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बाल विवाह रोकने के क्या उपाय हैं? याबाल-विवाह को रोकने के वैधानिक उपाय लिखिए। 

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बाल-विवाह को रोकने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित अधिनियम पारित किए गए हैं।

1. बाल-विवाह परिसीमन कानून या शारदा एक्ट, 1999 इस अधिनियम के प्रमुख अनुबन्ध निम्नलिखित हैं।

⦁    विवाह के समय लड़के को आयु 18 वर्ष तथा लड़की की आयु 14 वर्ष होनी चाहिए। यदि किसी व्यक्ति की आयु 18 वर्ष से अधिक है और वह 14 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ विवाह करता है, तो ऐसे व्यक्ति को 15 दिन का कारावास या ₹ 100 जुर्माना या दोनों हो सकते है।

⦁    निर्धारित आयु से कम आयु में विवाह करने पर माता-पिता या साक्षक को 3 माह का कारावास तथा 300 का जुर्माना भुगतना पड़ेगा।

2. हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 ई. में पारित किया गया, जिसके अनुसार विवाह के समय सड़कों की आयु 18 वर्ष तथा लड़कियों की आयु 16 वर्ष निर्धारित की गई। 1976 में एक संशोधन अधिनियम के द्वारा लड़कियो की आयु 18 वर्ष तथा लड़कों की 21 वर्ष निश्चित की गई। वर्तमान में यही नियम लागू है।
3. बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 यह अधिनियम 1 नवम्बर, 2007 से प्रभाव में आया, इसने शारदा अधिनियम को प्रतिस्थापित किया है। इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं।

⦁    विवाह के समय लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष एवं सह की 18 वर्ष होनी चाहिए।

⦁    इस अधिनियम के अनुसार, बाल-विवाह के लिए बाध्य किए गए अवयस्क बालक, पूर्ण अयस्कता प्राप्त करने के न्यूनतम वर्ष पश्चात् विवाह-विच्छेद कर सकते हैं।

⦁    यदि 18 वर्ष से अधिक आयु का व्यक्ति बाल विवाह करता है, तो ऐसे व्यक्ति को  वर्ष का कठोर कारावास या ₹ 100000 तक का जुर्माना | या दोनों हो सकते हैं।

⦁    इस अधिनियम में बाल-विवाह को सम्पन्न कराने वाले, संचालित करने वाले या निर्दिष्ट करने बाले के लिए भी दण्ड का प्रावधान है।



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