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‘अग्रपूजा’ खण्डकाव्य के सभारम्भ सर्ग (द्वितीय सर्ग) का सारांश लिखिए।

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श्रीकृष्ण को साथ लेकर पाण्डव खाण्डव वन पहुँचे। वह विकराल वन था। श्रीकृष्ण ने विश्वकर्मा से उस वन-प्रदेश में पाण्डवों के लिए इन्द्रपुरी जैसे भव्य नगर का निर्माण कराया। नगर रक्षा के लिए शतघ्नी शक्ति, शस्त्रागार, सैनिक गृह आदि निर्मित किये गये। सर्वत्र सुरम्य उद्यान और लम्बे-चौड़े भव्य मार्ग थे। वहाँ निर्मल जल से परिपूर्ण नदियाँ और कमल से सुशोभित सरोवर थे। इस क्षेत्र का नाम इन्द्रप्रस्थ रखा गया। हस्तिनापुर से आये हुए अनेक नागरिक और व्यापारी वहाँ बस गये। व्यास भी वहाँ आये। युधिष्ठिर को भली-भाँति प्रतिष्ठित करने के बाद व्यास और कृष्ण इन्द्रप्रस्थ से चले गये। श्रीकृष्ण जैसा हितैषी पाकर उनके उपकारों से पाण्डव अपने आपको धन्य मानते थे। युधिष्ठिर ने सत्य, न्याय और प्रेम के आधार पर आदर्श शासन किया। उन्होंने रामराज्य को आदर्श मानकर प्रजा के लिए पृथ्वी पर स्वर्ग उतार लाने जैसे कार्य किये। युधिष्ठिर का राज्य समृद्धि की ओर बढ़ चला। उनके शासन की कीर्ति सर्वत्र (सुरलोक और पितृलोक तक) प्रसारित हो गयी।



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