InterviewSolution
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आशय स्पष्ट कीजिए-(क) ताम्रपर्ण, पीपल से, शतमुख/झरते चंचल स्वर्णिम निर्झर!(ख) दीप शिखा-सा ज्वलित कलश/नभ में उठकर करता नीराजन!(ग) सोन खगों की पाँति/आर्द्र ध्वनि से नीरव नभ करती मुखरित!(घ) मन से कढ़ अवसाद श्रांति/आँखों के आगे बुनती जाला!(ङ) क्षीण ज्योति ने चुपके ज्यों/गोपन मन को दे दी हो भाषा!(च) बिना आय की क्लांति बन रही/सके जीवन की परिभाषा!(छ) व्यक्ति नहीं, जग की परिपाटी/दोषी जन के दुःख क्लेश की। |
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Answer» आशय स्पष्ट कीजिए- (क) ताम्रपर्ण, पीपल से, शतमुख/झरते चंचल स्वर्णिम निर्झर! (ख) दीप शिखा-सा ज्वलित कलश/नभ में उठकर करता नीराजन! (ग) सोन खगों की पाँति/आर्द्र ध्वनि से नीरव नभ करती मुखरित! (घ) मन से कढ़ अवसाद श्रांति/आँखों के आगे बुनती जाला! (ङ) क्षीण ज्योति ने चुपके ज्यों/गोपन मन को दे दी हो भाषा! (च) बिना आय की क्लांति बन रही/सके जीवन की परिभाषा! (छ) व्यक्ति नहीं, जग की परिपाटी/दोषी जन के दुःख क्लेश की। |
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