InterviewSolution
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अधिकारों से सम्बन्धित प्राकृतिक सिद्धान्त और वैधानिक सिद्धान्त के विषय में आप क्या जानते हैं? |
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Answer» अधिकारों को प्राकृतिक सिद्धान्त आलोचना- इस सिद्धान्त में कतिपय दोष निम्नलिखित हैं- अधिकारों का कानूनी या वैधानिक सिद्धान्त इस सिद्धान्त के प्रवर्तक बेन्थम, हॉलैण्ड ऑस्टिन आदि विचारक हैं। इस सिद्धान्त के अनुसार अधिकार राज्य की इच्छा का परिणाम है और राज्य ही अधिकारों का जन्मदाता है। यह सिद्धान्त प्राकृतिक सिद्धान्त के विपरीत है। व्यक्ति राज्य के सरंक्षण में रहकर ही अधिकारों का प्रयोग कर सकता है। राज्य ही कानून द्वारा ऐसी परिस्थितियों को उत्पन्न करता है, जहाँ कि व्यक्ति अपने अधिकारों का स्वतन्त्रतापूर्वक प्रयोग कर सके। राज्य ही अधिकारों को मान्यता प्रदान करता है। यह सिद्धान्त इस मान्यता पर आधारित है कि अधिकारों का अस्तित्व केवल राज्य के अन्तर्गत ही सम्भव है। आलोचना—इस सिद्धान्त में कतिपय दोष निम्नलिखित हैं- |
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