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आपने कक्षा या मैदान में खेले हुए कोई एक खेल के बारे में लिखिए।

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क्रिकेट बचपन से ही मेरा प्रिय खेल रहा है। इसे खेलते हुए कई रोमांचक घटनाएँ हुई हैं। वे मुझे अब तक याद हैं। पिछले महीने ही कक्षा सातवीं की टीम से हमारा मैच था। मैं छठी कक्षा की अपनी टीम का कप्तान था। मैच बीस ओवर का था।

टॉस उछाला गया तो हमें गेंदबाजी मिली। सामनेवाली टीम ने बीस ओवर में 120 रन बनाए। अब हमें 121 रन बनाने थे। हमारे दो खिलाड़ी 0 रन ही पर आउट हो गए। तीसरे और चौथे ने मिलकर 50 रन बनाए। फिर दो खिलाड़ी 7 और 12 रन बनाकर चलते बने।

हालत यह हो गई कि हमारे आठ खिलाड़ी पेवेलियन चले गए थे और रन थे कुल 93। तब मैंने बल्ला सँभाला। अब केवल 2 ओवर में 28 रन बनाने थे। यह लगभग असंभव था। लेकिन कहावत हैं कि जब खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान। पहले ही ओवर में हमने 16 रन बनाए।

दूसरे ओवर में हमें आखिरी मौका था जीतने का और बारह रन बनाने थे। सामने गेंदबाज बड़ा चतुर था। पहली गेंद पर मैंने चौका बनाया। दूसरी तीन गेंद खाली गई। अब केवल दो गेंद हमारे हाथ में थीं। हार – जीत का फैसला इन दो गेंद पर था।

पहली गेंद आई और मैंने आँख मूंद कर बल्ला घुमा दिया। देखा तो दो रन बन गए थे। अंतिम गेंद पर छक्का लग गया और हमारी टीम विजय के उल्लास में झूम उठी थी।

क्रिकेट के साथ जुड़ी ऐसी यादें क्या हम कभी भूल सकते हैं?



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