1.

‘भू-भागिता से आप क्या समझते हैं। भू-भागिता के प्रमुख प्रकारों के बारे में समझाइए।

Answer»

पर्यावरणीय मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से पर्यावरण का एक रूप अन्तर्वैयक्तिक पर्यावरण भी है। पर्यावरण के इस रूप का सम्बन्ध जनसंख्या से है। जब हम अन्तर्वैयक्तिक पर्यावरण की बात करते हैं तब इसके मुख्य कारकों का विश्लेषण करते हैं। ये कारक हैं—वैयक्तिक स्थान, भू-भागिता, जनसंख्या घनत्व तथा भीड़। अन्तर्वैयक्तिक पर्यावरण के एक महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में भू-भागिता का व्यवस्थित अध्ययन आल्टमैन ने किया है। भू-भागिता : का सम्बन्ध सम्बन्धित भू-भांग के स्वामित्व या अधिकार से है। भू-भाग अपने आप में अदृश्य नहीं होता बल्कि इसकी कुछ स्पष्ट रूप से निर्धारित सीमाएँ होती हैं। हम स्वाभाविक रूप से ही अपने आस-पास के क्षेत्र तथा अधिकार वाले भाग को अपना समझते हैं। हम सभी अपने घर को अपना भू-भाग मानते हैं।
घर के अतिरिक्त कुछ व्यक्तियों के लिए बाग-बगीचे तथा खेत-खलियान भी निजी भू-भाग के रूप में हाते हैं। भू-भागिता एक ऐसा कारक है कि कोई भी व्यक्ति अपनी भू-भागिता में अर्थात् अपने क्षेत्र में किसी अन्य व्यक्ति के बलपूर्वक प्रवेश या अतिक्रमण को कदापि सहन नहीं करता। भू-भागिता के साथ निजीत्व का भाव जुड़ा हुआ है। व्यक्ति अपनी भू-भागिता को अपने नियन्त्रण में ही रखता है। व्यक्ति के लिए घर के अतिरिक्त कुछ अन्य भू-भागिता भी महत्त्वपूर्ण है, भले ही उनके स्वरूप एवं नियन्त्रण में कुछ अन्ता है। आलमैन ने भू-भागिता के तीन वर्ग या प्रकार निर्धारित किए हैं जिन्हें उसने क्रमशः प्राथमिक भू-भाग, गौण भू-भाग तथा सार्वजनिक भू-भाग के रूप में वर्णित किया है। इन तीनों प्रकार के भू-भागों को सामान्य परिचय निम्नवर्णित है

(1) प्राथमिक भू-भाग- व्यक्ति के लिए सबसे अधिक आवश्यक एवं उपयोगी भू-भाग को आल्टमैन ने प्राथमिक भू-भाग के रूप में वर्णित किया है। प्राथमिक भू-भाग उस भू-भाग को कहा जाता है, जिसका उपयोग कोई व्यक्ति या समूह पूर्ण स्वतन्त्र रूप से करता है। घर इस वर्ग के भू-भाग को सबसे मुख्य उदाहरण है। घर के अतिरिक्त यदि व्यक्ति के अधिकार में कोई दुकान, कार्यशाला या बगीचा आदि है, तो उसे भी प्राथमिक भू-भाग की ही श्रेणी में रखा जायेगा। प्राथमिक भू-भाग के किसी अन्य व्यक्ति को प्रवेश का अधिकार नहीं होता तथा सामान्य रूप से इसे सहन भी नहीं किया जाता। किसी व्यक्ति के प्राथमिक भू-भाग में यदि कोई अन्य व्यक्ति बलपूर्वक प्रवेश करता है तो व्यक्ति उसका विरोध करता है। उसे क्रोध भी आता है तथा यह दुःख की बात होती है।

(2) गौण भू-भाग- गौण भू-भाग उस भू-भाग को कहा गया है, जिसका स्वामित्व स्पष्ट रूप से निश्चित नहीं होता। इस वर्ग के भू-भाग को कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि अनेक व्यक्ति उपयोग में लाते हैं। विद्यालय का कक्ष इसका एक स्पष्ट उदाहरण है। कक्षा के अनेक छात्र होते हैं और वे किसी भी सीट पर बैठ सकते हैं तथा कमरे का उपयोग सम्मिलित रूप से करते हैं। व्यक्ति के जीवन में गौण भू-भाग का महत्त्व प्राथमिक भू-भाग की तुलना में कम होता है।

(3) सार्वजनिक भू-भाग- जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है-भू-भाग का यह रूप किसी एक व्यक्ति का स्वामित्व नहीं होता। सार्वजनिक भू-भाग पर जन-साधारण का समान अधिकार होता है। इसे भू-भाग पर निजी स्वामित्व का प्रश्न ही नहीं उठता। सार्वजनिक भू-भाग के मुख्य उदाहरण हैं-पार्क, रेलवे प्लेटफॉर्म, हर प्रकार के प्रतीक्षालय तथा वाचनालय आदि। इन भू-भागों में किसी व्यक्ति का कोई स्थान आरक्षित नहीं होता। उदाहरण के लिए, पार्क में किसी भी बेंच पर कोई भी व्यक्ति बैठ सकता है। सार्वजनिक भू-भाग में किसी स्थान पर कोई व्यक्ति अपनी दावेदारी नहीं कर सकता। कानून भी इसके लिए अनुमति नहीं देता।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions