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आशयस्पष्ट कीजिए−आँखेआसमान की ओर थींऔर मन उस आकाशगामीपथिक की ओर,जोमंद गति से झूमतापतन की ओर चलाआ रहा था,मानोकोई आत्मा स्वर्गसे निकलकर विरक्तमन से नए संस्कारग्रहण करने जारही हो।

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आशय
स्पष्ट कीजिए


आँखे
आसमान की ओर थीं
और मन उस आकाशगामी
पथिक की ओर
,
जो
मंद गति से झूमता
पतन की ओर चला
आ रहा था
,
मानो
कोई आत्मा स्वर्ग
से निकलकर विरक्त
मन से नए संस्कार
ग्रहण करने जा
रही हो।



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