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भारत में नए राज्यों के गठन के पक्ष और विपक्ष में क्या तर्क दिए जाते रहे हैं?

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नए राज्यों के गठन के पक्ष में तर्क-भारत में नए राज्यों के समर्थक अपने पक्ष में निम्नलिखित तर्क देते हैं-

⦁    नए राज्यों का गठन करने से पिछड़े क्षेत्रों को विकास करने का विशेष अवसर प्राप्त हो जाता है।
⦁    उस क्षेत्र के लोगों में सांस्कृतिक भाषायी समानता के कारण अधिक निकटता बनी रहती है।
⦁    पिछड़े क्षेत्र के लोगों को नए राज्य का दर्जा देने से यहाँ के लोगों में राजनीतिक चेतना जाग्रत होती है।
⦁    बड़े राज्यों का विशाल आकार उनमें प्रशासनिक क्षमता और शान्ति व्यवस्था पर दबाव डालता है। छोटे राज्यों के निर्माण में इस समस्या से मुक्ति पायी जा सकती है।
⦁    नए राज्यों का गठन राष्ट्र विरोधी गतिविधि नहीं है।

नए राज्यों के विपक्ष में तर्क-भारत में नए राज्यों के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं-

⦁    नए राज्यों की माँग विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष तथा तनाव पैदा करती है।
⦁    पिछड़े क्षेत्र का विकास नए राज्यों के गठन मात्र से सम्भव नहीं है।
⦁    नए राज्यों के गठन से अनावश्यक प्रशासनिक तन्त्र में वृद्धि होती है।
⦁    नए राज्यों के गठन से क्षेत्रीयतावाद की संकीर्ण भावना पैदा होती है जो राष्ट्रीय एकता और अखण्डता के लिए खतरा बन सकती है।
⦁    नए राज्यों की माँग की प्रवृत्ति प्रगति में बाधक है। यह.समग्र विकास के स्थान पर क्षेत्र विकास को प्राथमिकता देकर सम्पूर्ण राष्ट्र की तुलना में अपने क्षेत्र विशेष के प्रति भक्ति पैदा करने का प्रयास करता है।

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से यदि नए राज्यों का गठन किया जाए तो बुरा नहीं है, किन्तु क्षेत्रीयतावाद की संकीर्ण भावना को भड़काकर नए राज्य की माँग करना राष्ट्रीय हित में नहीं है क्योंकि यह प्रवृत्ति पृथक्तावाद को जन्म देती है।



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