष्पीकरण कम होने के कारण पेड़-पौधों का विकास कम होता है। टुण्ड्रा और टैगा प्रदेशों में वृक्ष बहुत धीरे-धीरे बढ़ते हैं। इनकी लकड़ी मुलायम होती है। उष्ण मरुस्थलीय भागों में वर्षा की कमी तथा उष्णता के कारण वृक्ष छोटे-छोटे तथा काँटेदार होते हैं। वृक्षों की छाल मोटी तथा पत्तियाँ छोटी-छोटी होती हैं। अनुपजाऊ भूमि तथा कठोर जलवायु दशाएँ वृक्षों के विकास में बाधक बन जाती हैं। मानसूनी प्रदेशों में वृक्ष ग्रीष्म ऋतु की शुष्कता से बचने के लिए अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। वर्षा ऋतु में यहाँ वृक्षों का विकास सर्वाधिक होता है। घास बहुल क्षेत्रों में वर्षा की कमी के कारण वृक्ष नहीं उगते। यहाँ लम्बी-लम्बी हरी घास उगती है। घास ही यहाँ की प्राकृतिक वनस्पति होती है। भूमध्यरेखीय प्रदेशों में अधिक गर्मी तथा अधिक वर्षा के कारण घने तथा ऊँचे-ऊँचे वृक्ष उगते हैं। इन वृक्षों को काटना सुविधाजनक नहीं है। वृक्षों के नीचे छोटे वृक्ष तथा लताएँ उगती हैं। ये वृक्ष सदाबहार होते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में ऊँचाई के साथ जलवायु में बदलाव आने के साथ ही वनस्पति के प्रकार एवं स्वरूप में भी अन्तर उत्पन्न होता जाता है। उच्च अक्षांशों एवं पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ बर्फ पड़ती है, वहाँ नुकीली पत्ती वाले कोणधारी वन पाये जाते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि किसी स्थान की जलवायु ही वहाँ की वनस्पति की नियन्त्रक होती है। इसके विपरीत जलवायु पर वनस्पति जगत् का प्रभाव भी पड़ता है। वनस्पति जलवायु को स्वच्छ करती है। पेड़-पौधे भाप से भरी पवनों को आकर्षित कर वर्षा कराते हैं। वृक्ष वायुमण्डल में नमी छोड़कर जलवायु को नम रखते हैं। वृक्ष पर्यावरण के प्रदूषण को रोककर जलवायु के अस्तित्व को बनाये रखते हैं। इस प्रकार पेड़-पौधे तथा जलवायु का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है। जहाँ पेड़-पौधे जलवायु को प्रभावित करते हैं, वहीं जलवायु पेड़-पौधों पर अपनी अमिट छाप छोड़ती है। (2) जीव-जन्तुओं और जलवायु का सह-सम्बन्ध – किसी भी स्थान के जैविक तन्त्र की रचना जलवायु के द्वारा ही होती है। जीव-जगत् जलवायु पर उतना ही निर्भर करता है जितना वनस्पति जगत्। जीव-जन्तुओं के आकार, प्रकार, रंग-रूप, भोजन तथा आदतों के निर्माण में जलवायु सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। टुण्ड्रा और टैगी प्रदेश में शीत-प्रधान जलवायु के कारण ही समूरधारी जानवर उत्पन्न होते हैं। प्रकृति द्वारा दिये गये उनके लम्बे तथा मुलायम बाल ही उन्हें हिमपात तथा कठोर शीत से बचाते हैं। ये पशु इस क्षेत्र के पौधों के पत्ते खाकर जीवित रहते हैं। रेण्डियर, श्वेत ‘भालू तथा मिन्क इस क्षेत्र की जलवायु की ही देन हैं। उष्ण मरुस्थलीय क्षेत्रों में ऊँट तथा भेड़-बकरियाँ ही पनप पाती हैं। ये पशु शुष्क जलवायु में रह सकते हैं। ऊँट रेगिस्तान का जहाज कहलाता है। ये सभी पशु मरुस्थलीय क्षेत्रों में उगी वनस्पतियों के पत्ते खाकर जीवित रहते हैं। ऊँची-ऊँची झाड़ियों के पत्ते खाने में भी ऊँट सक्षम है। मरुस्थलीय प्रदेशों में दूरदूर तक पेड़-पौधों तथा जल के दर्शन तक नहीं होते। यही कारण है कि यहाँ का मुख्य पशु ऊँट बगैर कुछ खाये-पिये. हफ्तों तक जीवित रह सकता है। इन क्षेत्रों के जीवों को पानी की कम आवश्यकता होती है। मानसूनी प्रदेश के वनों में शाकाहारी तथा मांसाहारी पशुओं की प्रधानता है। शाकाहारी पशु वृक्षों के पत्ते खाकर तथा मांसाहारी पशु शाकाहारी पशुओं को खाकर जीवित रहते हैं। विषुवतेरेखीय प्रदेश की उष्ण एवं नम जलवायु में मांसाहारी पशुओं से लेकर वृक्षों की शाखाओं पर रहने वाले बन्दर, गिलहरी तथा साँप एवं जल में पाये जाने वाले मगरमच्छ तथा दरियाई घोड़े पाये जाते हैं। उष्ण जलवायु ने यहाँ के मक्खी और मच्छरों को विषैला बना दिया है। |
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भारत के उन राज्यों के नाम बताइए जिनके दो-तिहाई भौगोलिक क्षेत्र वनों से ढके हैं? |
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Answer» जहाँ दो-तिहाई भौगोलिक क्षेत्र वनों से ढके हैं, उन राज्यों के नाम हैं– (1) मणिपुर (2) मेघालय (3) त्रिपुरा (4) सिक्किम |
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उन चार राज्यों के नाम बताइए जिनके भौगोलिक क्षेत्रफल में 10 प्रतिशत से भी कम भाग पर वन हैं। |
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Answer» राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र)। |
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सुरक्षित वनों से क्या तात्पर्य है? |
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Answer» वे वन जिन्हें इमारती लकड़ी अथवा वन उत्पादों को प्राप्त करने के लिए सुरक्षित किया गया है। |
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संरक्षित वन किन्हें कहते हैं? |
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Answer» जिन वनों में सामान्य प्रतिबन्धों के साथ पशुचारण एवं खेती करने की अनुमति दे दी जाती है, उन्हें संरक्षित वन कहते हैं। |
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वर्तमान में वनों की क्या महत्ता है? |
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Answer» वन पर्यावरणीय स्थिरता और पारिस्थितिक सन्तुलन को बनाए रखने में सहायक हैं। |
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भारतीय वनों की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» भारतीय वनों की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं ⦁ भारत में जलवायु की विभिन्नता के कारण विविध प्रकार के वन पाये जाते हैं। यहाँ विषुवत्रेखीय सदाबहार वनों से लेकर शुष्क, कॅटीले वन व अल्पाइन (कोमल लकड़ी वाले) वन तक मिलते हैं। ⦁ भारत में कोमल लकड़ी वाले वनों का क्षेत्र कम पाया जाता है। यहाँ कोमल लकड़ी वाले वन हिमालय के अधिक ऊँचे ढालों पर मिलते हैं, जिन्हें काटकर उपयोग में लाना अत्यन्त कठिन है। ⦁ भारत के मानसूनी वनों में ग्रीष्म ऋतु से पूर्व वृक्षों की पत्तियाँ नीचे गिर जाती हैं, जिसे पतझड़ कहते हैं। ⦁ भारत के वनों में विविध प्रकार के वृक्ष मिलते हैं। अतः उनकी कटाई के सम्बन्ध में विशेषीकरण नहीं किया जा सकता। |
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निम्नलिखित विषयों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:वनों के विकास के लिए मुख्य कारणों |
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Answer» हमारे देश और विश्व में वनों का तीव्र गति से विनाश हो रहा है ।
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जनजातीय समुदायों के लिए वनों की महत्ता का वर्णन कीजिए। |
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Answer» जनजातीय समुदायों के लिए वनों का विशेष महत्त्व है। वन इस समुदाय के लिए आवास, रोजी-रोटी और अस्तित्व हैं। ये उन्हें भोजन, फल, खाने लायक वनस्पति, शहद, पौष्टिक जड़े और शिकार के लिए वन्य शिकार प्रदान करते हैं। वन उन्हें घर बनाने का सामान और कला की वस्तुएँ भी देते हैं। इस प्रकार वन जनजातीय समुदाय के लिए जीवन और आर्थिक क्रियाओं के आधार हैं। सामान्यत: यह माना जाता है कि 2001 में भारत के 593 जिलों में से 187 जनजातीय जिले हैं। इनमें देश का 59.8 प्रतिशत वन आवरण पाया जाता है। इससे पता चलता है कि भारत के जनजातीय जिले वन सम्पदा में धनी हैं। |
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संसद ने वन संरक्षण अधिनियम कब पास किया ?(A) 1952(B) 1980(C) 1988(D) 1971 |
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Answer» सही विकल्प है (C) 1988 |
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निम्नलिखित विधानों को समझाइए:भारतीय संसद ने वन संरक्षण अधिनियम पास किया । |
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Answer» हमारे देश में वनों का तीव्र गति से विनाश हो रहा है जिससे वन्य जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है ।
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वन और वन्य-जीव संरक्षण में लोगों की भागेदारी कैसे महत्त्वपूर्ण है? |
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Answer» वन और वन्य-जीव संरक्षण केवल सरकारी प्रयासों द्वारा ही सम्भव नहीं है। स्वयंसेवी संस्थाएँ और जनसमुदाय का सहयोग इसके लिए अत्यन्त आवश्यक और महत्त्वपूर्ण है। भारत में वन्य प्राणियों के बचाव की परम्परा बहुत पुरानी है। हमारे धर्मग्रन्थों में इसका व्यापक उल्लेख मिलता है। इतना ही नहीं, पंचतन्त्र, जंगल बुक इत्यादि की कहानियाँ हमारे वन्य प्राणियों के प्रति प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। सरकार द्वारा वैधानिक प्रयासों के अन्तर्गत बनाए गए विभिन्न अधिनियम तथा परियोजनाएँ (बाघ परियोजना, हाथी परियोजना आदि) वन्य-जीव एवं वन संरक्षण के लिए मुख्य प्रयास हैं। फिर भी वन्य प्राणी संरक्षण का दायरा अत्यन्त व्यापक है और इसमें मानव-कल्याण की असीम सम्भावनाएँ निहित हैं। फलस्वरूप इस लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब हर व्यक्ति इसका महत्त्व समझे और अपना योगदान दे। अतः लोगों की सहभागिता द्वारा ही वनों और जीवों का संरक्षण हो सकता है और तभी यह प्राकृतिक धरोहर सुरक्षित रह सकती है। उत्तराखण्ड का चिपको आन्दोलने वन और वन्य-जीवों के संरक्षण का विश्वप्रसिद्ध आन्दोलन है, जो जनसमुदाय की इस क्षेत्र में भागीदारी का उत्तम उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। |
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गुजरात के कितने भाग पर वन है ?(A) 10%(B) 23%(C) 33%(D) 25% |
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Answer» सही विकल्प है (A) 10% |
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‘अ’ विभाग में दी गई विगतों के साथ ‘ब’ विभाग की विगतों के सामने दिए गयें () में योग्य उत्तर क्रम में लिखिए ।‘अ’‘ब’(1) पलाश(अ) टोकरी, खिलौने, चटाई की बनावट(2) खेर(ब) झाडू की बनावट(3) ताड-खजूर(स) पतल और दोने की बनावट(4) टीमरू(द) बीड़ी की बनावट(5) बाँस(य) कत्था की बनावट |
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Answer»
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वन-संरक्षण हेतु कोई दो उपाय सुझाइए। |
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Answer» ⦁ व्यापक वृक्षारोपण और सामाजिक वानिकी कार्यक्रमों के द्वारा वन और वृक्ष के आच्छादन में महत्त्वपूर्ण बढ़ोतरी की जाए। ⦁ वन उत्पादों के उचित उपयोग को बढ़ावा देना और लकड़ी के अनुकूलतम विकल्पों की खोज की जाए। |
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भारत के कितने क्षेत्र पर वन है ?(A) 23%(B) 33%(C) 25%(D) 38% |
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Answer» सही विकल्प है (A) 23% |
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जंगलों का पर्यावरणीय महत्व समझाइए । |
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Answer» जंगलों का पर्यावरणीय महत्त्व निम्नलिखित है :
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जंगलों के संरक्षण के उपाय स्पष्ट कीजिए । |
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Answer» लोगों की जंगल राष्ट्रीय संपत्ति है, इसका संरक्षण करना हमारा कर्त्तव्य है, समझाना चाहिए ।
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जंगलों की उपयोगिता बताइए । |
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Answer» जंगलों का आर्थिक महत्त्व (उपयोगिता) :
पर्यावरणीय महत्त्व :
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भारत में विविधतापूर्ण वनस्पतियाँ दिखाई पड़ती है । |
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Answer» भारत में प्राकृतिक संरचना और मिट्टी की विभिन्नता के कारण वनस्पति में विविधता पायी जाती है ।
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जंगलों के विनाश के कौन-से कारण है ? |
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Answer» जंगलों के विनाश के लिए मानव की जमीन पाने की भूख सर्वाधिक जिम्मेदार है । इसके अलावा जनसंख्या वृद्धि, उद्योगों को आवासीय क्षेत्रों से दूर ले जाने की नीति, शहरीकरण, बहुउद्देशीय योजनाएँ, सड़क निर्माण, इमारती और ईंधन की लकड़ी पाने, खेती, दावानल आदि जंगलों के विनाश के कारण है । |
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निम्नलिखित विधानों को समझाइए:वन विनाश से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ा है । |
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Answer» वनस्पति जीवन, प्राणीजीवन तथा मानवजीवन के आंतरसंबंधों से पारिस्थितिक तंत्र का सृजन होता है, परंतु मानव की पर्यावरण विरोधी प्रवृत्तियों तथा स्वार्थवृत्ति के कारण पारिस्थितिक तंत्र में व्यवधान पड़ा है ।
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कैसे क्षेत्रों में वनस्पति का विकास तेजी से होता है ? |
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Answer» अधिक वर्षा और अधिक सूर्यतापवाले प्रदेशों में वनस्पति का तेजी से विकास होता है । |
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चीड़ के पेड़ से क्या बनता है ?(A) कत्था(B) टर्पेन्टाइन(C) लाख(D) गोंद |
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Answer» (B) टर्पेन्टाइन |
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विदेशी पौधों से हमें क्या नुक्सान हो सकते हैं? |
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Answer» विदेशी पौधों से हमें निम्नलिखित हानियां हो सकती हैं —
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जीवाणु प्रतिरोधक वनस्पति कौन-सी है ?(A) सर्पगंधा(B) नीम(C) गिलोय(D) करंजी |
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Answer» सही विकल्प है (B) नीम |
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बिना फूल वाले पौधों के नाम लिखिए। |
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Answer» बिना फूल वाले पौधों के नाम हैं-फर्न, शैवाल तथा कवक। |
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‘उष्ण कटिबंधीय बरसाती’ जंगों को सदाबहार जंगल क्यों कहते हैं ? |
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Answer» ऊँचे तापमान और 200 cm से अधिक वर्षावाले क्षेत्रों में पाये जानेवाले वनों को बरसाती वन कहते हैं ।
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इनमें से कौन-सा वृक्ष सदाबहार वनों का है ?(A) महोगनी(B) अबसून(C) रोजवुड(D) ये तीनों ही |
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Answer» सही विकल्प है (D) ये तीनों ही |
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बरसाती वनों को सदाबहार वन क्यों कहते हैं ? |
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Answer» इन वनों में पतझड़ जैसी ऋतु नहीं आती है । ये बारहों महीनें हरेभरे रहते हैं । इसलिए इन्हें सदाबहार वन कहते हैं । |
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उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वनों के मुख्य वृक्षों के नाम तथा प्रमुख क्षेत्र बताइए। |
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Answer» इन वनों में रोजवुड, एबोनी और आयरन वुड आदि वृक्ष पाए जाते हैं। भारत में उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन पश्चिमी घाट के पर्वतीय क्षेत्रों पर 450 से 1,370 मीटर की ऊँचाई के मध्य उगते हैं। असम और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों की पहाड़ियों, पूर्वी हिमालय के तराई क्षेत्र तथा अण्डमान निकोबार द्वीपसमूह में भी इसी प्रकार के वन उगते हैं। |
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सदाबहार वनों के मुख्य वृक्ष कौन-से है ? |
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Answer» सदाबहार वनों में महोगनी, रबड़, आबसून, रोजवुड आदि मुख्य वृक्ष है । |
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कौन-सा वृक्ष अल्पाईन वनस्पति का मुख्य वृक्ष है ?(A) बर्च(B) स्यूस(C) ओट(D) चेस्टनट |
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Answer» सही विकल्प है (A) बर्च |
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