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बहुप्रयोजन आहार से क्या तात्पर्य है?

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शरीर को स्वस्थ, क्रियाशील, निरोग एवं चुस्त रखने के लिए पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। पौष्टिक आहार सभी प्रकार के पोषक तत्वों से युक्त होता है। इस प्रकार के आहार के लिए अनेक शोध कार्य किए गए, जिनके परिणामस्वरूप सभी प्रकार के पोषक तत्त्वों से युक्त तथा सस्ता आहार तैयार किया जा सका। इस आहार को बहुप्रयोजन आहार कहते हैं।

बहुप्रयोजन आहार बनाने की विधि-तिलहनों का तेल निकाल लेने के बाद बचा पदार्थ खली कहलाता है। इसमें अनेक पोषक तत्त्व पाए जाते हैं। हमारे देश में बहुप्रयोजन आहार बनाने के लिए मुख्य रूप से सोयाबीन व मूंगफली की खली प्रयोग में लाई जाती है। इसमें चने का आटा तथा कुछ खनिज लवण व विटामिन मिलाए जाते हैं।

बहुप्रयोजन आहार का महत्त्व-यह बच्चों के लिए, गर्भवती तथा शिशु को दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी होता है। इसमें आहार के सामान्य रूप से अनिवार्य सभी तत्त्व समुचित मात्रा में पाए जाते हैं। बच्चों के लिए इसकी दैनिक आवश्यकता लगभग 30 ग्राम तथा बड़ों के लिए 60 ग्राम होती है।



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