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101.

एक भारहीन स्प्रिंग का बल-नियतांक 16 न्यूटन/मीटर है। इससे 1.0 किग्रा द्रव्यमान का एक पिण्ड लटकाकर उसे 5 सेमी नीचे खींचकर छोड़ दिया जाता है। ज्ञात कीजिए : (i) पिण्ड के कम्पन का आवर्तकाल तथा (iI) स्प्रिग की अधिकतम स्थितिज ऊर्जा।

Answer» (i) 1.57 सेकंड, (ii) `2xx10^(-2)` जूल
102.

एक सरल लोलक का गोलक पीतल का है तथा इसका आवर्तकाल T है गोलक को एक अस्यां द्रव में डुबोकर दोलित कराया जाता है यदि द्रव का घनत्व पीतल के घनत्व का 1//8 है , तो लोलक का आवर्तकाल होगाA. `sqrt(8//7) T`B. `(8//7) T `C. `(8//7)^2T`D. T

Answer» Correct Answer - a
उत्प्लावन के कारण प्रभावी गुरुत्वीय त्वरण g से घटकर `g-g//8=7 g//8` हो जायेगा
103.

एक सरल लोलक के आवर्तकाल में प्रतिशत परिवर्तन ज्ञात कीजिये , (i) यदि लोलक की लम्बाई 4% बढ़ा दी जाये (ii) गोलक का द्रव्यमान 30% बढ़ा दिए जाये , (iii) दोलन - आयाम 50% काम कर दिए जाये तथा (iv) लोलक को एक ऐसे स्थान पर ले जाया जाये जहाँ g का मान 0.8% अधिक हो

Answer» यदि किसी सरल लोलक की लम्बाई l हो , तब उसका आवर्तकाल
`T=2pisqrt(l/g) " " ...(i)`
(i) लम्बाई बढ़ने पर आवर्तकाल बढ़ता है लोलक की लम्बाई 4% बढ़ाने पर नयी लम्बाई `(l+(4l)/(100))=1.041` हो जाएगी | तब नया आवर्तकाल
`T+DeltaT=2pisqrt((1.041)/g) " " ...(ii)`
समीकरण (ii) को समीकरण (i) से भाग देने पर
`(T+DeltaT)/T=sqrt(1.04)`
अथवा `(l+DeltaT)/T=(1+0.04)^(1//2)=1+0.02+...`
अथवा `(DeltaT)/T=0.02`
`therefore` आवर्तकाल में प्रतिशत वृद्धि = `(DeltaT)/Txx100=0.02xx100`
=2%
(ii) आवर्तकाल गोलक के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता | अतः आवर्तकाल अपरिवर्तित रहेगा
(iii) आवर्तकाल दोलन-आयाम पर भी निर्भर नहीं करता | अतः आवृर्त्तकाल अपरिवर्तित रहेगा
(iv) गुरुत्वीय त्वरण g बढ़ने पर भी आवर्तकाल घटता है g का मान 0.8% बढ़ने पर यह g(1+0.008) हो जायेगा | अतः नया आवर्तकाल
`T-DeltaT=2pisqrt(1/(g(1+0.008)))" "...(iii)`
समीकरण (iii) को समीकरण (i) से भाग देने पर
`l-(DeltaT)/T=(1+0.008)^(-1//2)=1-0.004`
अथवा `(DeltaT)/T=0.004`
`therefore` आवर्तकाल में प्रतिशत कमी `(DeltaT)/Txx100=0.004xx100`
=0.4%
104.

पृथ्वी एवं किसी अन्य ग्रह पर सेकण्ड लोलक की लम्बाई क्या होगी , यदि पृथ्वी पर g का मान `10 " मीटर/सेकण्ड"^2` है तथा अन्य ग्रह पर g का मान पृथ्वी का मान का `1//5` है

Answer» पृथ्वी पर `(10)/(pi^2)` मीटर , ग्रह पर `2/pi^2` मीटर
105.

एक सरल लोलक का गोलक एक जल से भरी गेंद है यदि गेंद की तली में एक बारीक छेंद कर दे , तो आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा

Answer» जैसे-जैसे गेंद का जल बाहर निकलता जाता है , इसका आवर्तकाल पहले बढ़ता है तथा फिर घटने लगता है प्रारम्भ में जब गेंद जल से पूरी भरी है, तो लोलक का गुरुत्व-केंद्र गेंद के केंद्र पर है जैसे-जैसे गेंद की तली से जल बाहर निकलता है , लोलक का गुरुत्व-केंद्र गेंद के केंद्र के केंद्र से नीचे जाने लगता है जिससे लोलक की प्रभावी लम्बाई बढ़ने लगती है अतः लोलक का आवर्तकाल भी बढ़ने लगता है जब गेंद आधे से अधिक खाली हो जाती है तो लोलक का गुरुत्व-केंद्र पुनः ऊपर उठने लगता है जिससे लोलक की लम्बाई पुनः घटने लगती है तथा आवर्तकाल भी घटने लगता है जब गेंद पूरी खाली हो जाती है तो लोलक का गुरुत्व-केंद्र पुनः केंद्र पर आ जाता है तथा आवर्तकाल अपने प्रारंभिक मान पर आ जाता है
106.

चित्र 21.W6 में m। द्रव्यमान की एक वस्तु ए वेग से चलती हुई सिप्रिग से टकराती है। इस गति का वर्णन करें। ब्लॉक तथा दीवार को प्रत्यास्थ माने

Answer» ब्लॉक ए चाल से चलता हुआ स्प्रिंग के पास पचता है। अब यह स्प्रिंग को संपीडित करेगा तथा ब्लॉक की याल स्प्रिंग के बल के कारण कम होने लगेगी। जब `1/2mv^2=1/2kx^2` हो जाएगा तब
ब्लॉक विराम अवस्था में आएगा तथा पुन वापस पीछे आने लगेगा यह तब तक होता रहेंगा जब तक कि स्प्रिंग अपनी मूल अवस्था में नहीं आ जाए। आच बलॉक का स्प्रिंग से संपर्क टूट जाएगा और ब्लॉक बायों और पुनः चाल v से चलने लगेगा यह पूरी प्रकिया स्प्रिंग-वस्तु की सरल आवर्त गति के एक दोलन का आधा है। अतः , इसमें लगा रामय आवर्तकाल का आधा होगा। अतः, इतने में `pisqrt(m//k)` समय लगेगा। इसके बाद बलॉक चाल से वायी और चलता हुआ दीवार से `L//v` समय के बाद टकराएगा। यहाँ टककर प्रत्यास्थ है, अत लॉक पुन चाल v से स्प्रिंग की और चलेगा और समय `L//v` के पश्चात पुनः स्प्रिंग के पास पहुँचेगा। यह प्रक्रिया पुनः लगातार चलती रहेगी। इस प्रकार
ब्लॉक आवर्त गति करेगा तथा आवर्तकाल होगा `pisqrt(m//l)+(2L)/v` होगा
107.

यदि प्रश्न 23 में घिरनी का जड़त्व आपूर्ण l हो तथा डोरी इसपर न फिसल रही हो, तो ब्लॉक के उध्र्व दोलन का आवर्तकाल निकाले

Answer» `2pisqrt((m+l//r^2)/k)`
108.

चित्र 21.W.3 में एक चिरनी दिखाई गई है जिसका द्रव्यमान m है तथा अपने अक्ष के प्रति जड़त्व आघूर्ण I है। घिरनी पर से एक डोरी जा रही है जिसका एक सिरा छत से और दूसरा सिरा एक स्प्रिंग से बंधा हुआ है। स्प्रिग का दूसरा सिरा छत में जड़ा हुआ है। घिरनी के केंद्र की सरल आवर्त गति का आवर्तकाल ज्ञात कीजिए । स्प्रिंग का स्प्रिग नियतांक है तथा डोरी घिरनी पर नहीं फिसलती है

Answer» हल सबसे पहले हम साम्यावस्था में स्प्रिंग का तनाव ज्ञात करते हैं। घिरनी की घूर्णन साम्यावस्था के लिए घिरनी के दोनों ओर की डोरियों में तनाव समान होना चाहिए। केवल तभी घिरनी पर बल आघूर्ण शून्य होगा
मान ले कि तनाव T है। स्प्रिंग में भी तनाव उतना ही होगा जितना डोरी में है। अतः साम्यावस्था के लिए स्प्रिंग की लंबाई में वृद्धि `Y=T/k`
घिरनी की स्थानांतरीय साम्यावस्था के लिए,
`2T=mg" या "2ky=mg" या "(mg)/(2k)`
अतः, जब घिरनी साम्यावस्था में होती है, उस समय स्प्रिंग अपनी स्वाभाविक लंबाई वाली स्थिति से `(mg)/(2k)` लंबाई नीचे रहता है।
अब मान ले कि किसी क्षण घिरनी का केंद्र साम्यावस्था रो नीचे को ओर दूरी । पर है। ऐसी स्थिति में डोरी + स्प्रिग की कुत लबाई में वृद्धि 2x है (घिरनी की दायी और तथा बाया और x)। चूंकि डोरी की लंबाई रिथर है, अतः स्प्रिंग की लंबाई में वृद्धि 2x है। इस क्षण निकाय की ऊर्जा है
`U=1/2Iomega^2+1/2mv^2-mgx+1/2k((mg)/(2k)+2x)^2`
`=1/2(1/r^2+m)v^2+(m^2g^2)/(8k)+2kx^2`
चूकि इस पूरी संहति में कहीं भी ऊर्जा का क्षय नहीं हो रहा है,
`(dV)/(dt)=0`
अतः `0=(1/r^2+m)v(dv)/(dt)+4kxv`
या `(dv)=-(4kx)/((1/r^2+m))`
`a=-omega^2x,omega^2=(4k)/((I/r^2+m))`
घिरनी का द्रव्यमान केंद्र एक सरल आवर्त गति करता है जिसका आवर्तकाल,
`T=2pisqrt((I/r^2+m)//(4k))`