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बाढ़ प्रकोप के कारणों की व्याख्या कीजिए।

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बाढ़ प्राकृतिक एवं मानवजनित दोनों कारकों को परिणाम है। प्राकृतिक कारकों में लम्बी अवधि तक उच्च तीव्रता वाली जल-वर्षा, नदियों के घुमावदार मोड़ व स्वाभाविक अवरोध, भूस्खलन आदि प्रमुख हैं, तो मानवजनित कारकों में नगरीकरण, नदियों पर बाँधों का निर्माण, पुलों व जलभण्डारों का निर्माण, अत्यधिक वन-विनाश आदि प्रमुख हैं। भारत में बाढ़ आपदा के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं

1. निरन्तर भारी वर्षा- जब किसी क्षेत्र में निरन्तर भारी वर्षा होती है तो वर्षा का जल धाराओं के रूप में मुख्य नदी में मिल जाता है। यह जल नदी के तटबन्धों को तोड़कर आस-पास के क्षेत्रों को जलमग्न कर देता है। भारी मानसूनी वर्षा तथा चक्रवातीय वर्षा बाढ़ों के प्रमुख कारण हैं।

2. भूस्खलन- भूस्खलन भी कभी-कभी बाढ़ों का कारण बनते हैं; क्योंकि इसके कारण नदी का मार्ग ‘अवरुद्ध हो जाता है। परिणामस्वरूप नदी का जल-मार्ग बदलकर आस-पास के क्षेत्रों को जलमग्न कर देता है। इस प्रकार की बाढ़ का वेग इतना तीव्र होता है कि यह बड़ी-से-बड़ी बस्ती को भी अस्तित्वविहीन कर देता है।

3. वन-विनाश- वन पानी के वेग को कम करते हैं। नदी के ऊपरी भागों में बड़ी संख्या में वृक्षों की अन्धाधुन्ध कटाई से भी बाढ़े आती हैं। हिमालय में बड़े पैमाने पर वनों का विनाश ही हिमालय-नदियों में बाढ़ का मुख्य कारण है। वनविहीन भूमि पर वर्षा का जल तेजी से बहता है, जिससे भूमि का कटाव अधिक होता है। इससे नदियों में अधिक मात्रा में अवसाद एकत्रित होता है और नदियों का तल उथला होता जा रहा है।

4. दोषपूर्ण जल- निकास प्रणाली- मैदानी क्षेत्रों में उद्योगों और बहुमंजिले मकानों की परियोजनाएँ बाढ़ की सम्भावनाओं को बढ़ाती हैं। इसका कारण यह है कि पक्की सड़कें, नालियाँ, निर्मित क्षेत्र, पक्के पार्किंग स्थल आदि के कारण यहाँ जल रिसकर भू-सतह के नीचे नहीं जा पाता और जल निकास की भी पूर्ण व्यवस्था नहीं होने के कारण वर्षा का पानी निचले स्थानों पर भरता चला जाता है। तथा बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

5. बर्फ का पिघलना- सामान्य से अधिक बर्फ का पिघलना भी बाढ़ का एक कारण है। बर्फ के अत्यधिक पिघलने से नदियों में जल की मात्रा उसी अनुपात में अधिक हो जाती है तथा नदियों का जल तटबन्धन तोड़कर आस-पास के इलाकों को जलमग्न कर देता है। उपर्युक्त के अतिरिक्त कभी-कभी अचानक बाँध, तटबन्ध या बैराज के टूटने से भी प्रचण्ड बाढ़ आ जाती है। वर्तमान में अतिशय जनसंख्या-वृद्धि के कारण भूमि का उपयोग बड़ी तेजी से किया जा रहा है, लेकिन जल-निकासी पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप जल-भराव या बाढ़ की विकट समस्या उत्पन्न होती जा रही है।



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