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बाल-विवाह के तथाकथित लाभों का उल्लेख कीजिए।

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वर्तमान समय में आता विवाह को मान्यता प्राप्त नहीं है, किन्तु जब यह प्रथा प्रचलित हुई थी, तब इसके तथाकथित स्वीकृत गुण या लाभ निम्नलिखित थे ।

⦁    वैवाहिक सामंजस्य बाल- जिह से पति-पत्नी के स्वभाव में अच्छा वैवाहिक सामंजस्य हो जाता है, जिससे संघर्ष होने की सम्भावना अत्यन्त कम रहती हैं।

⦁    अनैतिकता तथा व्यभिचार से बचाव बालक-बालिकाओं में | किशोरावस्था में तीब्र कामवासना जाग्रत होती हैं। इस वासना की तृप्ति न होने के कारण समाज में व्यभिचार तथा अनैतिकता फैलती है। अतः इसे रोकने के लिए एकमात्र उपाय बाल गिय मना जाता था।

⦁    उत्तरदायित्व समझना लड़के-लड़कियों को उत्तरदायित्व समझाने एवं उन्हें बिगड़ने से बचाने के लिए उनका विवाह अल्पायु में ही कर दिया शाया।

⦁    अनेक रोगों का निराकरण आत विवाह से अनेक व्याधियों के होने की आशंका कम रहती है। हैवलिक एलिस के अनुसार, विलम्ब से निबाह होने पर कन्याओं को हिस्टीरिया, रज सम्बन्धी बहुत-सी ध्याधियां, अजीर्ण, सिसई, सिर घूमना, भाँति-भाँति के रोग, अत्यन्त दूषित रक्तहीनता तथा मृत पिण्ड की बीमारी हो जाती हैं। लड़कों में भी शारीरिक व मानसिक दोष उत्पन्न हो जाते हैं।”

⦁    प्राकृतिक नियमों के अनुकूल जिस प्रकार अन्य सभी प्राणियों में यौन इच्छा के जाग्रत होते हो यौन सम्बन्ध स्थापित किए जाते हैं, उसी प्रकार मनुष्यों में भी यौन शक्ति के प्रबल होते ही, मौन तृप्ति का असर दिया जाना चाहिए, इस दृष्टिकोण से बाल-विवाह को उचित ठहराने का प्रयास किया जाता है।



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