InterviewSolution
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इससे भी सुन्दर समाधियाँ, हम जग में हैं पाते ।उनकी गाथा पर निशीथ में, क्षुद्र जंतु ही गाते ॥पर कवियों की अमर गिरा में, इसकी अमिट कहानी।स्नेह और श्रद्धा से गाती, है, वीरों की बानी ॥बुंदेले हरबोलों के मुख, हमने सुनी कहानी ।खूब लड़ी मरदानी वह थी, झाँसी वाली रानी ॥यह समाधि, यह चिर समाधि-है, झाँसी की रानी की।अंतिम लीलास्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की ॥ |
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Answer» [ निशीथ = रात्रि। क्षुद्र = तुच्छ, छोटे-छोटे। जन्तु = प्राणी, कीड़े। गिरा = वाणी। अमिट = कभी न मिटने वाली। बानी = वाणी।] प्रसंग-इन पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई की समाधि को अन्य समाधियों से अधिक महत्त्वपूर्ण माना है। व्याख्या-कवयित्री कहती हैं कि संसार में रानी लक्ष्मीबाई की समाधि से भी सुन्दर अनेक समाधियाँ बनी हुई हैं, परन्तु उनका महत्त्व इस समाधि से कम ही है। उन समाधियों पर रात्रि में गीदड़, झींगुर, छिपकली आदि क्षुद्र जन्तु गाते रहते हैं अर्थात् वे समाधियाँ अत्यन्त उपेक्षित हैं, जिन पर तुच्छ जन्तु निवास करते हैं, परन्तु कवियों की अमर वाणी में रानी लक्ष्मीबाई की समाधि की कभी न समाप्त होने वाली कहानी गायी जाती है; क्योंकि रानी की समाधि के प्रति उनमें श्रद्धाभाव है पर अन्य समाधियाँ ऐसी नहीं हैं। इस समाधि की कहानी को वीरों की वाणी बड़े प्रेम और श्रद्धा के साथ गाती है। अतः यह समाधि अन्य समाधियों की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण और पूज्य है। काव्यगत सौन्दर्य- यह किसने कहा कला कविता सब बाँझ हुई ? |
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