1.

A small poem about himalaya in hindi (own created) ​

Answer» POEM on himalayExplanation:युग-युग से है अपने पथ पर देखो कैसा खड़ा हिमालय! डिगता कभी न अपने प्रण से रहता प्रण पर अड़ा हिमालय! जो भी बाधाएं आईं उन सब से ही लड़ा हिमालय, इसीलिए तो दुनिया भर में हुआ सभी से बड़ा हिमालय! अगर न करता काम कभी कुछ रहता हरदम पड़ा हिमालय तो भारत के शीश चमकता नहीं मुकुट–सा जड़ा हिमालय! खड़ा हिमालय बता रहा है डरो न आंधी, पानी में, खड़े रहो अपने पथ पर सब कठिनाई तूफानी में! डिगो न अपने प्रण से तोसब कुछ पा सकते हो प्यारे! तुम भी ऊंचे हो सकते हो छू सकते नभ के तारे!! अचल रहा जो अपने पथ पर लाख मुसीबत आने में, मिली सफलता जग में उसको जीने में मर जाने में!


Discussion

No Comment Found