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भारतीय न्याय व्यवस्था में लोक अदालत पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। यालोक अदालतों के दो गुणों का उल्लेख कीजिए। याभारतीय न्याय प्रणाली में लोक अदालतों की प्रासंगिकता के पक्ष में दो तर्क दीजिए। 

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लोक अदालतें
भारत की वर्तमान न्याय व्यवस्था ऐसी है कि न्याय प्राप्त करने में बहुत अधिक समय और धन व्यय होता है। वर्तमान समय में न्यायालयों में लाखों की संख्या में मुकदमे विचाराधीन हैं। इस समस्या का समाधान करने और न्याय को सरल तथा सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से लोक अदालतों की व्यवस्था की गई है। ये अदालतें देश के विभिन्न भागों में शिविर में रूप में लगाई जा रही हैं, जहाँ पर न्यायाधीश छोटे-मोटे मुकदमों की सुनवाई करके तत्काल निर्णय दे देते हैं। इन अदालतों की प्रमुख विशेषताएँ (गुण) निम्नलिखित हैं –

⦁    इन अदालतों में सेवानिवृत्त न्यायाधीश, राजपत्रित अधिकारी तथा समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति परामर्शदाता के रूप में बैठते हैं।
⦁    इन अदालतों में वादी तथा प्रतिवादी अपना वकील नहीं करते हैं, बल्कि न्यायाधीश के समक्ष दोनों पक्ष स्वयं अपना पक्ष एवं बचाव पक्ष प्रस्तुत करते हैं।
⦁    इन अदालतों में मुकदमों का निपटारा पारस्परिक समझौते के आधार पर किया जाता है।
⦁    इन अदालतों में वैवाहिक, पारिवारिक व सामाजिक झगड़े, किराया, बेदखली, वाहनों का चालान तथा बीमा आदि के मामले आते हैं।
⦁    ये अदालतें समझौता कराती हैं, जुर्माना कर सकती हैं अथवा चेतावनी दे सकती हैं। इन अदालतों को कारावास सम्बन्धी दण्ड देने का अधिकार नहीं है।
⦁    इन अदालतों को अभी कानूनी मान्यता नहीं मिल पायी है।



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