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बढ़ जाता है मान वीर का, रण में बलि होने से ।मूल्यवती होती सोने की, भस्म यथा सोने से ॥रानी से भी अधिक हमें अब, यह समाधि है प्यारी ।यहाँ निहित है स्वतन्त्रता की, आशा की चिनगारी ॥

Answer»

[ मान = सम्मान। रण = युद्ध। मूल्यवती = मूल्यवान। निहित = रखी है।]

प्रसंग-इन पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि देश के गौरव की रक्षा के लिए अपना बलिदान करने से रानी का महत्त्व और अधिक बढ़ गया है।

व्याख्या-कवयित्री कहती हैं कि स्वतन्त्रता पर बलि होने से वीर का सम्मान बढ़ जाता है। रानी लक्ष्मीबाई भी युद्ध में बलिदान हुईं; अत: उनका सम्मान उसी प्रकार और भी अधिक बढ़ गया, जैसे कि सोने की अपेक्षा स्वर्णभस्म अधिक मूल्यवान होती है।  यही कारण है कि रानी लक्ष्मीबाई की यह समाधि हमें रानी लक्ष्मीबाई से भी अधिक प्रिय है; क्योंकि इस समाधि में स्वतन्त्रता-प्राप्ति की आशा की एक चिंगारी छिपी हुई है, जो आग के रूप में फैलकर पराधीनता से मुक्त होने के लिए देशवासियों को सदैव प्रेरणा प्रदान करती रहेगी।

काव्यगत सौन्दर्य-
⦁    कवयित्री ने लक्ष्मीबाई की समाधि से स्वतन्त्रता-प्राप्ति की प्रेरणा प्राप्त करने के लिए युवकों का आह्वान किया है।
⦁    भाषा-सरल खड़ी बोली।
⦁    शैली–ओजपूर्ण व आख्यानक गीति शैली।
⦁    रस-वीर।
⦁    छन्द-तुकान्त-मुक्त।
⦁    गुण-ओज एवं प्रसाद।
⦁    शब्दशक्ति –अभिधा।
⦁    अलंकार-‘बढ़ जाता है ……………..” सोने से’ में दृष्टान्त, ‘आशा की चिनगारी’ में रूपक और अनुप्रास।
⦁    भावसाम्य-कवयित्री के समान ही ओज के कवि श्यामनारायण पाण्डेय भी देशहित में अपना सिर कटवा देने वाले को ही सच्चा वीर मानते हैं
जो देश-जाति के लिए, शत्रु के सिर काटे, कटवा भी दे
उसको कहते हैं वीर, आन हित अंग-अंग छैटवा भी दे।



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