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आंचलिक कहानी से आप क्या समझते हैं? पंचलाइट कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

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फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ प्रथम कथाकार हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं में आंचलिकता को स्थान दिया है। ‘अंचल’ किसी निश्चित भू-भाग को कहते हैं। वहाँ के निवासियों का रहन-सहन, वेशभूषा, रीति-रिवाज तथा लोक-संस्कृति का दर्शन उस आंचलिक रचना में होता है। रेणु जी से पूर्व यह शब्द केवल उपन्यासों में प्रयुक्त होता था। आंचलिकता के समावेश से इनकी कहानियाँ सजीव और मार्मिक होने के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों की सम्पूर्ण तस्वीर भी पाठक के समक्ष प्रस्तुत करती हैं। ‘पंचलाइट’ कहानी बिहार के ग्रामीण वातावरण को पाठकों के समक्ष साकार करती है। डॉ० देवराज उपाध्याय के अनुसार-‘किसी प्रदेश विशेष का यथातथ्य और बिम्बात्मक वर्णन ही आंचलिकता है।”

‘रेणु’ की ‘पंचलाइट’ कहानी पूर्ण रूप से आंचलिक है। यह बिहार के ऐसे विशेष भाग से सम्बन्धित है, जो अभी अशिक्षित है, रूढ़िवादी और बौद्धिक चेतनाहीन है।

इस कहानी में बिहार के ग्रामीण भू-भाग की सामाजिक परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया है तथा गाँव में अलग-अलग टोली बनाना, उनका आपस में वैमनस्य होना, एक-दूसरे की खिल्ली उड़ाना, झूठी शान-शौकत का दिखावा करना तथा रूढ़िवादिता आदि का सफल चित्रण करके वास्तविक स्थिति का परिचय दिया गया है।

कहानी में प्रयुक्त ग्रामीण शब्दावली ने पूर्ण रूप से इसे आंचलिक बना दिया है। रोजमर्रा बोले जाने वाले शब्द, अंग्रेजी शब्दों का बिगड़ा रूप और पंचलाइट जलने पर उसकी जय-जयकार करना ग्रामवासियों के भोलेपन और स्वच्छ हृदय को प्रदर्शित करता है।



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