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आज के सांसारिक गुरु और नायकों का स्वभाव कवि के अनुसार क्या है? कवि ने अपने इष्टदेव पर क्या व्यंग्य किया है? लिखिए।

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कवि ने अपने दोहे में अपने इष्टदेव को ताना दिया है कि वह कब से दीनतापूर्ण पुकार रहा है पर प्रभु उसकी पुकार को अनसुनी करते आ रहे हैं। उसकी सहायता नहीं कर रहे हैं कवि व्यंग्यात्मक लहजे में जगत के गुरु और जगत के नायक भगवान से कहता है हे प्रभु! लगता है आपको भी संसार की हवा लग गई है। आप भी आज के गुरु और नायकों के समान, दुखियों और असहायों की पुकार को अनसुनी करने लगे हैं।



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