InterviewSolution
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आर्थिक कारणों से किसी AM तरंग का केवल ऊपरी पाश्र्व बैंड ही प्रेषित किया जाता है , परन्तु ग्राही स्टेशन पर वाहक तरंग उत्पन्न करने की सुविधा होती है । यह दर्शाइए कि यदि कोई ऐसी युक्ति उपलब्ध हो जो सिग्नलों की गुणा कर सके , तो ग्राही स्टेशन पर मॉडुलक सिग्नल की पुनः प्राप्ति सम्भव है । |
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Answer» माना अभिग्राही स्टेशन पर (i ) अभिग्राही सिग्नल `V_(1)=A_(1) cos ( omega_(c)+omega_(m))t` और (ii ) वाहक तरंग `V_(2)=A_(c) cos omega_(c) t` उपलब्ध है , जहाँ `omega_(m)` मॉडुलक तरंग कि कोणीय आवृत्ति तथा वाहक तरंग की कोणीय आवृत्ति है । ` :. V_(1)V_(2)=A_(1)A_(c) cos (omega_(c)+omega_(m))t. cos omega_(c)t ` `=(1)/(2)A_(1)A_(c)2 cos (omega_(c) +omega_(m))t. cos omega_(c)t` `=(1)/(2)A_(1)A_(c)[cos(omega_(c)+omega_(m)+omega_(c))t+ cos (omega_(c)+omega_(m)-omega_(c))t]` `=(1)/(2)A_(1)A_(c)[cos(2omega_(c)+omega_(m))t+cos omega_(m)t]` यदि इस सिग्नल को निम्न बैंड पारक फिल्टरसे गुजारें तो यह उच्च आवृत्ति `(2omega_(c)+omega_(m))` से सगनल को रोक देता है और केवल मॉडुलक सिग्नल `(1)/(2)A_(1)A_(c) omega_(m)t` को ही जाने देता है । इस प्रकार अभिग्राही स्टेशन पर मॉडुलक सिग्नल की पुनः प्राप्ति सम्भव है । |
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