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‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य की रचना के उद्देश्य (शिक्षा-संदेश) पर प्रकाश डालिए। या‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के नामकरण की सार्थकता को स्पष्ट करते हुए इसके उद्देश्य पर प्रकाश डालिए। या‘आलोकवृत्त’ में निसूचित जीवन के प्रमुख मूल्यों को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए। या‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य में जीवन के श्रेष्ठ मूल्य वर्णित हैं। संक्षेप में लिखिए।

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‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य नामकरण (शीर्षक) की सार्थकता-कवि गुलाब खण्डेलवाल ने ‘आलोकवृत्त’ में महात्मा गाँधी के सदाचार एवं मानवता के गुणों से प्रकाशित व्यक्तित्व को चित्रित किया है। इस खण्डकाव्य का विषय उद्देश्य एवं मूलभाव यही है। महात्मा गाँधी के जीवन को हम प्रकाश स्वरूप कह सकते हैं, क्योंकि उन्होंने भारतीय संस्कृति की चेतना को अपने सद्गुणों एवं सविचारों से प्रकाशित किया है। उन्होंने विश्व में सत्य, प्रेम, अहिंसा आदि मानवीय भावनाओं का प्रकाश फैलाया। अत: हम इस जीवन वृत्त को आलोकवृत्त कह सकते हैं। इस दृष्टिकोण से यह शीर्षक उपयुक्त है। यह महात्मा गाँधी के जीवन, उनके चरित्र, उनके गुणों, सिद्धान्तों एवं दर्शन को पूर्णरूपेण परिभाषित करता हुआ एक साहित्यिक एवं दार्शनिक शीर्षक है।

आलोकवृत्त का उद्देश्य-कवि गुलाब खण्डेलवाल ने महात्मा गाँधी के जीवन व कार्यों के द्वारा हमें देश-प्रेम, भावात्मक एकता, राष्ट्रीय एकता, लोककल्याण की भावना, मानव मूल्यों की स्थापना, साधनों की पवित्रता, सत्य, अहिंसा और प्रेम की भावना आदि का सन्देश दिया है। प्रस्तुत खण्डकाव्य मनुष्य के जीवन में आशा और आलोक विकीर्ण करता हुआ, उसे मानवता के उच्चतम शिखरों की ओर उन्मुख करता हुआ, उसे मानवता और संस्कृति की चेतना के परिष्कृत रूप में प्रस्तुत करता है। अपने इस उद्देश्य को उन्होंने काव्य के नायक महात्मा गाँधी के मुख से कहलवाया है

यदि मिलकर इस राष्ट्रयज्ञ में सब कर्तव्य निभायें अपना,
एक वर्ष में ही पूरा हो मेरा रामराज्य का सपना ।



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