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अपराध को नियन्त्रित करने हेतु सुझाव दीजिए।याअपराध की परिभाषा दीजिए तथा अपराध नियन्त्रण के दो उपाय बताइए।याअपराध क्या है? अपराध को नियन्त्रित करने के सुझाव दीजिए। 

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अपराध की परिभाषा

अपराध एक ऐसा कार्य है, जो लोक-कल्याण के लिए अहितकर समझा जाता है तथा जिसे राज्य के द्वारा पारित कानून द्वारा निषिद्ध कर दिया जाता है। इसके उल्लंघनकर्ता को दण्ड दिया जाता है। अपराध को विभिन्न समाजशास्त्रियों ने निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है

इलियट तथा मैरिल के अनुसार, “अपराध को एक ऐसे समाज-विरोधी व्यवहार के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसे समाज ‘अमान्य करता है और इसके लिए दण्ड की व्यवस्था करता है।’

लैण्डिस और लैण्डिस के अनुसार, “अपराध वह कार्य है जिसे राज्य ने समूह-कल्याण के लिए हानिकारक घोषित किया है और जिसके लिए राज्य पर दण्ड देने की शक्ति है।”
थॉमस के अनुसार, “अपराध एक ऐसा कार्य है जो उस समूह के स्थायित्व का विरोधी है, जिसे व्यक्ति अपना समझता है।”
गिलिन तथा गिलिन के अनुसार, “कानूनी दृष्टिकोण से देश के कानूनों के विरुद्ध व्यवहारों को अपराध कहा जाता है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि अपराध की परिभाषा दो प्रकार से दी गयी है। इसे समाजशास्त्री दृष्टि से, कानूनी दृष्टि से तथा सामाजिक-कानूनी दृष्टि से परिभाषित किया गया है। किसी भी अपराध के लिए दो बातें होनी आवश्यक हैं

(अ) वह कार्य समाज-विरोधी समझा जाता है तथा

(ब) उस कार्य को करने वाले को राज्य कानूनी दृष्टि से दण्ड देता है।

अपराध निरोध के लिए, दण्ड, जेल, परिवीक्षा एवं पैरोल तथा उत्तम-संरक्षण सेवाओं के अतिरिक्त कुछ अन्य सुझाव निम्न प्रकार दिये जा सकते हैं

⦁    पूर्व बाल-अपराधियों की खोज-हमें ऐसे बच्चों को खोजना होगा जिनके आगे चलकर अपराधी बनने की सम्भावना हो। उनको पहले ही ऐसी परिस्थितियाँ प्रदान की जाएँ कि वे आगे चलकर अपराधी नहीं बनें।

⦁    मार्ग-दर्शन-अपराधियों को जेल में इस प्रकार का मार्गदर्शन प्रदान किया जाए, कि वे जेल से छूटने के बाद अपराधी नहीं बनें।

⦁    समितियों का निर्माण-ऐसी सामुदायिक एवं पड़ोस समितियों का निर्माण किया जाए जो समुदाय की उन परिस्थितियों का पता लगाएँ जो अपराध के लिए उत्तर दायी हैं।

⦁    परिवार का पुनर्गठन–कई अपराधी विघटित एवं टूटे परिवारों से आते हैं। अत: ऐसे उपाय अपनाये जाएँ जिससे परिवार के सदस्यों में प्रेम व सहयोग पनपे तथा मनमुटाव और तनाव समाप्त हो।

⦁    स्वस्थ मनोरंजन–वर्तमान युग का अस्वस्थ एवं व्यापारिक मनोरंजन भी अपराध को जन्म देता है। भद्दे, भौंडे तथा नग्न व अर्द्ध-नग्न चित्र, अपराध से परिपूर्ण फिल्में, जासूसी उपन्यास एवं सस्ता साहित्य, नाचघर, नाइट क्लब, कैबरे आदि सभी व्यक्ति के पतन के लिए उत्तर:दायी हैं। इन सभी पर कठोर कानूनी पाबन्दी लगायी जानी चाहिए।

⦁    स्वस्थ निवास–गन्दी बस्तियाँ एवं भीड़भाड़युक्त मकान भी अपराध के लिए उत्तर:दायी हैं। अतः सरकार को अधिकाधिक नियोजित बस्तियों का निर्माण करना चाहिए तथा मकान बनाने के लिए ऋण की सुविधाएँ उपलब्ध करायी जानी चाहिए।

⦁    स्कूलों के वातावरण में सुधार किया जाना चाहिए, क्योंकि शिक्षण संस्थाओं में ही मानवता ढलती है एवं व्यक्ति में नैतिकता की भावनाएँ पनपती हैं। वहीं व्यक्ति के चरित्र का गठन भी होता है।

⦁    जेलों की दशाएँ सुधारी जाएँ, उनमें चिकित्सा सेवा, स्वस्थ वातावरण एवं निवास की उचित व्यवस्था की जाए तथा अपराधियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण एवं प्रेमपूर्ण व्यवहार किया जाए।

⦁    अपराधियों को सुधारने के लिए मन:चिकित्सकों एवं समाजशास्त्रियों की सहायता ली जाए, जिससे वे भविष्य में अपराध न करें।

⦁    दण्ड का निर्धारण अपराधी की परिस्थितियों को देखकर किया जाए।

⦁    अलग-अलग प्रकार के अपराधियों के लिए अलग-अलग प्रकार के बन्दीगृह हों, क्योंकि प्रथम अपराधी को आदतन अपराधी के साथ रखने से उसके सुधरने के बजाय बिगड़ने के अधिक अवसर रहते हैं।

⦁    जनमत में परिवर्तन कर ऐसी प्रवृत्तियों का बहिष्कार किया जाए जो समाज-विरोधी कार्यों को जन्म देती हैं।

⦁    अपराधियों को ऋण व प्रशिक्षण की सुविधाएँ दी जाएँ, जिससे वे अपना कोई व्यवसाय चला सकें और अपराधी कार्यों से मुक्ति पा सकें।

⦁    जेल में अपराधियों को काम दिया जाए एवं उससे प्राप्त धन में से आधा भाग उनके परिवार वालों को दिया जाए जिससे उनका भरण-पोषण होता रहे।

⦁    न्याय सस्ता हो एवं साथ ही उसे शीघ्र उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

⦁    अपराधी जनजातियों के सुधार के लिए योजनाबद्ध कार्य किये जाएँ।

⦁    समाज में व्याप्त बेकारी एवं ग़रीबी की समस्या को शीघ्र उन्मूलन किया जाए, क्योंकि निर्धनता ही प्रमुखतः सभी अपराधों की जड़ है।



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