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आशयस्पष्ट कीजिए−फिरभी जैसे मौत औरविपत्ति के बीचभी आदमी मोह औरमाया के बंधनमें जकड़ा रहताहै, मैंफटकार और घुडकियाँखाकर भी खेल-कूदका तिरस्कारन कर सकता था।

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आशय
स्पष्ट कीजिए


फिर
भी जैसे मौत और
विपत्ति के बीच
भी आदमी मोह और
माया के बंधन
में जकड़ा रहता
है
, मैं
फटकार और घुडकियाँ
खाकर भी खेल
-कूद
का तिरस्कार
न कर सकता था।



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