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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

किन्हीं दो अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के नाम बताइए।

Answer»

1. अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (विश्व बैंक) |
2. अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष।

2.

सरकार को अपने राजस्व से अधिक व्यय क्यों करना पड़ा?

Answer»

गरीबी, बेरोजगारी और जनसंख्या विस्फोट के कारण सरकार को अपने राजस्व से अधिक व्यय करना पड़ा।

3.

वित्तीयक क्षेत्रक में कौन-कौन से सुधार किए गए हैं?

Answer»

1. भारतीय और विदेशी निजी बैंकों को बैंकिंग क्षेत्र में पदार्पण की अनुमति दी गई।
2. विदेशी निवेश संस्थाओं तथा व्यापारी बैंक, म्युचुअल फण्ड और पेंशन कोष आदि को भारतीय वित्तीय बाजार में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है।

4.

उदारीकरण का उपाय नहीं है-(क) लाईसेन्स अथवा पंजीकरण की समाप्ति(ख) विस्खार तथा उत्पादन की स्वतन्त्रता(ग) सार्वजनिक क्षेत्र को सीमित करना(घ) लघु उद्योगों की निवेश सीमा में वृद्धि

Answer»

(ग) सार्वजनिक क्षेत्र को सीमित करना

5.

क्या भारत सरकार की नवरत्न नीति सार्वजनिक उपक्रमों के निष्पादन को सुधारने में सहायक रही है? कैसे?

Answer»

1996 ई० में नवउदारवादी वातावरण में सार्वजनिक उपक्रमों की कुशलता बढ़ाने, उनके प्रबन्धन में व्यवसायीकरण लाने और उनकी स्पर्धा क्षमता में प्रभावी सुधार लाने के लिए सरकार ने नौ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का चयन कर उन्हें नवरत्न घोषित कर दिया। ये कम्पनियाँ हैं—IOCL, BPCL, HPCL,ONGC, SAIL, IPCL, BHEL, NTPC और BSNL. नवरत्न’ नाम से अलंकरण के बाद इन कम्पनियों के निष्पादन में निश्चय ही सुधार आया है। स्वायत्तता मिलने से ये उपक्रम वित्तीय बाजार से स्वयं संसाधन जुटाने एवं विश्व बाजार में अपना विस्तार करने में सफल होते जा रहे हैं।

6.

लाभ कमा रहे सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण कर देना चाहिए। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? क्यों?

Answer»

निजीकरण से तात्पर्य है—किसी सार्वजनिक उपक्रम के स्वामित्व या प्रबन्धन का सरकार द्वारा त्याग। किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा जनसामान्य को इक्विटी की बिक्री के माध्यम से निजीकरण को विनिवेश कहा जाता है। निजीकरण का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र की कार्यक्षमता को बढ़ाना है। परन्तु निजीकरण से हमेशा उद्योग क्षेत्र की कार्यक्षमता में बढ़ोतरी नहीं होती है, लेकिन इससे सार्वजनिक क्षेत्र का वित्तीय भार सरकार पर कुछ कम हो जाता है। हमारे विचार से लाभ कमा रहे सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक व सामाजिक कल्याण करने वाली सार्वजनिक इकाइयों का निजीकरण बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

7.

सार्वभौमीकरण (भूमण्डलीकरण) से क्या आशय है? इस दृष्टि से भारतीय निवेश नीति (1991 ई०) की मुख्य बातें बताइए।

Answer»

सार्वभौमीकरण उदारीकरण का ही एक विस्तृत रूप है। इसका मुख्य क्षेत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और शेष विश्व के मध्य नियन्त्रण व प्रतिबन्ध रहित सम्बन्धों का विकास है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् देश में बनने वाली वस्तुओं को प्रोत्साहन देने हेतु विदेशी निवेशकों पर भारत में उद्योग खोलने अथवा भारतीय उद्योगों में पूँजी लगाने पर अनेक प्रकार के प्रतिबन्ध लगे हुए थे, जो देश के आर्थिक विकास में बाधक बने हुए थे। इस सन्दर्भ में घोषित निवेश नीति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

⦁    देश में उच्च प्राथमिकता प्राप्त 34 उद्योगों में 51% इक्विटी तक के विदेशी निवेश के लिए स्वतः अनुमोदन की अनुमति के लिए विदेश नीति को अधिक उदार बनाया गया।

⦁    प्रवासी भारतीयों (NRIs) को उच्च प्राथमिकता प्राप्त उद्योगों में पूँजी और आय की प्रत्यावर्तनीयता के साथ शत-प्रतिशत इक्विटी तक निवेश करने की अनुमति प्रदान की गई।

⦁    भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों को भारतीय रिजर्व बैंक की अनुमति लिए बिना आवासीय सम्पत्ति अधिगृहीत करने का अधिकार प्राप्त हो गया है।

⦁    FERA के उपबन्धों को उदार बना दिया गया है। अब इसके स्थान पर FEMA लागू है।

⦁    विदेशी कम्पनियों को 14 मई, 1992 ई० से देशी बिक्री के सम्बन्ध में अपने ट्रेडमार्क का प्रयोग करने की अनुमति दे दी गई।

⦁    देश में विदेशी निवेश के संरक्षण के लिए 13 अप्रैल, 1992 ई० को भारत ने ‘बहुपक्षीय निवेश गारण्टी एजेन्सी’ (MIGA) प्रोटोकोल पर हस्ताक्षर भी किए हैं।

⦁    गैर-प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों में विदेशी निवेश को उदार बनाने के लिए विदेशी निवेश संवर्द्धन (FIPB) का गठन किया गया है, ताकि विदेशी कम्पनियों के निवेश सम्बन्धी मामलों का निपटारा शीघ्रता से किया जा सके।

8.

वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण से क्या आशय है? वैश्वीकरण की दिशा में सरकार ने क्या उपाय अपनाए हैं?

Answer»

वैश्वीकरण का अर्थ

वैश्वीकरण का अर्थ है-देश की अर्थव्यवस्था को संसार के अन्य देशों की अर्थव्यवस्था से मुक्त व्यापार पूँजी और श्रम की मुक्त गतिशीलता आदि के द्वारा सम्बन्धित करना। इसके अन्तर्गत देश की अर्थव्यवस्था विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ एकीकृत कर दी जाती है। किन्तु भारतीय अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में इसका अर्थ इससे अधिक व्यापक है। भारतीय अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में वैश्वीकरण के अन्तर्गत निम्नलिखित बातें सम्मिलित की जाती हैं–अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेश के लिए खोलना, नियन्त्रणों को धीरे-धीरे समाप्त करना, आयात उदारीकरण कार्यक्रमों को व्यापक आधार पर लागू करना तथा निर्यात संवर्द्धन को प्रोत्साहित करना।

वैश्वीकरण के लिए सरकार द्वारा अपनाए गए उपाय

आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत भारत सरकार ने वैश्वीकरण के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए हैं

1. विदेशी पूँजी निवेश की साम्य सीमा में वृद्धि–आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत भारत सरकार ने विदेशी पूँजी निवेश की सीमा 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 से 100 प्रतिशत तक कर दी। उच्च प्राथमिकता प्राप्त 47 उद्योगों व निर्यातक व्यापारिक घरानों के लिए यह 100 प्रतिशत थी। इस सम्बन्ध में विदेशी मुद्रा नियमन अधिनियम’ (FERA) के स्थान पर ‘विदेशी मुद्रा प्रबन्ध अधिनियम’ (FEMA) लागू किया गया है।
2. आंशिक परिवर्तनशीलता- भारतीय रुपये को आंशिक रूप से परिवर्तनशील बना दिया गया। यह परिवर्तनशीलता पूँजीगत सौदों पर लागू नहीं थी। इस प्रकार राजस्व खाते में रुपया पूर्णत: परिवर्तनशील कर दिया गया।
3. दीर्घकालीस व्यापार नीति- विदेश व्यापार नीति को दीर्घकाल अर्थात् 5 वर्ष के लिए लागू किया गया। इसमें व्यापार में लगे सभी नियन्त्रण व प्रतिबन्धों को हटा दिया गया, प्रशासनिक नियन्त्रणों को न्यूनतम कर दिया गया तथा खुली प्रतियोगिता को प्रोत्साहन दिया गया।
4. प्रशुल्कों में केमी- आर्थिक सुधारों के अनुरूप प्रशुल्कों (आयात-निर्यात शुल्क) को धीरे-धीरे कम किया जा रहा है।

9.

सरकार के 1996 ई० में नौ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को नवरत्न घोषित करने के क्या उद्देश्य थे? ”

Answer»

1. सार्वजनिक उपक्रमों की कुशलता में वृद्धि करना,
2. उनके प्रबन्धन में व्यवसायीकरण लाना तथा
3. उनकी स्पर्धा क्षमता में प्रभावी सुधार करना।

10.

आर्थिक सुधारों से क्या आशय है? भारत में आर्थिक सुधारों को लागू करने के उद्देश्य बताइए।

Answer»

आर्थिक सुधार का अर्थ– आर्थिक सुधारों से अभिप्राय उन सभी उपायों से है जिनका उद्देश्य अर्थव्यवस्था को अधिक कुशल एवं प्रतियोगी बनाना है।

आर्थिक सुधारों के उद्देश्य- भारत में आर्थिक सुधारों के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित रहे हैं|

⦁    अवसंरचना के विकास द्वारा अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाना।।

⦁    आर्थिक विकास एवं आर्थिक स्वामित्व के मध्य उचित समन्वय स्थापित करना।

⦁    औद्योगिक उत्पादकता एवं कार्यकुशलता में वृद्धि करना।

⦁    वित्तीय क्षेत्र में सुधार करना एवं साख व्यवस्था का आधुनिकीकरण करना।

⦁    सार्वजनिक उपक्रमों के कार्य निष्पादन में सुधार लाना।

⦁    विदेशी विनियोग, विदेशी तकनीकी एवं विदेशी पूँजी में अन्तर्रवाह को प्रोत्साहित करना।

⦁    राजकोषीय अनुशासन को लागू करना।

11.

निजीकरण से क्या आशय है?

Answer»

निजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा सार्वजनिक उपक्रमों के स्वामित्व एवं प्रबन्ध को निजी स्वामित्व, प्रबन्ध एवं संचालन में अन्तरित किया जाता है।

12.

निजीकरऐप से क्या आशय है?

Answer»

निजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा सार्वजनिक उपक्रमों के स्वामित्व एवं प्रबन्ध को निजी स्वामित्व, प्रबन्ध एवं संचालन में अन्तरित किया जाता है। ऐसे सार्वजनिक क्षेत्र की असफलताओं को दृष्टिगत रखते हुए किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में सन् 1984 ई० में ही तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी ने घोषणा की थी, “सार्वजनिक क्षेत्र ऐसे बहुत से क्षेत्रों में फैल गया है, जहाँ इसे नहीं फैलना चाहिए। था। हम अपने सार्वजनिक क्षेत्र का विकास केवल उन क्षेत्रों में करें, जिनमें निजी क्षेत्र अक्षम है, किन्तु अब हम निजी क्षेत्र के लिए बहुत से द्वार खोल देंगे, ताकि वह अपना विस्तार कर सके और अर्थव्यवस्था अधिक स्वतन्त्र रूप से विकसित हो सके। निजी क्षेत्र को अधिक व्यापक क्षेत्र उपलब्ध कराने के लिए अनेक नीतिगत परिवर्तन किए गए, जिनका सम्बन्ध औद्योगिक लाइसेन्सिग नीति को अधिक उदार बनाने, निर्यात-आयात नीति के अन्तर्गत मात्रात्मक प्रतिंबन्धों को समाप्त करने, राजकोषीय एवं विदेशी पूँजी से सम्बन्धित नियन्त्रणों एवं प्रतिबन्धों को कम करने तथा प्रशासनिक सरलीकरण से था।

13.

भारत में निजीकरण के विस्तार के लिए सरकार ने क्या किया है?

Answer»

भारत में निजीकरण के विस्तार के लिए सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए हैं

⦁    सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित उद्योगों में कमी की गई है और निजी क्षेत्र के लिए औद्योगिक क्षेत्र खोले गए हैं।

⦁    सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों में अंश पूँजी का अपनिवेश किया जा रहा है ताकि विकास के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाए जा सकें तथा इन उपक्रमों के कार्य निष्पादन में सुधार किया जा सके।

⦁    आधारभूत संरचना (परिवहन, संचार एवं बीमा) के क्षेत्र में अधिकाधिक निजी भागीदारी को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
⦁    सेवा सुविधाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाई जा रही है।
⦁     निजीकरण की नई व्यवस्था चालू की गई है जिसमें स्वामित्व तो सरकार के अधीन रहता है, लेकिन संचालक मण्डल में, शीर्ष स्तर पर निजी संचालकों की नियुक्ति की जा रही है।
⦁     सरकार ने अपनी नई औद्योगिक नीति में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने की नीति अपनाई है।

14.

आर्थिक सुधार कार्यक्रम के अन्तर्गत अपनाए गए राजकोषीय एवं वित्तीय सुधारों को बताइए।

Answer»

राजकोषीय सुधार

राजकोषीय सुधार से आशय सरकार की आय में वृद्धि करना और सार्वजनिक व्यय को इस प्रकार कम करना है कि उत्पादन तथा आर्थिक कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। इसका उद्देश्य राजकोषीय असन्तुलन को दूर करके राजकोषीय अनुशासन को बनाए रखना है। इसका मुख्य कारण देश में केन्द्र एवं राज्य सरकारों के बढ़ते राजकोषीय घाटे, ऋण एवं ऋणजाल में फँसी अर्थव्यवस्था, ब्याज में वृद्धि, विदेशी विनिमय में कमी आदि के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की निरन्तर बिगड़ती स्थिति। भारतीय अर्थव्यवस्था को इस स्थिति से उबारने के लिए अनेक उपाय अपनाए गए; जैसे-सार्वजनिक व्यय पर नियन्त्रण, करों में वृद्धि, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के शेयरों में वृद्धि तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उत्पादों की कीमतों में वृद्धि। राजा चेलैया समिति की रिपोर्ट के आधार पर राजकोषीय नीति में अनेक सुधार किए गए। मुख्य सुधार निम्नलिखित थे

⦁    कर-प्रणाली को अधिक वैज्ञानिक एवं युक्तिसंगत बनाया गया। आयकर की अधिकतम दर को 50 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया।

⦁    विदेशी कम्पनियों के लाभ को कम किया गया।

⦁    आयात-निर्यात कर को घटाया गया।

⦁    अनेक वस्तुओं पर उत्पादन कर को घटाया गया।

⦁    आर्थिक सहायता को कम किया गया।

⦁    प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को राजकोषीय प्रेरणा प्रदान की गई और पोर्टफोलियो निवेश के.तिए विदेशियों को प्रोत्साहित किया गया।
⦁    कर-प्रणाली की संरचना को सरल बनाया गया।
⦁    सीमा शुल्क की दरों को युक्तिपरक बनाया गया।

वित्तीय सुधार
वित्तीय सुधारों से आशय देश की बैंकिंग तथा वित्तीय नीतियों में सुधार करने से है। नरसिंहम समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने वित्तीय क्षेत्र में निम्नलिखित सुधार किए
⦁    वैधानिक तरलता अनुपात को 38.5 प्रतिशत से कम करके 25 प्रतिशत कर दिया गया।

⦁    आरक्षित नकदी अनुपात को धीरे-धीरे कम करके 4.5 प्रतिशत पर लाया गया। किन्तु गत कुछ समय से इसमें निरन्तर वृद्धि की जा रही है। वर्तमान में यह 6.5% प्रतिशत है।
⦁    ब्याज-दरों का निर्धारण करने के लिए बैंकों को स्वतन्त्र छोड़ दिया गया।
⦁    बैंकिंग प्रणाली की पुनर्संरचना की गई। बैंकिंग क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया।
⦁    बैंकों को अधिकाधिक स्वतन्त्रता प्रदान की जा रही है।

15.

विश्व व्यापार संगठन की स्थापना कब और क्यों की गई?

Answer»

विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना 1995 ई० में निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की गई

1. व्यापार बाधाओं को समाप्त करना,
2. सेवाओं के सृजन और व्यापार को प्रोत्साहन देना,
3. पर्यावरण संरक्षण।