InterviewSolution
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                                    वायु-प्रदूषण का मानव-जीवन एवं व्यवहार पर क्या प्रभाव पड़ता है?यावायु-प्रदूषण हमें किस प्रकार से हानि पहुँचाता है?यावायु-प्रदूषण के दुष्परिणामों की व्याख्या कीजिए। | 
                            
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Answer»  ‘वायु-प्रदूषण’ शब्द मस्तिष्क में आते ही प्रायः दुर्गन्धमय और विभिन्न गैसों से युक्त तथा धुएँ से आच्छादित वायुमण्डल का दृश्य उपस्थित हो जाता है। वस्तुतः अनेक रासायनिक पदार्थ और गैस वायु-प्रदूषण को अत्यन्त खतरनाक बना रहे हैं। उद्योगों से नि:सृत व्यर्थ पदार्थ गैसों के सन्तुलन को बिगाड़ रहे हैं। उदाहरणार्थ-कपड़ा, शराब, दवाई, कागज, सीमेण्ट, चमड़ा, रँगाई, तेलशोधक कारखाने, रासायनिक उर्वरक के कारखाने आदि ऐसे उद्योग-धन्धे हैं जो वायु-प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं। (1) शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव वायु- प्रदूषण से आँख और नाक से पानी बहने लगता है। इसके कारण दमा-श्वास और फेफड़ों का कैन्सर जैसे रोग हो जाते हैं। स्वचालित वाहनों से निकले धुएँ और धूल से श्वसन सम्बन्धी रोग उत्पन्न हो जाते हैं जिनमें खाँसी और गले की खराश मुख्य हैं। कैडमियम, मरकरी, डी० डी० टी० पदार्थ भी खाद्य श्रृंखला या अन्य विधियों द्वारा मानव के शरीर में पहुँचकर हृदय रोग, कैंसर, स्नायु रोग, रक्तचाप, तन्त्रिका-तन्त्र के भयंकर रोग पैदा कर देते हैं। (2) मनोरोगों में वृद्धि- शारीरिक रोगों के अतिरिक्त वायु-प्रदूषण मानसिक व्याधियों में वृद्धि का भी एक प्रमुख कारण है। कार्बन मोनो-ऑक्साइड, जो वायु-प्रदूषण के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी कारक है, इससे सिरदर्द, मिर्गी, थकान तथा स्मृति ह्रास पैदा होते हैं। राटन तथा फ्रे ने अपने अध्ययनों में पाया कि वायु-प्रदूषण की अधिकता में मनोरोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। (3) कार्य-निष्पादन क्षमता में ह्रास- वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययनों से सिद्ध किया है कि जैसे-जैसे वायु में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है, वैसे-ही-वैसे कार्य निष्पादन की क्षमता में ह्रास होता है। चूहों पर किये गये प्रयोगों के निष्कर्ष इस बात की पुष्टि करते हैं। ग्लीनर तथा अन्य वैज्ञानिकों ने यह बताया है कि वायु-प्रदूषण, वाहन चालक की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। और इससे दुर्घटनाएँ बढ़ने की प्रवृत्ति दिखाई देती है। (4) सौन्दर्यबोधक संवेगों में हास- राटन, याशिकावा तथा अन्य ने अपने अध्ययनों से सिद्ध किया है कि दुर्गन्धमय वायु-प्रदूषण छायांकन तथा चित्रकारी आदि से सम्बन्धित अभिवृत्ति को कम कर देता है। केवल इतना ही नहीं अपितु इससे अन्य लोगों के प्रति आकर्षण भी कम हो जाता है और मनुष्य की सौन्दर्यबोधक संवेदनशीलता में ह्रास आता है। (5) बाह्य वातावरण में आयोजित सामाजिक कार्य- कलापों में कमी–प्रदूषित वायु के कारण खुले में आयोजित होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों को कम करना पड़ता है, क्योंकि उनके कारण अधिक लोग एक ही स्थान पर वायु प्रदूषण के शिकार हो जाते हैं।  | 
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