1.

आर्थिक नियोजन का क्या आशय है? योजना आयोग को संगठन एवं कार्य बताइए।याआर्थिक नियोजन से क्या अभिप्राय है? भारत में योजनाबद्ध विकास के संगठन की विवेचना कीजिए।

Answer»

आर्थिक नियोजन
आर्थिक नियोजन को तात्पर्य यह है कि आर्थिक विकास की निश्चित योजना बनाकर राष्ट्रीय जीवन के सभी क्षेत्रों कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य व सामाजिक सेवाओं के सन्तुलित विकास का प्रयत्न किया जाए और इस बात का भी प्रबन्ध किया जाए कि इस विकास के लाभ न केवल कुछ ही व्यक्तियों अथवा वर्गों को वरन् सभी व्यक्तियों और वर्गों को प्राप्त हों। इस प्रकार निश्चित योजनाओं के माध्यम से आर्थिक विकास का जो प्रयत्न किया जाता है उसे ही आर्थिक नियोजन कहते हैं। नियोजित विकास को लागू करने वाला सबसे पहला देश सोवियत संघ है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सोवियत संघ से प्रभावित होकर संशोधित रूप में भारत में नियोजित विकास की धारणा को लागू किया है।

भारत का योजना आयोग
दिसम्बर, 1946 में के०सी० नियोगी की अध्यक्षता में स्थापित एक बोर्ड की सलाह पर 15 मार्च, 1950 को भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा योजना आयोग का गठन किया गया। योजना आयोग एक संवैधानिक या विधिक संस्था न होकर एक कार्यकारी संस्था है। योजना आयोग का प्रथम अध्यक्ष तत्कालीन प्रधानमंत्री पं० जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया। योजना आयोग की स्थापना के समय पाँच पूर्णकालिक सदस्य मनोनीत किए गए। देश का प्रधानमंत्री योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष होता था। इसके उपाध्यक्ष एवं सदस्यों के लिए कोई निर्धारित योग्यता आधार नहीं था। साथ ही, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों का कोई निश्चित न्यूनतम कार्यकाल नहीं होता। उल्लेखनीय है कि भारत द्वारा 1991 में आर्थिक उदारीकरण की नीति को लागू किया गया है। इस नीति के अन्तर्गत आर्थिक विकास में सरकारी क्षेत्र की भूमिका सीमित होती है। इसी आलोक में 1991 के बाद भारत में योजना रणनीति में भी परिवर्तन किया गया है तथा विस्तृत योजना के स्थान पर सांकेतिक योजना (Indicative Planning) की धारणा को अपनाया गया है। इसके अन्तर्गत दीर्घकालीन विकास लक्ष्यों के आलोक में सरकार द्वारा विकास को सुविधाजनक बनाने के प्रयास किये जाते हैं।

योजना आयोग के कार्य
⦁    देश के भौतिक, अभौतिक, पूँजीगत एवं मानवीय संसाधनों का अनुमान लगाना।
⦁    राष्ट्रीय संसाधनों का अधिकतम सम्भव विदोहन एवं प्रयोग के लिए रणनीति बनाना।
⦁    प्राथमिकताओं का निर्धारण करना और इन प्राथमिकताओं के आधार पर योजना के उद्देश्य निर्धारित करके संसाधनों का आबंटन करना।
⦁    योजना के सफल संचालन के लिए संभावित अवरोधों को दूर करने के उपाय सरकार को बताना।
⦁    योजनावधि में विभिन्न चरणों पर योजना प्रगति का मूल्यांकन करना।
⦁    समय-समय पर केन्द्रीय और राज्य सरकारों को आवश्यकता पड़ने पर परामर्श देना।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions