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Answer» नवीं पंचवर्षीय योजना (1 अप्रैल, 1997 से 31 मार्च, 2002) भारत में आर्थिक नियोजन 1 अप्रैल, 1951 से प्रारम्भ हुआ। 1 अप्रैल, 1997 से नवीं पंचवर्षीय योजना प्रारम्भ हुई थी। इस योजना का कार्यकाल 31 मार्च, 2002 को समाप्त हो गया है। इस योजना का प्रारम्भिक प्रारूप तत्कालीन योजना आयोग उपाध्यक्ष मधु दण्डवते ने 1 मार्च, 1998 को जारी किया था, जिसे भाजपा सरकार ने संशोधित किया। संशोधित प्रारूप में निहित उद्देश्य, विभिन्न क्षेत्रों के सम्बन्ध में लक्ष्य आदि अग्रलिखित थे – योजना के उद्देश्य इस योजना के निम्नलिखित उद्देश्य स्वीकार किये गये थे – ⦁ पर्याप्त उत्पादक रोजगार पैदा करना और गरीबी उन्मूलन की दृष्टि से कृषि और विकास को प्राथमिकता देना। ⦁ मूल्यों में स्थायित्व लाना और आर्थिक विकास की गति को तेज करना। ⦁ सभी लोगों को भागीदारी के विकास के माध्यम से विकास प्रक्रिया की पर्यावरणीय क्षमता सुनिश्चित करना। ⦁ जनसंख्या-वृद्धि को नियन्त्रित करना। ⦁ सभी के लिए भोजन व पोषण एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना, लेकिन समाज के कमजोर वर्गों पर विशेष ध्यान देना। ⦁ समाज को मूलभूत न्यूनतम सेवाएँ प्रदान करना तथा समयबद्ध तरीके से उनकी आपूर्ति सुनिश्चित करना; विशेष रूप से पेय जल, प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा व आवास सुविधा के सम्बन्ध में। ⦁ महिलाओं तथा सामाजिक रूप से कमजोर वर्गो-अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों व अन्य पिछड़ी जातियों एवं अल्पसंख्यकों को शक्तियाँ प्रदान करना, जिससे कि सामाजिक परिवर्तन लाया जा सके। ⦁ पंचायती राज संस्थाओं, सहकारी संस्थाओं को बढ़ावा देना और उनका विकास करना। ⦁ आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रयासों को मजबूत करना। इस प्रकार नौवीं योजना का प्रमुख उद्देश्य ‘न्यायपूर्ण वितरण और समानता के साथ विकास (Growth with Equity and Distributive Justice) करना था। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित चार बातें चिह्नित की गयी थीं – 1. गुणवत्तायुक्त जीवन – इसके लिए गरीबी उन्मूलन व न्यूनतम प्राथमिक सेवाएँ (स्वच्छ पेय जल, प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा व आवास) उपलब्ध कराने के प्रयास किये जाएँगे। 2. रोजगार संवर्द्धन – रोजगार के अवसर बढ़ाये जाएँगे। कार्य की दशाएँ सुधारी जाएँगी। श्रमिकों को कुल उत्पादन में न्यायोचित हिस्सा दिया जाएगा। 3. क्षेत्रीय सन्तुलन – नौवीं योजना में क्षेत्रीय सन्तुलन को कम किया जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र में उन राज्यों में अधिक निवेश किया जाएगा, जो अपेक्षाकृत कम साधन वाले राज्य हैं। पिछड़े राज्यों या क्षेत्रों में औद्योगीकरण की प्रक्रिया तेज की जाएगी। 4. आत्मनिर्भरता – नौवीं योजना में निम्नलिखित क्षेत्रों को आत्मनिर्भरता के लिए चुना गया है ⦁ भुगतान सन्तुलन सुनिश्चित करना। ⦁ विदेशी ऋण-भार में कमी लाना। ⦁ गैर-विदेशी आय को बढ़ावा देना। ⦁ खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना। ⦁ प्राकृतिक साधनों का समुचित उपयोग करना। ⦁ प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता प्राप्त करना। प्रमुख विकास दरें नौवीं योजना में विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में लक्ष्य निम्नलिखित रूप में निर्धारित किये गये थे – विकास दर : सकल घरेलू उत्पादन (GDP) की 6.5 प्रतिशत कृषि विकास दर : 3.9 प्रतिशत खनन विकास दर : 7.2 प्रतिशत विनिर्माण विकास दर : 8.2 प्रतिशत विद्युत विकास दर : 9.3 प्रतिशत सेवा क्षेत्र विकास दर : 6.5 प्रतिशत घरेलू बचत दर : 26.1 प्रतिशत उत्पादन निवेश दर : 28.2 प्रतिशत निर्यात वृद्धि दर : 11.8 प्रतिशत आयात वृद्धि दर : 10.8 प्रतिशत चालू खाता घाटा : 2.1 प्रतिशत
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