1.

3. कबीर ने गुरु और शिष्य को कुम्हार और घड़े की भाँति बताया है; क्योंकि-(अ) जिस प्रकार कुम्हार घड़े को बनाता है, उसी प्रकार गुरु शिष्य को बनाता है।(ब) गुरु शिष्य को अपने प्रभाव में बनाए रखता है, उसी प्रकार कुम्हार भी घड़े को बनाते समय अपने प्रभाव मेंरखता है।जिस प्रकार कुम्हार घड़े को बनाते समय उसका खोट दूर करके उसे संपूर्ण आकार में लाकर उपयोगी बनाताहै, उसी प्रकार गुरु शिष्य के विकारों को दूर कर उसे पूर्णता प्रदान करता है।​

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HEY dear what does that means? I'm a CANADIAN that's why I don't KNOW what does that means



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