InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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आलू के बोने का समय तथा बीज की मात्रा का विवरण दीजिए। |
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Answer» पहाड़ों पर सामान्यतः आलू की फसल गर्मी प्रारम्भ होने पर बोयी जाती है। मार्च से प्रारम्भ होकर मई तक चलती है। मैदानी क्षेत्रों में आलू की फसल 25 सितम्बर से 15 नवम्बर तक बोयी जाती है। बीज की मात्रा- बीज की मात्रा पंक्तियों की दूरी तथा बीच के आकार पर निर्भर करती है। 2.5 सेमी व्यास या 50 ग्राम वजन के बीज की मात्रा 20-25 कुन्तल प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है। समूचे तथा कटे हुए दोनों प्रकार के बीजों का प्रयोग किया जाता है। काटते समय ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक टुकड़े में कम से कम 2 या 3 आँखें हों और उसका वजन 50 ग्राम हो। |
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ज्वार की फसल में खाद तथा उर्वरकों की मात्रा देने का समय एवं विधि का वर्णन कीजिए। |
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Answer» सामान्यतः चारे के लिए गोबर की खाद 150-200 कुंतल प्रति हेक्टेयर तथा दाने के लिए 100-150 कुंतल प्रति हेक्टेयर वर्षा होने से पहले खेत में मिला देना चाहिए। खाद के अभाव में उर्वरकों का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से करते हैं नाइट्रोजन – 100 किग्रा प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन की आधी मात्री बोआई के समय व आधी मात्रा 40-50 दिन बाद खड़ी फसल में देना चाहिए। फॉस्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा बोआई के समय ही दे देना चाहिए। |
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ज्वार की फसल में लगने वाले कीट एवं रोग का वर्णन कीजिए। |
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Answer» ज्वार की फसल में कीड़ों से बड़ी हानि होती है। अंकुरण के 4-5 दिन बाद 1 लीटर मेटास्टिाक्स 25 ई०सी० को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करने से प्ररोह मक्खी व तना छेदक कीट नष्ट हो जाते हैं। अनावृत कंडुवा ज्वार का प्रमुख रोग है। इसके नियन्त्रण के लिए कार्बेन्डाजिम अथवा कार्बाक्सीन के 22.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से शोधित कर देना चाहिए। |
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बाजरे की फसल में निराई-गुड़ाई, खरपतवार तथा कीट नियन्त्रण के बारे में लिखिए। |
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Answer» बाजरे की निराई, गुड़ाई एवं खरपतवार नियन्त्रण- दाने के लिए बोई गई फसल में कम से कम दो तीन बार निराई, गुड़ाई की आवश्यकता होती है। कानपुरी कल्टीवेटर चलाकर गुड़ाई की जा सकती है। खरपतवार नष्ट करने के लिए एट्राजीन की 1 किग्रा 700-800 लीटर पानी में घोलकर बोने के तुरंत बाद प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए। कीट नियन्त्रण – दीमक से बचाव के लिए गामा BHC 20 EC सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करते है। कीड़ों से बचाव के लिए 1.25 लीटर इण्डोसल्फान 35 EC का 800 ली० पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए। कण्डुआ रोग नियन्त्रण के लिए कार्बाक्सीन 2.5 ग्रा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज का उपचार करना चाहिए। |
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ज्वार की संकर प्रजातियाँ कौन-कौन हैं? उनके बोने का समय, विधि एवं औसत उपज बताइए। |
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Answer» ज्वार की संकर प्रजातियों सी एच एस 1,2,3, स्वर्ण, सी एस वी-3, संकर ज्वार, टा-22 आदि हैं। इनकी बोआई के लिए जुलाई का दूसरा सप्ताह उपयुक्त होता है। चारे की फसल की बोआई पलेवा करके जून के आरंभ में कर दी जाती है। दाने के लिए बोआई कतारों में की जाती है। कतार से कतार की दूरी 45 सेमी तथा पौधे से पौधा 15-20 सेमी दूर होना चाहिए। बीज की गहराई 4-5 सेमी होनी चाहिए। औसत उपज दाना 30-40 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है। |
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बाजरे की संकर प्रजातियों एवं उनके पकने का समय तथा उपज बताइए। |
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Answer» बाजरे की संकर प्रजातियों पूसा 322, पूसा 23 व आई सी एम एच 451 है। इनके पकने में 85-90 दिन लगते हैं। इनसे 25-30 कुंतल उपज प्रति हेक्टेयर होती है। |
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