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1.

एक व्यवस्थित संगठन के रूप में राज्य के अनिवार्य तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

एक व्यवस्थित संगठन के रूप में राज्य के अनिवार्य तत्त्व हैं—

⦁    भूमि,
⦁    जनसंख्या,
⦁    सरकार तथा
⦁    सत्ता।

2.

राज्य से आप क्या समझते हैं? राज्य के मुख्य शैक्षिक कार्यों का उल्लेख कीजिए।शिक्षा के अभिकरण के रूप में राज्य के कार्यों की विवेचना कीजिए।याराज्य के शैक्षिक कार्यों का वर्णन कीजिए।याशिक्षा के क्षेत्र में राज्य के उत्तर:दायित्वों का वर्णन कीजिए।

Answer»

राज्य की परिभाषा
राज्य व्यक्तियों का वह समूह है जो निश्चित भूमि पर रहता है, जिसकी अपनी संगठित सरकार होती है और जो बाह्य नियन्त्रणों से पूर्ण स्वतन्त्र होती है। इस प्रकार से स्पष्ट होता है कि राज्य के चार तत्त्व होते हैं-भूमि या प्रदेश, जनसंख्या, सरकार एवं सम्प्रभुता।

राज्य की परिभाषा देते हुए गार्नर ने लिखा है, “राज्य न्यून संख्यक या बहुसंख्यक व्यक्तियों के समुदाय को कहते हैं जो कि निश्चित भूभाग में रहता है, जो बाहरी नियन्त्रण से पूर्णतया मुक्त है और जिसकी एक ऐसी संगठित सरकार होती है, जिसकी आज्ञा का पालन अधिकांश निवासी स्वाभाविक रूप से करते हैं।

राज्य के शैक्षिक कार्य
राज्य के शैक्षिक कार्यों का विवेचन निम्नलिखित है

1. राष्ट्रीय शिक्षा योजना का निर्माण-राज्य का सबसे पहला कार्य यह है कि वह देश में एक ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा योजना का संचालन करे, जिससे समाज के सभी वर्गों के व्यक्तियों के हितों की रक्षा हो सके। इस दृष्टिकोण को सामने रखकर राज्य शिक्षाशास्त्रियों, विचारकों एवं राजनीतिज्ञों के सहयोग से एक शिक्षा योजना बनाता है और उसके द्वारा नागरिकों के सर्वांगीण विकास का। प्रयत्न करता है। इसके अतिरिक्त राज्य शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम एवं माध्यम को निर्धारित करता है। राष्ट्रीय शिक्षा योजना का वास्तविक जीवन के निकट होना अत्यन्त आवश्यक है, जिससे शिक्षा पाने के बाद व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा होने में समर्थ हो सके।

2. शिक्षा को अनिवार्य करना-राज्य को राष्ट्र के सभी बालकों के बौद्धिक और मानसिक विकास की ओर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि बौद्धिक विकास होने पर ही वह इसे योग्य बन सकेंगे कि अपने कर्तव्यों और अधिकारों को समझ सकें। इसलिए राज्य को चाहिए कि वह निश्चित स्तर तक शिक्षा को अनिवार्य बनाए। इससे देश के सभी नागरिक शिक्षित होंगे और वे अपना तथा देश का कल्याण कर सकेंगे।

3. विद्यालयों की स्थापना-वर्तमान समय में प्रत्येक राज्य का यह कर्तव्य है कि वह विभिन्न स्थानों पर विभिन्न प्रकार के विद्यालयों की स्थापना करे और व्यक्तिगत प्रयासों से खुले हुए विद्यालयों को मान्यता प्रदान करे। राज्य को विद्यालयों के निरीक्षण की भी व्यवस्था करनी चाहिए।

4. शिक्षा हेतु धन का प्रबन्ध-राज्य का यह एक आवश्यक कर्तव्य हो जाता है कि वह सभी स्तरों की शिक्षा के लिए धन की व्यवस्था करे। इसके साथ-ही-साथ राज्य को सभी प्रकार के विद्यालयों को आर्थिक सहायता देनी चाहिए। राज्य सरकारी विद्यालयों के व्यय का वहन तो करेगा ही, लेकिन गैर-सरकारी विद्यालयों को भी उसे अनुदान देना चाहिए।

5. योग्य शिक्षकों की व्यवस्था-शिक्षा प्रक्रिया को समुचित रूप से चलाने के लिए कुशल एवं योग्य शिक्षकों की बहुत आवश्यकता होती है, इसलिए राज्य का यह प्रमुख कर्तव्य हो जाता है कि वह विद्यार्थियों के लिए योग्य शिक्षकों की व्यवस्था करे। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए राज्य स्थान-स्थान पर प्रशिक्षण विद्यालय खोलता है, जो देश के लिए योग्य शिक्षक तैयार करते हैं। इसके साथ-ही-साथ राज्य यह भी व्यवस्था करता है कि प्रशिक्षित अध्यापकों को उनकी योग्यतानुसार विद्यालयों में अध्यापन कार्य का अवसर मिले, ताकि देश की शिक्षा का स्तर ऊँचा उठ सके।

6. सैनिक शिक्षा की व्यवस्था-उच्च विद्यालयों में सैनिक शिक्षा की व्यवस्था करना राज्य का एक प्रमुख कर्तव्य है, जिससे आवश्यकता पड़ने पर हमारे देश के नवयुवक बाह्य आक्रमण से देश की रक्षा कर सकें। इसके लिए राज्य की ओर से स्थान-स्थान पर सैनिक विद्यालयों की स्थापना की जाती है।

7. नागरिकता का प्रशिक्षण-लोकतन्त्र की प्रगति एवं स्थायित्व योग्य नागरिकों पर निर्भर है। अतः राज्य का कार्य बालकों को नागरिकता का प्रशिक्षण देना है, जिससे वह नागरिक गुणों से सुसज्जित होकर राज्य के आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक विकास में योगदान दे सके। प्रशिक्षण चार रूपों में होना चाहिए
⦁    राजनीतिक प्रशिक्षण- राज्य को चाहिए कि वह नवयुवकों के मन में अपनी राजनीतिक विचारधारा को समाविष्ट कर दे। इसके लिए उन्हें राजनीतिक प्रशिक्षण देना चाहिए। इससे नागरिक यह समझने लगेंगे कि उनके कर्तव्य और अधिकार क्या हैं और उनका पालन किस प्रकार करना चाहिए। वह राजनीतिक कार्यों में भी सक्रिय भाग ले सकेंगे। इसके लिए राज्य को रेडियो प्रसारण, राजनीतिक प्रदर्शनी, राजनीतिक उत्सवों आदि का आयोजन करना चाहिए।
⦁    सामाजिक प्रशिक्षण- राज्य को छात्रों को सामाजिक प्रशिक्षण देना चाहिए जिससे कि वह समाज के महत्त्वपूर्ण सदस्य बन सकें। राज्य को इस प्रकार का सामाजिक वातावरण प्रस्तुत करना चाहिए जिसमें रहकर सामाजिक भावना का विकास हो और व्यक्ति समाज की प्रगति के लिए कार्य करे।
⦁    आर्थिक प्रशिक्षण- किसी भी राष्ट्र की उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि नागरिकों को आर्थिक दृष्टि से प्रशिक्षित किया जाए। इसके लिए राज्य को चाहिए कि वह कृषि, उद्योग, विज्ञान आदि के प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करे, जिससे कि नवयुवक जीविकोपार्जन का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें।
⦁    सांस्कृतिक प्रशिक्षण- राज्य को चाहिए कि वह देश के नवयुवकों को सांस्कृतिक प्रशिक्षण प्रदान करे, जिससे कि वे अपनी संस्कृति की सुरक्षा तथा उसका विकास कर सकें। इसके लिए राज्य को स्थान-स्थान पर सांस्कृतिक सोसाइटियों, चित्रशालाओं, अजायबघरों, मनोरंजन गृहों इत्यादि की स्थापना करनी चाहिए। इसके साथ-ही-साथ राज्य को चाहिए कि वह सांस्कृतिक मण्डलों, सांस्कृतिक भ्रमणों एवं सामुदायिक केन्द्रों को पर्याप्त आर्थिक सहायता प्रदान करे।
8. शिक्षा के उद्देश्यों का निर्धारण-राज्य का कार्य शिक्षा के उद्देश्यों को निर्धारित करने में सहायता देना है। इसके लिए राज्य के उच्चकोटि के दार्शनिकों, शिक्षा विशेषज्ञों, राजनीतिज्ञों व शिक्षा मन्त्रियों को समाज की आवश्यकताओं का अध्ययन करना चाहिए और फिर इन आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य निर्धारित करने चाहिए।

9. परिवार और विद्यालयों में सम्बन्ध स्थापित करना- राज्य को एक ऐसी संस्था का निर्माण करना चाहिए जिसमें कि अभिभावकों एवं शिक्षकों के प्रतिनिधि और उच्चकोटि के शिक्षा अधिकारी सम्मिलित हों। इस संस्था का कार्य यह विचार करना है कि किस तरह से शिक्षा द्वारा व्यक्ति और समाज का हित सम्भव हो सकता है।

10. शैक्षणिक शोध को प्रोत्साहन- शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के शैक्षणिक अन्वेषणों की आवश्यकता है। इन अन्वेषणों के लिए राज्य को धन की व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे शिक्षा के नए-नए आदर्श एवं नई-नई विधियाँ निर्मित हो सकें।

11. शिक्षण-संस्थाओं पर आवश्यक नियन्त्रण-प्रायः यह देखने में आता है कि राजकीय शिक्षण संस्थाओं के अधिकारी अनैतिक कार्य करते हैं, जिससे अध्यापकों एवं विद्यार्थियों के समक्ष अनेक कठिनाइयाँ आती हैं। इसलिए राज्य का कर्तव्य है कि वह शिक्षण संस्थाओं पर आवश्यक नियन्त्रण रखे, जिससे इन शिक्षण संस्थाओं का विघटन न होने पाए। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट होता है कि राज्य को अनेक प्रकार के शैक्षिक कार्य करने पड़ते हैं।

3.

हमारे देश में शैक्षिक नीति का निर्धारण किया जाता है(क) शिक्षकों के द्वारा(ख) धर्माचार्यों के द्वारा(ग) राज्य के द्वारा।(घ) प्रधानमन्त्री के द्वारा

Answer»

सही विकल्प है (ग) राज्य के द्वारा

4.

अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था कौन कर सकता है?

Answer»

अनिवार्य एवं नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था केवल राज्य ही कर सकता है।

5.

राज्य का प्रमुख शैक्षिक दायित्व क्या है?(क) सुरक्षा का प्रबन्ध करना(ख) अपने विचारों को जनता तक पहुँचाना(ग) धर्म का प्रचार करना(घ) जनशिक्षा का प्रबन्ध करना।

Answer»

(घ) जनशिक्षा का प्रबन्ध करना

6.

देश में शिक्षा को एकरूपता प्रदान कर सकता है(क) समाज(ख) धर्म(ग) राज्य(घ) कोई नहीं

Answer»

सही विकल्प है  (ग) राज्य