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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

तुर्को ने कुस्तुनतुनिया पर कब आक्रमण किया?(क) 1453 ई० में(ख) 1435 ई० में(ग) 1485 ई० में(घ) 1688 ई० में

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सही विकल्प है (क) 1453 ई० में

2.

लेवियाथन’ के लेखक का नाम है(क) प्लेटो(ख) हॉब्स(ग) लॉक(घ) मॉण्टेस्क्यू

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सही विकल्प है (ख) हॉब्स

3.

गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त की व्याख्या कीया‘गुरुत्वाकर्षण’ के सिद्धान्त का प्रतिपादक कौन था ?(क) गैलीलियो ने(ख) कॉपरनिकस ने(ग) न्यूटन ने(घ) रॉबर्ट बॉयल ने

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सही विकल्प है (ग) न्यूटन ने

4.

छापाखाने (प्रिण्टिग प्रेस) का आविष्कार किसने किया ?

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छापाखाने (प्रिण्टिग प्रेस) का आविष्कार जर्मनी के एक प्रसिद्ध आविष्कारक गुटेनबर्ग ने सन् 1465 ई० में किया।

5.

दूरबीन ( टेलीस्कोप) को आविष्कार किसने किया?(क) गैलीलियो ने(ख) आर्किमिडीज ने(ग) न्यूटन ने(घ) विलियम हार्वे ने

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सही विकल्प है (क) गैलीलियो ने

6.

पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं ? यूरोप में पुनर्जागरण के क्या कारण थे ?यापुनर्जागरण का क्या अर्थ है ? पुनर्जागरण के कारण बताइए।

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पुनर्जागरण – यूरोप के निवासियों ने मध्यकाल की निर्जीव और मृतप्राय रोमन एवं यूनानी सभ्यता को पुनर्जीवित करने के जो प्रयास किये, उन्हें पुनर्जागरण (Renaissance) कहते हैं। ‘पुनर्जागरण’ शब्द का प्रयोग उन सभी बौद्धिक परिवर्तनों के लिए किया जाता है जो मध्य युग के अन्त में तथा आधुनिक युग के प्रारम्भ में हुए। इससे अज्ञानता और अन्धविश्वास की जंजीरों में जकड़े हुए मनुष्य को छुटकारा मिला और उसके जीवन में नये ज्ञान एवं नयी चेतना का उदय हुआ। इसीलिए ‘पुनर्जागरण’ को मध्यकालीन पुराने विचारों के विरुद्ध एक सांस्कृतिक एवं अहिंसक क्रान्ति की संज्ञा दी गयी। पुनर्जागरण के फलस्वरूप यूरोप में राज्य, राजनीति, धर्म, न्याय, साहित्य, दर्शन आदि के क्षेत्र में बहुत अधिक परिवर्तन तथा सुधार हुए।

यूरोप में पुनर्जागरण के कारण

यूरोप में पुनर्जागरण के लिए मुख्यतया निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे –

1. धर्म-युद्ध – नवीन ज्ञान का मार्ग दिखाने में मध्यकाल में लड़े गये धर्म-युद्धों ने विशेष भूमिका निभायी। ये धर्म-युद्ध तुर्को से येरुसलम को स्वतन्त्र कराने के लिए ईसाइयों ने लड़े। इन धर्म-युद्धों के कारण यूरोपवासी अन्य देशों की सभ्यता एवं संस्कृति के सम्पर्क में आये और उनमें नवीन विचारों का उदय हुआ।

2. इस्लाम धर्म का प्रचार – धर्म-युद्धों के कारण यूरोप के लोग मध्य-पूर्व की इस्लाम सभ्यता के सम्पर्क में आये। इससे यूरोपवासियों को अपने राजनीतिक एवं धार्मिक ढाँचे की कमियों की जानकारी हुई। उन्होंने अपने जर्जर धार्मिक, राजनीतिक तथा सामाजिक जीवन में समयानुकूल परिवर्तन करने आवश्यक समझे तथा अपनी प्राचीन सभ्यता-संस्कृति को पुनः स्थापित करने के लिए नये सिरे से प्रयास करने प्रारम्भ कर दिये।

3. कुस्तुनतुनिया पर तुर्को का अधिकार – सन् 1453 ई० में तुर्को ने कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिया। इससे यूरोप में पुनर्जागरण को बड़ा बल मिला। तुर्को के अत्याचार से डरकर बहुत सारे यूनानी- ईसाइयों ने यूरोप के भिन्न-भिन्न भागों  में शरण ली। इन लोगों ने यूरोप में जगह-जगह यूनानी सभ्यता का प्रचार किया, जिसका लोगों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा। इस प्रभाव ने यूरोप में जागृति की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी।

4. नवीन धार्मिक मान्यताओं का विकास – यूरोप के लोगों में यह विश्वास उत्पन्न होने लगा कि स्वर्ग तथा नरक केवल रूढ़िवादी धर्म की कल्पनाएँ हैं। जीवन का सच्चा सुख तो केवल परिश्रम तथा । स्वावलम्बन से प्राप्त होता है। स्वर्ग कहीं नहीं, इसी धरती पर विद्यमान है। इन मानवतावादी विचारों के प्रादुर्भाव से यूरोप के निवासियों को अन्धविश्वासों से मुक्ति मिली और वे नये तार्किक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने लगे।

5. भौगोलिक खोजें – पुर्तगाल, स्पेन, फ्रांस, इटली, इंग्लैण्ड, हॉलैण्ड आदि देशों के नाविकों ने नये-नये सामुद्रिक मार्गों तथा नये-नये देशों की खोज की। यूरोप के लोगों ने इन देशों में अपने उपनिवेश स्थापित किये, जिससे यूरोप में साम्राज्यवाद के युग का आरम्भ हुआ। इन भौगोलिक खोजों से यूरोपवासी अनेक उन्नत व प्राचीन सभ्यताओं के सम्पर्क में आये, जिससे यूरोप में नवीन विचारों का उदय हुआ।

6. छापेखाने का आविष्कार – छापेखाने के आविष्कार से पुस्तकों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई, जिससे सामान्य जनता के लिए शिक्षा के द्वार खुल गये। शिक्षा के प्रसार से लोगों का ज्ञान बढ़ा तथा उनकी तर्क-शक्ति का विकास हुआ। फलस्वरूप यूरोप में नवीन विचारों का उदय हुआ।

7. आविष्कारों का प्रभाव – यूरोप में विभिन्न वैज्ञानिकों ने नये-नये आविष्कार किये। न्यूटन तथा गैलीलियो जैसे वैज्ञानिकों के आविष्कारों के फलस्वरूप विज्ञान के क्षेत्र में क्रान्ति आ गयी। विभिन्न आविष्कारों के कारण प्राचीन-निरर्थक मान्यताओं का लोप होने लगा और लोगों में नवीन वैज्ञानिक दृष्टिकोण जाग्रत हो गया।

8. भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में परिवर्तन – उन दिनों लैटिन सारे यूरोप की भाषा बनी हुई थी। इंग्लैण्ड के प्रसिद्ध साहित्यकार चासर ने ‘द कैण्टरबरी टेल्स’ पुस्तक की रचना करके आधुनिक अंग्रेजी साहित्य का मार्ग प्रशस्त किया। इटली के महान् कवि दान्ते ने इटली की भाषा में प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘डिवाइन कॉमेडी’ की रचना की। इटली निवासी मैकियावली ने राज्य की नयी कल्पना प्रस्तुत की तथा जर्मन निवासी मार्टिन लूथर ने चर्च के विरुद्ध ग्रन्थ लिखे। इन विभिन्न कवियों तथा लेखकों की कृतियों ने यूरोप में पुनर्जागरण को अत्यधिक प्रोत्साहित किया।

9. नये नगरों की स्थापना – यूरोप के विभिन्न देशों में नये नगरों की स्थापना की गयी। आर्थिक और व्यापारिक दृष्टि से ये नगर सम्पन्न थे, जिस कारण इनमें विज्ञान, शिक्षा तथा कला का विकास हुआ। फलस्वरूप इन नगरों के निवासियों में नये ज्ञान तथा नवीन चेतना का उदय हुआ।

10. कलाओं का प्रभाव – चित्रकला, मूर्तिकला, संगीतकला तथा भवन निर्माण में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए। इस युग के प्रमुख कलाकारों में राफेल, माइकल एंजेलो तथा लियोनार्दो-दा-विन्ची के नाम उल्लेखनीय हैं। इन कलाकारों ने अपनी कृतियों द्वारा यूरोप के लोगों को अत्यधिक प्रभावित किया।

7.

शेक्सपियर किस देश का नागरिक था ?(क) इंग्लैण्ड(ख) अमेरिका(ग) फ्रांस(घ) आयरलैण्ड

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सही विकल्प है (क) इंग्लैण्ड